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SARS-CoV-2 Infection: इतना खतरनाक हो गया अब कोरोना वायरस- इंसान 10 मिनट खड़ा भी रहे तो पैर नीले पड़ जाते हैं

New Scientific Research On Covid 19: वर्ष 2019 से दुनियाभर में करोड़ों लोगों को संक्रमित करने वाली कोरोना महामारी अभी खत्‍म नहीं हुई है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने बताया है कि दुनिया में कोरोना के नए मामलों में 80% की बढ़ोतरी हुई है. WHO के वीकली अपडेट के मुताबिक, 10 जुलाई से 6 अगस्त के बीच कोरोना के 15 लाख नए मामले सामने आए. ये पिछले 28 दिनों की तुलना में 80% ज्यादा हैं. हालांकि, इस दौरान कोरोना से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 57% कम दर्ज हुआ.

इस बीच द लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन से स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है, शोध के अनुसार, कोरोनावायरस से संक्रमित व्‍यक्ति अब कई और बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. मसलन, 10 मिनट तक खड़े रहने के बाद एक मरीज के पैर नीले पड़ गए. अध्ययन में सामने आया है कि जिन लोगों को कोरोना लंबे समय तक रहता है, उनके शरीर में ऑक्‍सीजन की कमी के कारण बुरा असर पड़ता है.

मरीजों में थकान, चक्कर आने और बेहोशी के भी लक्षण
शोध के अनुसार, कुछ लॉन्ग कोविड रोगियों ने खड़े होने के 10 मिनट के भीतर अपने पैरों के रंग में सामान्य से नीले रंग में महत्वपूर्ण बदलाव का अनुभव किया. उन मरीजों में थकान, चक्कर आने और बेहोशी के लक्षणों को भी देखा गया. डॉक्‍टर्स ने कहा कि ऐसा पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (पीओटीएस) से जुड़ा हो सकता है – यह एक ऐसी स्थिति है जो रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है और इसमें खड़े होने पर हृदय की गति बढ़ जाती है.

SARS-CoV-2 संक्रमण (PASC) का असर बहुत बुरा
लॉन्ग कोविड, जिसे SARS-CoV-2 संक्रमण (PASC) के बाद के तीव्र अनुक्रम के रूप में भी जाना जाता है, अप्रत्याशित और विविध लक्षणों के साथ वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को परेशान कर रहा है. शोध के अनुसार, कुछ लॉन्ग कोविड रोगियों ने खड़े होने के 10 मिनट के भीतर अपने पैरों के रंग में सामान्य से नीले रंग का होता देखा है.

यह भी पढ़ें: Covid-19 Update India: आज थोड़ी धीमी हुई कोरोना की रफ्तार, पिछले 24 घंटे में सामने आए 7178 नए मामले, 16 मरीजों की मौत

अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर दिया जाए जोर
शोधकर्ताओं ने कहा कि मरीजों में इस तरह की समस्‍या ने कोरोना महामारी के प्रति और अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया है. अब हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि लंबे समय तक चलने वाले कोविड में डिसऑटोनोमिया के बारे में अधिक जागरूकता हो ताकि चिकित्सकों के पास मरीजों को उचित तरीके से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक उपकरण हों.

— भारत एक्सप्रेस

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