शिव के मंदिर में नंदी
नंदी की मूर्ति भगवान शंकर के मंदिरों में ठीक उनके सामने ही रहती है. कहते हैं कि शिव शंभू की सवारी नंदी को खुश रखने पर भगवान भोलेनाथ भी खुश रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि नंदी के कानों में कही गई हर मुराद पूरी होती है. जानें क्या है इसका राज.
माना जाता है कि नंदी भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय हैं. इसका कारण यह है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विष का प्याला पिया था तब उसकी कुछ बूंदे धरती पर छलक पड़ी थीं, जिसे शिव भक्त नंदी ने अपनी जीभ से चाट लिया था. जिसे देख भगवान शिव ने खुश होकर यह आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी उनके दर्शन से पहले नंदी के दर्शन करेंगा उसकी सभी मनोकामना पूरी होगी. नंदी को शिव जी की सवारी के रुप में भी जाना जाता है.
मान्यता है कि भगवान शिव के द्वारपाल नंदी उनके भक्तों की परीक्षा लेते हैं. इस इम्तिहान में पास होने वाले के लिए वे भगवान शिव तक पहुंचने के लिए आगे का मार्ग खोलते हैं. ऐसे में अगर लोग नंदी के कानों में अपनी कोई भी बात कहते हैं तो अगर वे उस बात को शिवजी को बताते हैं तो भक्त की वो इच्छा जरूर पूरी होती है. ऐसे में इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कहीं आप नंदी को जो बात कह रहे हैं उसे कोई और तो नहीं सुन रहा है. अगर किसी और ने सुन लिया तो फिर आपकी कही बात गोपनीय नहीं रह पाएगी. एक बात और, वैसे तो आप अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कह सकते हैं, लेकिन उनके बाएं कान में अगर कहते हैं तो उसका महत्व कहीं अधिक है.
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नंदी को अपनी बात कहने के दौरान अपने होंठों को दोनों हाथों से ढंक के रखें. यह भी ध्यान रखें की कोई आपको देखें न रहा हो. इसके बाद नंदी महाराज को किसी तरह की भेंट या भोग न चढ़ाएं. इसके बाद आप चाहें तो भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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