दुनिया

पाकिस्तान: ग्वादर में छापे, हिंसा और जबरन गायब किए जाने की घटनाएं, सेना ने 18 से अधिक लोगों को किया अगवा

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर जिला, एक बार फिर हिंसा और तनाव का केंद्र बन गया है. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों द्वारा बड़े पैमाने पर छापेमारी और जबरन गायब किए जाने की घटनाओं ने इलाके में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 18 से अधिक लोगों को अगवा किया जा चुका है, जिनमें स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं.

ग्वादर: रणनीतिक लेकिन विवादित क्षेत्र

ग्वादर, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का अहम हिस्सा है, लंबे समय से स्थानीय लोगों और सरकार के बीच विवादों का केंद्र रहा है. ग्वादर बंदरगाह की वजह से यह इलाका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण है, लेकिन स्थानीय समुदाय खुद को इस विकास प्रक्रिया में हाशिए पर महसूस कर रहा है.

ग्वादर के निवासी अपने अधिकारों, संसाधनों पर नियंत्रण और बेहतर जीवन स्थितियों की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार और सेना उनके संसाधनों का शोषण कर रही है, जबकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं.

सुरक्षा बलों की कार्रवाइयां और जबरन गायबियां

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हाल ही में कई घरों पर अचानक छापेमारी की गई और कई नागरिकों को जबरन उठाकर अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया. इन कार्रवाइयों के दौरान परिवारों को धमकाया गया और प्रतिरोध करने वालों के साथ मारपीट भी की गई.

पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके परिजनों को बिना किसी कारण बताए उठा लिया गया है. उनका यह भी दावा है कि यह सेना द्वारा चलाए जा रहे दमनकारी अभियानों का हिस्सा है, जो वर्षों से बलूचिस्तान में चल रहे हैं.

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

इन घटनाओं पर मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि बलूचिस्तान में जबरन गायबियां और मानवाधिकार उल्लंघन कोई नई बात नहीं है. संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन घटनाओं पर ध्यान देने और हस्तक्षेप करने की अपील की है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने पाकिस्तान सरकार से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और गायब लोगों को उनके परिवारों के पास लौटाने की मांग की है.

सरकार और सेना पर सवाल

पाकिस्तानी सरकार और सेना पर इन घटनाओं को लेकर आलोचना हो रही है. हालांकि, अब तक किसी भी सरकारी या सैन्य प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर औपचारिक बयान जारी नहीं किया है.

स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश

इन घटनाओं के बाद ग्वादर और आसपास के इलाकों में लोगों के बीच भय और आक्रोश बढ़ गया है. स्थानीय नेताओं का कहना है कि अगर इस दमनकारी नीति को नहीं रोका गया, तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं.

क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय करेगा हस्तक्षेप?

बलूचिस्तान में लगातार हो रही मानवाधिकार उल्लंघनों की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींच रही हैं. सवाल यह है कि क्या संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे?

-भारत एक्सप्रेस

मिताली चंदोला, एडिटर, क्राइम एंड इंवेस्टिगेशन

Recent Posts

अजमेर शरीफ पर चादर पेश करने पर हाजी सलमान चिश्ती ने कहा- नफरत की बात करने वालों को बड़ा संदेश

चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम की…

29 mins ago

CISF में आत्महत्या के मामलों में 40% की गिरावट, वर्क-लाइफ बैलेंस से आया सुधार

CISF Sees Significant Decline In Suicide Rates: CISF ने आत्महत्या के मामलों में 40% गिरावट…

34 mins ago

Syria Civil War: असद सरकार के पतन के बाद सीरिया में आखिरकार बवाल थमा, दमिश्क एयरपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू

दमिश्क एयरपोर्ट पर मंगलवार से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू होंगी, कतर एयरवेज ने सात…

38 mins ago

अजमेर शरीफ दरगाह पर पेश की गई पीएम मोदी की चादर, केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने प्रधानमंत्री का पढ़ा संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह पर 813वें उर्स के अवसर पर पेश…

2 hours ago

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु की अदालत ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास और साले को दी जमानत

एक निजी कंपनी में टेक विशेषज्ञ 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर 2024 को…

3 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रूण लिंग जांच के आरोपी डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है तो यह बताए कि डॉक्टर ने…

3 hours ago