Side Effects of Aluminium Utensils: घरों में अक्सर देखा गया है कि एल्युमिनियम के बर्तनों में ही खाना पकाया जाता है. माना जाता है कि खाना इस पर जलता नहीं है और जल्दी पक कर तैयार हो जाता है. इस धातु के बर्तन धड़ल्ले से मार्केट में बिकते हैं. हालांकि काफी वक्त से इन बर्तनों में खाना पकाने और खाने के लिए एक्सपर्ट मना करते रहे हैं लेकिन फिर भी इन बर्तनों की मांग हमेशा से रही है.
हालांकि बहुत पहले देश में चांदी, मिट्टी या भी कांसे के बर्तन में खाना पकाने का चलन था क्योंकि इसमें खाना पकाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता था. एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनियाभर में लगभग 60 प्रतिशत बर्तन एल्युमिनियम से बनाए जाते हैं.
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इसके आम होने का कारण इसके हेल्थ बेनिफिट्स नहीं, बल्कि इसकी क्वॉलिटी है जो सस्ती और टिकाऊ होती है, साथ ही ये अच्छे हीट कंडक्टर होते हैं जिससे इसमें खाना बनाना आसान होता है. हालांकि एक्सपर्ट इसमें खाना पकाने के लिए लगातार लोगों को मना कर रहे हैं.
बता दें कि खाना पकाने के साथ ही खाना पैक करने के लिए भी अब धड़ल्ले से एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल किया जाने लगा है. जबकि हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि इसमें खाना रखना भी नुकसानदायक है.
रिपोर्ट के मुताबिक, एल्युमिनियम एसिड खाने की खट्टी चीजों और पत्तेदार सब्ज़ियों से रिएक्ट करता है. ये रिएक्शन खाने में एल्यूमिनियम का लेवल बढ़ा देती है और बड़ी परेशानी बन सकती है, इसके कारण बॉडी में जिंक का लेवल भी कम होने लगता है जो हड़्डियों और ब्रेन के लिए ज़रूरी है.
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की रिसर्च के मुताबिक, शरीर के लिए केवल 0.01-1% एल्यूमिनियम कंज्यूम करना सही होता है. एल्युमिनियम अधिक इस्तेमाल करने से ये बर्तनों से छूटता-बहता है और खाने के साथ व्यक्ति के पेट में चला जाता है. ये बॉडी में एनीमिया, डिमेंटिया और ओस्टो-मलासिया जैसी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स की जड़ बन सकता है और फिर धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है. एनसीबीआई यानी राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र जैव चिकित्सा और जीनोमिक जानकारी तक पहुंच प्रदान करके विज्ञान और स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने का काम करता है.
एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि एल्युमिनियम में पके खाने का सेवन लगातार करते रहने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने लगता है. इसकी वजह से बीमारियां धीरे-धीरे व्यक्ति को जकड़ने लगती हैं. खाना बनाने के लिए एनोडाइज्ड एल्यूमिनियम बर्तनों का प्रयोग किया जा सकता हैं. ये एल्यूमिनियम जैसे ही गुण देता है और स्वास्थ्य का साथ भी बनाए रखता है.
रिसर्च में सामने आया है कि एल्युमिनियम में पके खाने का सेवन लगातार करने से ये बॉडी सेल्स और टिश्यूज पर भी असर डालने लगता है और फिर ये धीरे-धीरे सेल्स में जमा होने लगता है जिससे टिश्यूज के काम में गड़बड़ियां होने लगती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि जो लोग पहले से बीमार चल रहे हैं, उनके लिए ये और भी खतरनाक हो सकता है.
मिली जानकारी के मुताबिक भारत में एल्युमीनियम बर्तन का उपयोग सबसे पहले अंग्रेजों ने भारतीय जेल में कैद कैदियों के लिए किया था. इसी में खाना बनवा कर अंग्रेज जेल में बंद भारतीय कैदियों को देते थे. एल्युमिनियम के बर्तन में बने भोजन धीमी जहर की तरह काम करता है. इसी कारण अंग्रेज इसका इस्तेमाल करते थे ताकि भारतीय कैदी बीमार पड़ जाएं और उनकी जान चली जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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