आस्था

Joshimath Narsingh Temple: रहस्यमई है जोशीमठ का यह मंदिर, जुड़ी हैं रामायण और महाभारत काल की कई कहानियां

Joshimath: उत्तराखंड का जोशीमठ आजकल लगातार जमीन धंसने की वजह से खबरों में बना हुआ है. पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक जोशीमठ में भगवान नृसिंह का एक हजार साल पुराना एक ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान नृसिंह की मूर्ति की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी. मंदिर से इतने रहस्य जुड़े हैं कि उनकी कहानियां किसी अनोखी दुनिया की रोमांचक सैर कराती हैं.

कहा जाता है कि जोशीमठ के नृसिंह भगवान के दर्शन किए बिना भगवान बदरीनाथ की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती. मान्यता है कि सर्दी के मौसम में भगवान बदरीनाथ इसी मंदिर में आकर विराजते हैं. इसे भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी के रूप में भी जाना जाता है.

मूर्ति को लेकर है अलग-अलग मत

कल्हण रचित राजतरंगिणी ग्रंथ में बताया गया है कि इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा कराया गया था. वहीं पांडवों द्वारा इस मंदिर की नींव रखे जाने की बात भी कही जाती है. मंदिर मे स्थापित मूर्ति को लेकर भी भिन्न-भिन्न मत हैं. एक मत के अनुसार जहां नृसिंह भगवान की मूर्ति की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी, वहीं कुछ का मानना है कि मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी.

नृसिंह बदरी मंदिर में भगवान नृसिंह की मूर्ति एक कमल पर विराजमान है. इसके अलावा मंदिर में बद्रीनारायण, उद्धव और कुबेर की मूर्तियां भी स्थापित हैं. भगवान नृसिंह के दाहिने तरफ राम-सीता, हनुमानजी और गरुड़ की मूर्तियां भी स्थापित हैं. मंदिर में कालिका माता की प्रतिमा भी है.

भगवान नृसिंह का हाथ हर साल हो रहा है पतला

मंदिर में विराजमान भगवान नृसिंह का दाहिना हाथ पतला है. वहीं कहा जा रहा है कि यह हर साल और पतला होते जा रहा है. एक धार्मिक ग्रंथ में बताया गया है कि एक दिन भगवान नृसिंह का यह हाथ पतला होते-होते टूट कर गिर जाएगा. ठीक उसी दिन नर और नारायण नाम के पहाड़ आपस में मिल जाएंगे और लोग उस दिन से भगवान बदरीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे.

आखिर क्या भविष्यवाणी लिखी है इस पत्थर पर?

जोशीमठ की धार्मिक महत्ता इस बात से भी पता चलती है कि इसका संबंध रामायण और महाभारत काल से भी है. भविष्य बदरी मंदिर के पास में ही एक पत्थर है. माना जाता है कि इसपर आदिगुरु शंकराचार्य ने एक भविष्यवाणी लिखी है. परंतु आजतक कोई भी इसकी भाषा नहीं समझ पाया है.

कहा जाता है कि हनुमानजी जब संजीवनी बूटी की खोज में यहां आए थे, तब उनका सामना कालनेमी राक्षस से हुआ था. जहां पर हनुमानजी ने कालनेमी को मारा उस जगह की भूमि आज भी लाल कीचड़ जैसी दिखाई दे रही है.

 

Rohit Rai

Recent Posts

अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले में तेलंगाना कांग्रेस के सदस्यों को जारी होगा दूसरा नोटिस

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने शाह के फर्जी वीडियो को लेकर ‘इंडियन साइबर क्राइम…

43 mins ago

T20 World Cup 2024 के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम का ऐलान, ये दिग्गज खिलाड़ी हुए बाहर

Australia's T20 Squad: टी20 वर्ल्ड कप के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम का ऐलान हो गया है.…

1 hour ago

इस जगह पर बनी हैं ऊंची-ऊंची इमारतें, फिर भी नहीं रहता कोई, जानें इसके पीछे वजह?

Ajab Gajab: एक शहर है ईरान की राजधानी तेहरान के रेगिस्तान में, जिसकी गिनती अब…

2 hours ago

Q4 Results: FY24 में Adani Enterprises के EBIDTA में 32% की बढ़ोतरी, अडानी ने जताई खुशी; बोले— हमारा समूह देश को समर्पित

अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कंपनी के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया और…

2 hours ago

होमियोपैथी की यौन क्षमता से जुड़ी इस दवा की बिक्री पर दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई रोक

अदालत ने यह फैसला फाइजर प्रोडक्ट्स इंक द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाया. फाइजर ने इसे…

2 hours ago