तिब्बती यूथ कांग्रेस (TYC) ने सिक्किम के गंगटोक से असम के तेजपुर तक एक महीने का “तिब्बत मैटर्स मार्च” शुरू किया है. तिब्बत राइट्स कलेक्टिव (TRC) ने बताया कि युवाओं का मार्च, 29 अप्रैल को शुरू हुआ था. इसमें भारत और नेपाल में टीवाईसी के 80 से अधिक स्वयंसेवकों की भागीदारी देखी गई है.
टीवाईसी के अध्यक्ष गोनपो धुंडुप ने कहा कि यात्रा… 23 मई, 1959 को तिब्बती प्रतिनिधियों से “17 पॉइंट एग्रीमेंट” पर जबरन हस्ताक्षर कराने और तिब्बत पर जबरन कब्जा के खिलाफ में शुरू किया गया. मुख्य उद्देश्य इस घटना की याद ताजा कराना है. यात्रा के दौरान, TYC कार्यकर्ताओं ने मांग की कि वैश्विक स्तर पर तमाम नेता चीन के खिलाफ आवाज बुलंद करें और चीन-तिब्बत संघर्ष को वैश्विक पटल पर ज्वलंत बनाएं. इस ग्रुप ने सितंबर 2023 में अपने शिखर सम्मेलन के दौरान जी20 नेताओं से इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध किया.
TYC ने चीनी सरकार से तिब्बती संस्कृति और पहचान पर हमला करने और उसे खत्म करने वाले औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों को तुरंत बंद करने और तिब्बत में अपने दमनकारी शासन को रोकने की मांग की. कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि तिब्बत चीन और कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच बढ़ते तनाव को हल करने में मायने रखता है. क्योंकि, लगभग 2 अरब लोग तिब्बती पठार से निकलने वाले मीठे पानी के संसाधनों पर निर्भर हैं. चीन द्वारा तिब्बती में पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से लंबे वक्त में कई देशों पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला साबित होगा.
टीवाईसी कार्यकर्ताओं ने चीनी औपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली के बारे में भी चिंता जताई, जिसने दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया और उन्हें चीनी सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया. यह एक नरसंहार नीति है जिसका उद्देश्य तिब्बती बच्चों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से दूर करना है. कार्यकर्ताओं ने चीनी व्यापक निगरानी प्रणाली की भी आलोचना की, जो तिब्बती पहचान और व्यक्तिगत गोपनीयता पर हमला करने के लिए पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों सहित तिब्बती डीएनए नमूने एकत्र करती है. तिब्बत में वर्तमान मानवाधिकार की स्थिति हाल के वर्षों में सबसे खराब स्थिति में से एक है, और चीन की दमनकारी नीतियों का उद्देश्य तिब्बतियों की पहचान को खत्म करना है.
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