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जानें कौन था वो कलाकार जिसकी भगवान की तरह होती थी पूजा…? 8 बार निभाया श्रीराम का किरदार, महात्मा गांधी भी थे उनकी फिल्मों के दीवाने

Prem Adib: भारत के फिल्मी इतिहास में कई बड़े कलाकार हुए हैं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों में शानदार रोल प्ले कर यादगार भूमिका निभाई है और आज भी उनको याद किया जाता है. इनमें से ही एक हैं प्रेम अदीब. उनकी आज जयंती है. उनका जन्म 10 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम रामप्रसाद दर था और वे कश्मीरी मूल के थे. प्रेम अदीब के दादा-परदादा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के जमाने में कश्मीर छोड़कर उत्तर प्रदेश के फैजाबाद आ कर बस गए थे और बाद में उनके पिता सुल्तानपुर में आ कर रहने लगे थे.

प्रेम अदीब की होती थी पूजा

प्रेम अदीब को लेकर अगर इतिहास के पन्ने पलटे जाएं तो सामने आता है कि एक दौर था जब लोग प्रेम अदीब की पूजा किया करते थे. प्रभु श्रीराम का उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि 8 बार किरदार निभाया और पर्दे पर भगवान श्रीराम को जीवंत कर दिया था. यही नहीं उनकी फिल्मों के तो बापू यानी महात्मा गांधी तक दीवाने थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी फिल्म राम राज्य को देखने के लिए महात्मा गांधी भी गए थे. हिंदी सिनेमा के इतिहास में उन्होंने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित करा लिया है और इसकी वजह है उनका अभिनय.

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जीवन शैली में भी किया बदलाव

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रेम ने भगवान श्रीराम का किरदार निभाने के लिए अपनी जीवन शैली में काफी बदलाव किया था और अपने जीवन की विसंगतियों को दूर कर दिया था. इस तरह से उन्होंने सिगरेट पीना और मांस का सेवन करना पूरी तरह से छोड़ दिया था और फिर भगवान का किरदार निभाते हुए वह लगातार सफल होते चले गए. उनकी गिनती उस समय के सुपरस्टार्स में होती थी, जिसमें अशोक कुमार, पीसी बरुआ और मास्टर विनायक जैसे नाम शुमार थे. प्रेम अदीब की शादी कृष्णा कुमारी कौल से शादी हुई थी. 1960 में आई ‘अंगुलीमाल’ उनकी आखिरी फिल्म थी. जो उनके निधन के एक साल बाद आई थी. साल 1959 में हिंदी सिनेमा के ‘राम’ प्रेम अदीब ने 42 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.

उस समय भगवान की कथा जन-जन तक पहुंचाने का बने थे जरिया

उस समय भगवान की कथा भक्तों तक पहुंचाने का प्रेम अदीब जरिया बने थे और वे लोगों के प्रिय बन गए थे. उनके पिता पंडित राम प्रसाद अदीब पेशे से वकील थे. तो वहीं जब प्रेम का रुझान फिल्मों की ओर बढ़ा तो पढ़े लिखे परिवार में इस काम को करने के लिए मना कर दिया गया लेकिन प्रेम अदीब ने जो ठानी उसे अंततः कर ही दिखाया. किरदार भी ऐसा चुना जिससे उनको एक के बाद एक कई सफलता मिलती चली गई.

इस फिल्म में निभाया था पहली बार भगवान श्रीराम का किरदार

पहली बार भगवान राम का किरदार 1942 में आई ‘भरत मिलाप’ में निभाया था. इसके बाद वह राम राज्य (1943) में भगवान राम बनकर नजर आए. उनके निभाए इन किरदारों से उन्हें देशभर में लोकप्रियता मिली. इन फिल्मों में उनकी जोड़ी शोभना समर्थ के साथ बनी थी, जिन्होंने मां सीता का किरदार निभाया था. उनकी ये फिल्में खूब सफल रही. लोग उनको भगवान श्रीराम के किरदार में पसंद करने लगे. इसके बाद उन्होंने बाण (1948), राम विवाह (1949), राम नवमी (1956), राम-हनुमान युद्ध (1957), राम लक्ष्मण (1957), राम भक्त विभीषण (1958) फिल्मों में राम बनकर खूब प्रशंसा बटोरी. 1943 से 1950 तक प्रेम अदीब और शोभना समर्थ जोड़ी इतनी लोकप्रिय हो गई कि उन्हें घरों में पूजा जाने लगा. राम राज्य फिल्म तो महात्मा गांधी ने भी देखी.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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