Shaligram: अयोध्या में बन रही भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा के लिए नेपाल से शालिग्राम का पत्थर लाया गया है. हिंदू धर्म में शालिग्राम के पत्थर को काफी पवित्र माना जाता है. यही कारण है कि भगवान की इस प्रतिमा को बनाने के लिए इसका चयन किया गया है. शालिग्राम के अलावा इसे सालग्राम के नाम से भी जाना जाता है. इसका कारण यह है कि शालिग्राम का संबंध सालग्राम नामक गांव से भी है.
आस्था के प्रतीक इस पत्थर की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है. यह पवित्र शालिग्राम पत्थर मूलरूप से नेपाल में काली गंडकी नदी से प्राप्त किया जाता है. दामोदर कुंड से निकलने वाली इस नदी को काफी पवित्र माना जाता है. गंडक नदी से निकलने के कारण इसे गंडकी नंदन भी कहते हैं. शालिग्राम भगवान विष्णु का ही नाम और रूप है. कहते हैं कि इन्हें यह नाम देवी वृंदा के शाप के बाद मिला है. वहीं इससे जुड़ी पौराणिक कथा का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में है.
माना जाता है कि नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र में शालिग्राम का एकमात्र मंदिर स्थित है. मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. हालांकि मुक्तिनाथ की यात्रा काफी कठिन मानी जाती है. नेपाल में स्थित यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है.
दुर्लभ होता है इस रंग का शालिग्राम
शालिग्राम को काफी दुर्लभ पत्थर माना जाता है. वैसे तो अधिकतर शालिग्राम काले और भूरे के रंग के मिलते हैं. लेकिन सफेद, नीले और सुनहरे दिखने वाले शालिग्राम भी होते हैं. इन सबमें भी सुनहरा और ज्योतियुक्त शालिग्राम बड़े भाग्य से ही मिलता है. पूर्ण शालिग्राम पर प्राकृतिक तौर पर भगवाण विष्णु के चक्र की आकृति बनी होती है.
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शालिग्राम में दिखते हैं भगवान के ये रूप
जानकारों के अनुसार शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं. इनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम बहुत ही खास होते हैं. इन्हें भगवान विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना जाता है. माना जाता है कि इन सभी 24 शालिग्राम का संबंध साल में पड़ने वाली 24 एकादशी व्रत से है. मान्यता है कि यदि शालिग्राम का आकार गोल है तो उसे भगवान विष्णु का गोपाल रूप माना जाता है.
वहीं मछली के आकार के शालिग्राम का संबंध उनके मत्स्य अवतार से है. कछुए के आकार का शालिग्राम होने पर इसे विष्णुजी के कच्छप और कूर्म अवतार का प्रतीक माना जाता है. शालिग्राम पर उभरने वाले चक्र और रेखाएं विष्णुजी के अन्य अवतारों को बतलाती हैं.
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