NASA News: पूरी दुनिया एक बार फिर से चीन को संदेह भरी नजर से देखने के लिए मजबूर है. दरअसल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) ने दावा किया है कि चीन चांद पर कब्जा कर रहा है और सैन्य कार्यक्रम भी चला रहा है. नासा प्रमुख बिल नेल्सन का दावा है कि चंद्रमा पर अपना दावा करने के लिए चीन अंतरिक्ष में गुप्त सैन्य परियोजनाओं को छिपा रहा है. हालांकि चीन अंतरिक्ष पर की जा रही अपनी गतिविधियों को लेकर यही कहता रहता है कि वह वैज्ञानिक कार्य कर रहा है लेकिन नासा के इस दावे के बाद से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है और अब इस मामले में भी दुनिया चीन को संदेह की नजर से देखने लगी है.
द सन की रिपोर्ट में नासा प्रमुख ने दावा किया है कि “चीन के इरादे कुछ और ही हैं. हमें लगता है कि वे अंतरिक्ष में एक सैन्य कार्यक्रम चला रहे हैं. इसकी जानकारी वे छुपा रहे हैं. नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने ये भी कहा है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन ने असाधारण प्रगति की है, लेकिन उसके ज्यादातर कार्यक्रम गोपनीय रहे हैं, जिसके बारे में वह दुनिया को नहीं बताता है. नेल्सन ने ये भी कहा है कि हम एक रेस में है. 2030 तक चांद पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि हम वहां जल्द पहुंचना चाहते हैं.
नासा प्रमुख ने बताया है कि “आर्टेमिस III सितंबर 2026 में लॉन्च किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक नासा प्रमुख ने पहले ही इस बात को लेकर दावा किया था कि दक्षिण चीन सागर में जिस तरह चीन की गतिविधियां, उसका मनमाना व्यवहार है, उससे साबित होता है कि वह अंतरिक्ष में किस तरह का व्यवहार करेगा. वह बोले कि अगर ऐसा होता है तो 1967 आउटर स्पेस समझौते का उल्लंघन होगा.
नासा प्रमुख कहते हैं कि “मेरी चिंता ये है कि कहीं चीन चांद पर पहुंचकर ये कहना न शुरू कर दे कि ये हमारी जगह है, आप इस क्षेत्र से बाहर रहें. जाहिर है कि अंतरिक्ष में भी कोई एक दूसरे के काम में दखल नहीं देगा, लेकिन यह घोषणा न करें कि यह पूरा क्षेत्र अचानक आपका हो गया है. अंतरिक्ष में आक्रामकता बहुत नुकसान पहुंचाएगी.”
दरअसल चांद को लेकर अमेरिका कई बार अपनी चिंता जाहिर कर चुका है और वह हमेशा इसको लेकर चिंतित रहता है. नासा इसलिए भी चिंतित है क्योंकि चीन अपना अंतरिक्ष स्टेशन 2022 में ही यहां पर स्थापित कर चुका है. अपने उपग्रहों की संख्या दोगुनी कर चुका है. चार साल में अरबों डालर इन्वेस्ट कर चुका है. रिपोर्ट का कहना है कि नेल्सन का दावा है कि अमेरिका चीन से काफी आगे है. वह कहते हैं कि अगर चीन पहले वहां अपना आधार बनाना शुरू करता है तो वह चांद के कुछ हिस्सों पर दावा कर सकता है.
जहां एक ओर नासा प्रमुख ने चांद को लेकर चीन की हरकत पर चिंता जाहिर की है तो वहीं दूसरी ओर अमेरिकी स्पेस फोर्स के कमांड ने चीन के ट्रैकिंग उपग्रहों को लेकर अलर्ट किया है. उसका कहना है कि चीन इसका उपयोग सैन्य अभियानों की निगरानी के लिए कर सकता है. तो वहीं ये कहा है कि चीन विशाल जासूसी गुब्बारे और हाइपरसोनिक मिसाइलें भी विकसित कर रहा है. गौरतलब है कि अमेरिका और चीन दोनों ही चंद्रमा पर अपनी स्थायी जगह बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं. इसी साल मार्च में चीन के वैज्ञानिकों ने डिज्नीलैंड के आकार का चंद्र बेस बनाने की घोषणा भी की थी. इसके जरिए पृथ्वी की गतिविधियों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी.
-भारत एक्सप्रेस
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