The Hague (Netherlands): गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल का युद्ध नरसंहार है या नहीं, इस पर कानूनी लड़ाई आज गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में शुरू हो गई. वहीं इजरायल ने नरसंहार के इन आरोपों से साफ इनकार किया है.
इजरायल ने भेजी बचाव के लिए कानूनी टीम
वैसे तो इजराइल आमतौर पर संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों को अनुचित और पक्षपातपूर्ण मानता है. लेकिन वह हमास द्वारा 7 अक्टूबर के हमलों के बाद शुरू किए गए अपने सैन्य अभियान का बचाव करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में एक मजबूत कानूनी टीम भेज रहा है.
वहीं इस मामले में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून की विशेषज्ञ जूलियट मैकइंटायर ने कहा, “मुझे लगता है कि वे इसलिए आए हैं क्योंकि वे दोषमुक्त होना चाहते हैं और सोचते हैं कि वे नरसंहार के आरोप का सफलतापूर्वक विरोध कर सकते हैं.”
फिलिस्तीनी लोगों की रक्षा के लिए तुरंत हो कार्रवाई
मामला दर्ज होने के बाद एक बयान में, फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मंत्रालय ने अदालत से इस बात का आग्रह किया कि “फिलिस्तीनी लोगों की रक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए और कब्जा करने वाली शक्ति इजरायल को फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ अपने हमले को रोकने के लिए कहा जाए.”
वहीं इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में दो दिनों की प्रारंभिक सुनवाई शुरु हुई. आज गुरुवार की शुरुआती सुनवाई दक्षिण अफ्रीका के उस अनुरोध पर केंद्रित है जिसमें अदालत से इजरायल द्वारा अपने सैन्य अभियान को रोकने सहित बाध्यकारी अंतरिम आदेश लागू करने का अनुरोध किया गया है.
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23,200 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए
हमास द्वारा संचालित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के हमले में गाजा में अब तक 23,200 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि मृतकों में लगभग दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे हैं. मरने वालों की संख्या में लड़ाकों और नागरिकों के बीच अंतर नहीं किया गया है. 7 अक्टूबर के हमले में, जिसमें हमास ने इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया और कई समुदायों पर हमला कर दिया, फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने लगभग 1,200 लोगों को मार डाला था, जिनमें मुख्य रूप से नागरिक थे. वहीं हमास ने लगभग 250 अन्य लोगों का अपहरण कर लिया, जिनमें से लगभग आधे को रिहा कर दिया गया है.
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