Dev Uthani Ekadashi 2024 Bhog: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं. इसलिए, इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. योगनिद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु अपने हाथों में सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी लेते हैं और इसी दिन से हर प्रकार के मांगलिक कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाता है. चूंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में इस दिन व्रत रखने से हर प्रकार की कामना पूरी होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी. जबकि, इस तिथि का समापन 12 नवंबर की शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा.
दूध और दही- दूध और दही को शुद्ध माना गया है. ये भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं. ऐसे में देवउठनी एकादशी पर आप भगवान को दूध और दही से बने व्यंजन जैसे- खीर, दही आदि भोग लगा सकते हैं.
फल- भगवान विष्णु को फल बेहद प्रिय है. ऐसे में देवउठनी एकादशी के दिन सेब, अंगूर, केला, नारंगी इत्यादि का भोग लगा सकते हैं.
मिठाई- भगवान विष्णु को मिठाई भी बहुत प्रिय है. ऐसा में आप देवउठनी एकादशी के दिन मोतीचूर के लड्डू, गुलाब जामुन, बर्फी इत्यादि भोग लगा सकते हैं.
कद्दू- कद्दू भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को कद्दू का भोग लगाया जा सकता है. आप चाहें तो इस दिन भगवान को कद्दू का हलवा, कद्दू की सब्जी इत्यादि भोग लगा सकते हैं.
तुलसी के पत्ते- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का खास महत्व है. कहते हैं कि इसके बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते. इसलिए, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें.
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