Hanuman Wife Mandir: हिंदू धर्म में हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है. भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान को अमरता का वरदान प्राप्त था. इसलिए मान्यता है कि वे आज भी किसी ना किसी रूप में ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं. हनुमान जी को शक्ति, साहस, ज्ञान, गुण और सच्चरित्र का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि हनुमान जी को 8 सिद्धियां और 9 निधियां प्राप्त थीं. यही वजह है कि हनुमान चालीसा में उनकी स्तुति में ‘जय हनुमान ज्ञान गुण सागर…’ लिखा गया है. देश में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जहां वे अपनी पत्नी के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं. आइए जानते हैं हनुमान जी के इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में.
हनुमान जी के विवाह का जिक्र पराशर संहिता में किया गया है. इसके अलावा रामायण और रामचरित मानस में भी हनुमान जी के ब्रह्मचारी होने का उल्लेख किया गया है. हनुमान जी अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ जिस मंदिर में मौजूद हैं वह तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से तरकीबन 220 किलोमीटर की दूरी पर है. हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला का यह मंदिर बेहद पुराना है. इतना ही नहीं, हनुमान जी का यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर वे पत्नी सुवर्चला के साथ प्रतिमा के रूप में विराजमान हैं. हनुमान जी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन हनुमान जी और माता सुर्वचला का विवाह उत्सव भी मनाया जाता है.
आमतौर पर लोग जानते हैं कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे. पराशर संहिता के मुताबिक, हनुमान जी को कुछ विशेष कारणों से शादी करनी पड़ी. हनुमान जी की शादी की रोचक कथा का उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथो में किया गया है. एक प्रचलित कथा के अनुसार, हनुमान जी ने अपना गुरु सूर्य देव को माना. जिसने पास नौ निधियां (विशेष प्रकार का ज्ञान) मौजूद थीं. कहते हैं कि हनुमान जी एक बार अपने गुरु से ये सारी विद्याएं सीखने के लिए गए. सूर्य देव ने अपने प्रिय शिष्य हनुमान जी को 5 विद्याओं का ज्ञान दे दिया. मगर, बाकी 4 विद्याओं का ज्ञान उसे ही दिया जा सकता था जो कि शादीशुदा हो. सूर्य देव ने हनुमान जी को इस संकट से उबरने के लिए शादी का प्रस्ताव दिया.
हनुमान जी पहले सूर्य देव के इस प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी होने का संकल्प रखा था. हालांकि, जब सूर्य देव ने हनुमान जी को भरोसा दिया कि तपस्या के बाद कन्या (सुवर्चला) उनके तेज में विलीन हो जाएगी जो हनुमान जी शादी के लिए राजी हो गए. जिसके बाद सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुवर्चला का साथ हनुमान जी विवाह संपन्न करवाया. लेकिन, फिर भी हनुमान जी शादी के बाद भी ब्रह्मचारी ही कहलाए क्योंकि सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं.
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