अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ (Wall Street Journa) ने भारतीय जनता पार्टी को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक दल करार दिया है. अख़बार में छपे एक लेख में बताया गया है कि बीजेपी दुनिया की सबसे अहम पोलिटकल पार्टी है. साथ ही इसमें लेखक ने 2024 लोकसभा में भी बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी की है. बीजेपी को लेकर छपे इस लेख की चर्चा काफी है. क्योंकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल एक वामपंथी झुकाव वाला अख़बार माना जाता है, जबकि बीजेपी भारत की एक दक्षिणपंथी पार्टी है.
अख़बार में छपे लेख के लेखक वॉल्टर रसेल मीड हैं. मीड दरअसल एक एकेडमिशियन हैं और अमेरिका के प्रतिष्ठित हडसन इंस्टिट्यूट में प्रमुख स्ट्रैटजिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की शिक्षा देते हैं. इसके अलावा इटली के एस्पेन इंस्टिट्यूट के सदस्य भी हैं. दुनिया की टॉप थिंक टैंक में शुमार रहे हैं. बीजेपी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए वॉल्टर रसेल लिखते हैं, ” बीजेपी- जो 2014 में सत्ता में आई थी, उसने 2019 में दूसरा कार्यकाल जीता, और 2024 में फिर से जीत की ओर बढ़ रही है.”
वॉल्डर आगे लिखते हैं, “BJP ऐसे समय में भारतीय राजनीति के शीर्ष पर बैठी है जब भारत जापान के साथ इंडो-पैसिफिक में अमेरिका के लिए अहम रणनीतिकार और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है. निकट भविष्य में बीजेपी एक ऐसे देश में निर्णायक की भूमिका निभाएगी, जिसकी मदद के बिना बढ़ती चीनी शक्ति को संतुलित करने में अमेरिका सफल नहीं हो सकता.”
वॉल स्ट्रीट जर्नल के छपे लेख में बीजेपी के प्रति अमेरिका में बनी छवि पर भी रौशनी डाली गई है. साथ ही लेखक ने यह भी बताया है कि बीजेपी को लेकर जो समझ अमेरिकियों के दिमाग में है, वो तुलनात्मक रूप से काफी कम है. इसके पीछे कारण यहां के लोगों का भारतीयों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी नहीं होना है. लेख में कहा गया है कि बतौर संगठन बीजेपी को खड़ा करने में हिंदुत्व की अवधारणा रखने वाले समाजिक चिंतकों की कई पीढ़ियों का हाथ है.
इसमें लिखा है- “मुस्लिम ब्रदरहुड की तरह बीजेपी पश्चिमी उदारवाद के कई विचारों और प्राथमिकताओं को खारिज करती है. यहां तक कि यह आधुनिकता की प्रमुख विशेषताओं को भी अपनाती है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की तरह, BJP एक अरब से अधिक आबादी वाले देश को वैश्विक महाशक्ति बनाने की उम्मीद करती है. इज़राइल में लिकुड पार्टी की तरह, भाजपा लोकलुभावन बयानबाजी और पारंपरिक मूल्यों के साथ मूल रूप से बाजार समर्थक आर्थिक रुख को जोड़ती है. यहां तक कि यह उन लोगों के गुस्से को भी चैनलाइज किया, जिन्होंने यूरोपीय सोच और राजनीतिक रूप से ईलीट क्लास से तिरस्कृत और बहिस्कृत महसूस किया.
लेख में बीजेपी को लेकर लेफ्ट लिबरल की उस सोच को भी काउंटर किया है, जिसमें अल्पसंख्यकों को लेकर इस पर सांप्रदायिक सोच रखने के आरोप लगते हैं. लेख में कहा गया है कि कुछ लेफ्ट लिबरल डेनमार्क की तर्ज पर नरेंद्र मोदी के भारत को देखने की कोशिश करते हैं. लेकिन, भारत की समाजिक और आर्थिक स्थिति डेनमार्क से काफी जुदा है.
लेखक का कहना है, “भारत एक कॉम्पिलिकेटेड जगह है और यहां कई तरह की कहानियां भी हैं. भारत के पूर्वोत्तर बीजेपी ने ईसाई बहुल राज्यों में राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण सफलाताएं हासिल की हैं. लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को शिया मुसलमानों का मजबूत समर्थन प्राप्त है. जातिगत भेदभाव से लड़ने के प्रयासों में आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.”
लेख में लेखक ने आखिर में अमेरिकी थिंक टैंक को बीजेपी और आरएसएस के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर काम करने की बात कही है. लेखक का तर्क है कि बदलते परिवेश में बीजेपी और आरएसएस एक बड़ी सच्चाई है. उन्होंने न सिर्फ चीन से जारी तनाव को बैलेंस करने बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहतर माहौल बनाने में मदद की वकालत की है.
-भारत एक्सप्रेस
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