क्रिकेट जगत में चैंपियंस ट्रॉफी (Champions Trophy) 2025 का आयोजन पाकिस्तान (Pakistan) में होना प्रस्तावित है. लेकिन भारत (India) और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि भारत इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेगा. अगर ऐसा होता है तो इसका क्रिकेट के खेल, आयोजकों और प्रशंसकों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.
टूर्नामेंट के राजस्व पर प्रभाव भारत दुनिया में सबसे बड़ा क्रिकेट बाजार है. भारतीय टीम का किसी भी टूर्नामेंट में खेलना दर्शकों और प्रायोजकों को आकर्षित करता है. भारत के न खेलने से प्रायोजन राजस्व घटेगा भारत के बड़े ब्रांड्स और विज्ञापनदाता टूर्नामेंट से दूरी बना सकते हैं. टीवी रेटिंग्स पर असर: भारतीय दर्शकों के न जुड़ने से प्रसारण कंपनियों को बड़ा घाटा हो सकता है. स्टेडियम उपस्थिति घट सकती है: भारत के प्रशंसकों का पाकिस्तान जाना असंभव होगा, जिससे आयोजकों को टिकट बिक्री में भी घाटा हो सकता है.
भारत क्रिकेट में एक प्रमुख टीम है. उनके न खेलने से टूर्नामेंट का प्रतिस्पर्धात्मक स्तर घट सकता है. अन्य टीमें जैसे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, और दक्षिण अफ्रीका भले ही मजबूत हैं, लेकिन भारत-पाकिस्तान (India Vs Pakistan) के मुकाबले की कमी से उत्साह कम होगा. भारत के खिलाड़ियों के अभाव में संभावित ऐतिहासिक पल जैसे विराट कोहली (Virat Kohli) और बाबर आजम (Babar Azam) का आमना-सामना नहीं हो पाएगा.
आईसीसी (International Cricket Council) को भारत से बड़ा आर्थिक योगदान मिलता है. अगर भारत चैंपियंस ट्रॉफी (Champions Trophy) में नहीं खेलता, तो आईसीसी (ICC) को अपने बजट और राजस्व मॉडल में कटौती करनी पड़ सकती है.
भारत के न खेलने से अन्य टीमों को टूर्नामेंट जीतने के मौके बढ़ सकते हैं. पाकिस्तान के लिए यह एक मौका हो सकता है कि वह घरेलू मैदान पर बिना भारतीय दबाव के प्रदर्शन करे. भारत के न खेलने से पाकिस्तान, श्रीलंका और अन्य क्षेत्रीय देशों के क्रिकेट बोर्ड को ज्यादा समर्थन मिल सकता है, क्योंकि ध्यान इन देशों पर केंद्रित होगा.
पाकिस्तान को यह अवसर मिलेगा कि वह अपनी क्षमता दिखाए और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी में अपनी स्थिति मजबूत करे. हालांकि, भारत के निर्णय से क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है.
खिलाड़ियों का अनुभव घटेगा
भारत के खिलाड़ी इस टूर्नामेंट से दूर रहकर बड़े मंच पर अनुभव खो सकते हैं.
युवा खिलाड़ियों को चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में दबाव में खेलने का अवसर नहीं मिलेगा.
भारत-पाकिस्तान के मैच सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव के प्रतीक होते हैं. इन मैचों का न होना प्रशंसकों के लिए बड़ी निराशा होगी.
भारत के चैंपियंस ट्रॉफी में भाग न लेने का असर न केवल टूर्नामेंट की वित्तीय सफलता पर पड़ेगा, बल्कि क्रिकेट प्रशंसकों और खिलाड़ियों पर भी गहरा प्रभाव डालेगा. हालांकि, यह निर्णय पूरी तरह से राजनीतिक और सुरक्षा कारणों पर आधारित होगा. यदि आईसीसी और संबंधित क्रिकेट बोर्ड इस विवाद को बातचीत और समझौते के माध्यम से हल करते हैं, तो यह खेल और प्रशंसकों के हित में होगा. लेकिन अगर भारत टूर्नामेंट से दूर रहता है, तो क्रिकेट जगत को एक अद्वितीय अवसर और रोमांचक मुकाबलों से वंचित होना पड़ेगा.
–भारत एक्सप्रेस
सुप्रीम कोर्ट ने केरल का त्रिशुर पूरम उत्सव केरल हाई कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर…
ममता कुलकर्णी ने 1990 के दशक में ‘करण अर्जुन’ और ‘बाजी’ जैसी हिट फिल्मों में…
श्रीनाथ खंडेलवाल, वाराणसी के एक 80 वर्षीय लेखक, जिन्होंने 400 से अधिक किताबें लिखीं और…
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बंदरगाह और तटीय संपर्क सड़क श्रेणी के तहत, 424 किलोमीटर…
Ration Card Rules: भारत सरकार ने राशन वितरण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए Mera…
नोएडा एयरपोर्ट पर ऑपरेशनल कॉस्ट IGIA के मुकाबले कम हो सकती है, जिससे एयरलाइंस के…