नेल्सन मंडेला, जिन्हें अक्सर ‘मदीबा’ कहा जाता है, एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए लड़ने में अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनका जन्म 1918 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ था, उस समय जब उनका देश रंगभेद और नस्लीय अलगाववाद से गहराई से विभाजित था. हम नेल्सन मंडेला के असाधारण जीवन, रंगभेद को समाप्त करने में उनकी भूमिका और आशा तथा मेल-मिलाप के प्रतीक के रूप में उनकी स्थायी विरासत को जान पाएंगे.
रंगभेद दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा लागू नस्लीय अलगाव की एक क्रूर प्रथा थी. इसके तहत लोगों को उनकी नस्ल के आधार पर वर्गीकृत किया गया था और गैर-श्वेत दक्षिण अफ्रीकी लोगों को भेदभाव, हिंसा और सीमित अवसरों का सामना करना पड़ा. नेल्सन मंडेला ऐसे समाज में पले-बढ़े जहां नस्लीय अन्याय गहराई तक घर कर चुका था.
रंगभेद के खिलाफ नेल्सन मंडेला की लड़ाई के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई और कारावास हुआ. 1964 में, रिवोनिया ट्रायल के दौरान उन्हें और अन्य रंगभेद विरोधी नेताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. मंडेला ने 27 साल सलाखों के पीछे बिताए, लेकिन अटूट रहे, उनका यकीन अटूट रहा.
1990 में दो दशक से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उनकी रिहाई दक्षिण अफ्रीका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. अन्य नेताओं के साथ उनके प्रयासों के कारण 1994 में पहला बहुजातीय चुनाव हुआ और दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति के रूप में नेल्सन मंडेला का चुनाव हुआ.
राष्ट्रपति के रूप में नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के घावों को भरने के लिए लगन से और पूरी शिद्दत के साथ काम किया. इसके अलावा उन्होंने अतीत के अन्यायों को दूर करने के लिए सत्य और सुलह आयोग की स्थापना करके एक महत्वपूर्ण और बड़ा कदम उठाया और इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपनी कामयाबी हमेशा के लिए दर्ज कर ली.
नेल्सन मंडेला का जीवन हमें साहस, दृढ़ता और क्षमा की शक्ति के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखाता है. भारी चुनौतियों और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद वह न्याय और समानता के अपने सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहे. उन लोगों को माफ करने की उनकी क्षमता जिन्होंने उन पर अत्याचार किया था, मानवीय भावना की ताकत का एक ज्वलंत उदाहरण है.
नेल्सन मंडेला की विरासत दक्षिण अफ्रीका से कहीं आगे तक फैली हुई है. न्याय और शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उन्हें दुनिया भर में सम्मान दिया जाता है. उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले और उन्होंने हर जगह लोगों को अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया.
-भारत एक्सप्रेस
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