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Chhath Puja 2024: छठी मैया कौन हैं? छठ पर्व में क्यों होती है सूर्य देव के साथ उनकी पूजा

Who is Chhathi Maiya: चार दिवसीय छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है. छठ पूजा में छठी मैया की उपासना की जाती है. आइए जानते हैं कि छठी मैया कौन हैं और उनका सूर्य देव से क्या रिश्ता है.

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छठी मैया कौन हैं (सांकेतिक तस्वीर).

Who is Chhathi Maiya: लोक आस्था का महापर्व 5 नवंबर को नहाय-खास के साथ शुरू होने जा रहा है. खरना पूजा 6 नवंबर को होगी. जबकि, 7 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 8 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था के इस महापर्व का समापन होगा. छठ महापर्व में सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की पूजा की जाती है. छठ पर्व को लेकर अधिकांश लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर छठी मैया कौन हैं जिनकी पूजा छठ में सूर्य देव के साथ होती है. आइए जानते हैं आखिर छठी मैया हैं कौन.

हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, छठी मैया सूर्य देव की बहन और ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं. पौराणिक मान्यता है कि छठी मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं. यही वजह है कि बच्चों के जन्म के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है.

ये है छठी मैया से जुड़ी पौराणिक कथा

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहें थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित किया था. इसमे एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति का था. कहा जाता है कि प्रकृति ने अपने आप को छः भागों में बांटा, जिसके छठे अंश के तौर पर मातृ देवी के रूप में छठी मैया प्रकट हुईं.

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कार्तिकेय की पत्नी हैं छठि मैया

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया भगवन शिव के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी हैं. इनकी पूजा करने से आरोग्यता, वैभव और संतान सुख प्राप्त होता है. यही वजह है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तक छठी मैया की उपासना की जाती है.

इस साल कब से कब तक है छठ पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार, चार दिवसीय छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक चलता है. इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इस साल छठ पर्व का नहाय-खाय 5 अक्टूबर को होगा. छठ पर्व के दूसरे दिन खरना पूजा होती है. इस साल खरना 6 अक्टूबर को है. छठ महापर्व के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस साल 7 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य किया जाएगा. वहीं, छठ पर्व का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है. इस साल प्रातःकालीन अर्घ्य 8 अक्टूबर को है.

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