आस्था

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज का वो धार्मिक स्थल, जिसका प्रभु श्रीराम से है अटूट संबंध

Mahakumbh 2025: प्रयागराज को सनातन संस्कृति की सबसे प्राचीन नगरी कहा जाता है. इसका उल्लेख ऋग्वेद से लेकर रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में मिलता है. यह नगर न केवल पवित्र संगम के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि प्रभु श्रीराम के जीवन और वनवास से जुड़े अनेक प्रसंगों के लिए भी जाना जाता है.

श्रृंगवेरपुर का प्रभु श्रीराम से संबंध

रामायण में वर्णित है कि वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम अयोध्या से निकलकर श्रृंगवेरपुर पहुंचे थे. यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित है और श्रृंगी ऋषि की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. यहीं प्रभु श्रीराम का मिलन उनके बाल सखा निषादराज से हुआ था. निषादराज ने उन्हें गंगा पार कराने में मदद की थी.

श्रृंगवेरपुर का संबंध केवल प्रभु श्रीराम से ही नहीं, बल्कि उनके जन्म से भी पहले का है. रामायण के अनुसार, राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए श्रृंगी ऋषि को अयोध्या आमंत्रित किया था. इसी यज्ञ के फलस्वरूप राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे पुत्रों की प्राप्ति हुई. श्रृंगी ऋषि का विवाह प्रभु श्रीराम की बहन शांता से हुआ था. आज भी श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि और माता शांता का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना करते हैं.

श्रृंगवेरपुर धाम में कई पवित्र स्थल हैं. रामचौरा वह स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम ने माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ रात्रि निवास किया था. राम शयन आश्रम और गंगा के तट पर स्थित घाट, जहां से निषादराज ने प्रभु श्रीराम को गंगा पार करवाया था, श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं.

महाकुंभ 2025 के दृष्टिगत श्रृंगवेरपुर का विकास

महाकुंभ 2025 के दृष्टिगत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में श्रृंगवेरपुर धाम का सौंदर्यीकरण किया गया है. लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से भव्य कॉरिडोर, निषादराज पार्क और प्रभु श्रीराम व निषादराज की 52 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रयागराज दौरे के दौरान इस परियोजना का उद्घाटन किया.

श्रृंगवेरपुर धाम में गंगा घाट पर संध्या आरती, रामचौरा और निषादराज पार्क में रामायण के प्रसंगों को दर्शाते म्यूरल्स लगाए गए हैं. इसके अलावा, श्रद्धालुओं के लिए फैसिलिटी सेंटर, होम स्टे और अन्य सुविधाएं विकसित की गई हैं.

श्रृंगवेरपुर धाम न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सनातन संस्कृति और रामायण काल की ऐतिहासिकता का प्रतीक भी है. महाकुंभ 2025 में यह धाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र बनेगा.

-भारत एक्सप्रेस

Bharat Express

Recent Posts

अजमेर शरीफ दरगाह पर पेश की गई पीएम मोदी की चादर, केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने प्रधानमंत्री का पढ़ा संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह पर 813वें उर्स के अवसर पर पेश…

32 mins ago

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु की अदालत ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास और साले को दी जमानत

एक निजी कंपनी में टेक विशेषज्ञ 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर 2024 को…

1 hour ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रूण लिंग जांच के आरोपी डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है तो यह बताए कि डॉक्टर ने…

1 hour ago

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुषमा भवन का लोकार्पण किया, केजरीवाल सरकार पर साधा निशाना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में "सुषमा भवन" का उद्घाटन किया और मोती…

1 hour ago

जौनपुर की अटाला मस्जिद पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को: हिंदू पक्ष के अधिवक्ता

जौनपुर की अटाला मस्जिद को खाली करने के लिए स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष…

2 hours ago

दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला Tomiko Itooka ने 116 वर्ष की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

तोमिको इतोओका, जिन्हें 116 वर्ष की उम्र में दुनिया की सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप…

2 hours ago