दुनिया

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस और इसका इतिहास

इतिहास के पन्नों को पलटकर विश्व समुदाय में जब हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने की बात देखी जाती है तो उसके पीछे कहीं ना कहीं वामपंथ पाया जाता है. चाहे 1 मई को विश्व मजदूर दिवस मनाना रहा हो या 8 मार्च को विश्व महिला दिवस, इन दिवसों को मनाने का ध्येय और उद्देश्य यह रहा है कि जिन लोगों के अथक परिश्रम की वजह से प्रत्येक कार्य आसानी से हो रहा होता है उनको परस्पर सम्मान मिले. वैसे एक कड़वा सत्य यह भी है कि सार्वजनिक तौर पर दिवस कमज़ोर समझे जाने वाले समुदाय का ही मनाया जाता रहा है.

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के लिए आंदोलन की शुरुआत 2023 से 115 साल पहले यानी 1908 में क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकालकर की थी. एक साल बाद यानी 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की बात की एवं सन् 1910 के डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं. क्लारा जेटकिन ने उस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की बात कही जिसपर सबकी सहमति मिली.

अंततः पहला अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सन् 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता सन् 1975 में मिली. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम ‘अतीत का जश्न, भविष्य के लिए योजना बनाना’ था. 2023 में थीम ‘डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी’ है.

आज विश्व महिला दिवस के दिन यह जानकर आपको ताज्जुब होगा कि पहले महिलाओं के पास मतदान का अधिकार नहीं होता था. 1917 में रूस की महिलाओं ने ‘रोटी और अमन’ की मांग करते हुए ज़ार की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ आंदोलन किया था. इसके फलस्वरूप ज़ार निकोलस द्वितीय को अपना तख़्त छोड़ना पड़ा, उसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था.

इटली में महिलाओं को आठ मार्च को मिमोसा फूल देकर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. तो वहीं कई देशों में इस दिन अवकाश घोषित रहता है. ये परंपरा कब से शुरू हुई, यह सटीक बता पाना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन, माना यह जाता है कि इसकी शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई थी.

महिलाएं मानव समाज का का वह अभिन्न अंग हैं जिनके बगैर समाज की संरचना ही सम्भव नहीं है. महिलाओं की भूमिका परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण और विकास में अतुलनीय है. महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर ही नहीं चल रहीं बल्कि पुरुषों से भी बेहतर कार्य करते दिख रही हैं. हालांकि महिलाओं के इतने प्रयास के बाद भी उनकी स्थिति समाज में पुरुषों की तुलना में कमतर ही है.

इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 तक 69 फीसद पुरुषों की तुलना में केवल 63 फीसद महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती थीं. वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक 75 फीसद नौकरियां STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों से संबंधित होंगी.

लेकिन आज भी बहुत सी महिलाएं हैं, जिन्हें अपने अधिकारों के बारे में सही से पता तक नहीं है. अपने परिजनों एवं अपनों के लिए ख़ुद को भूल जाना महिलाएं ही कर सकती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

Recent Posts

एक क्लिक में पढ़िए आज की 10 बड़ी चुनावी खबरें

Lok Sabha Election News: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. अब हर जगह चुनावों…

46 mins ago

AdaniConneX ने स्थापित किया नया बेंचमार्क, 12 हजार करोड़ का कंस्ट्रक्शन फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क किया तैयार

इस फाइनेंसिंग प्लान की एक खास बात ये है कि ये प्रोजेक्ट की पर्चेजिंग स्ट्रेटजी…

51 mins ago

IPL 2024, KKR Vs DC Live: दिल्ली कैपिटल्स की बल्लेबाजी शुरू, केकेआर कर रही गेंदबाजी

IPL 2024, KKR Vs DC Live: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 का 47वां मैच कोलकाता नाइट…

1 hour ago

Gold Price Today: गिरने लगे सोने के भाव, जानें आज कितना हुआ सस्ता

वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोमवार को…

1 hour ago

पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के इस फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट राज्य संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा…

2 hours ago

पूर्व मुस्लिमों पर शरिया कानून लागू होगा या नहीं सुप्रीम कोर्ट करेगी तय

सुप्रीम कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण मसला बताते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा कि वो एक…

2 hours ago