Naim Qassem Deputy Leader of Hezbollah: पश्चिम एशियाई देश लेबनान में पिछले महीने इस्लामिक आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह को इजरायल ने मार गिराया था. नसरल्लाह के अलावा कई और हिजबुल्लाह नेता भी इजरायली सेना ने अलग-अलग ऑपरेशनों में मार गिराए.
हिजबुल्लाह की कमान बाद में नईम कासिम के हाथों में चली गई. जो कि हिजबुल्लाह का डिप्टी लीडर और संगठन के उप महासचिव बना दिया गया. हालांकि, इजरायल द्वारा हत्या के डर से कासिम ने लेबनान छोड़ दिया है, और अब वो इजरायल के ‘दुश्मन मुल्क’ ईरान में भाग गया है.
द टाइम ऑफ इजरायल के मुताबिक, यूएई बेस्ड एरेम न्यूज ने एक ईरानियन सोर्स से यह बात पता चली है. बताया जा रहा है कि नईम कासिम करीब हफ्ते पहले एक ईरानी प्लेन से लेबनान से भागने में कामयाब रहा. सोर्स के मुताबिक, इस्लामिक गणराज्य के शीर्ष नेताओं ने उसके स्थानांतरण का आदेश दिया था.
नईम कासिम की उम्र 71 वर्ष है. उसे हिजबुल्लाह में ‘नंबर दो’ के रूप में देखा जाता है. कासिम का शिया राजनीति से लंबा जुड़ाव रहा है. ऐसे में शिया बहुल मुल्क ईरान उसको सपोर्ट करता है, और उसके लिए अब ईरान एक सुरक्षित पनाहगाह भी है.
नईम कासिम 1970 के दशक में इमाम मूसा अल-सदर के आंदोलन में शामिल हुआ था. यही आंदोलन बाद में लेबनान में एक शिया ग्रुप के ‘अमल आंदोलन’ का हिस्सा बना. बाद में कासिम ‘अमल आंदोलन’ से अलग हो गया. उसने 1980 के दशक की शुरुआत में हिजबुल्लाह की स्थापना में मदद की. वह ग्रुप के संस्थापक मजहबी बाशिंदों में से एक है.
कासिम ने हिजबुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह की मौत के बाद से तीन भाषण दिए हैं. सूत्र का कहना है कि पहला भाषण बेरूत में रिकॉर्ड किया गया था, जबकि दूसरा और तीसरा भाषण तेहरान में दिया गया. नसरल्लाह की मौत के बाद कासिम ने 30 सितंबर को कहा कि ईरान समर्थित लेबनानी संगठन अपनी लड़ाई में ‘विजेता बनकर उभरेगा.’ उसने कहा कि हमारा ग्रुप लेबनान पर इजरायली सेना के जमीनी हमले का मुकाबला करेगा.
हालांकि, अब खबर आ रही है कि कासिम लेबनान को छोड़कर ईरान भाग गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कासिम 5 अक्टूबर को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची द्वारा लेबनान और सीरिया की राजकीय यात्रा के लिए इस्तेमाल किए गए विमान से बेरूत से रवाना हुआ था.
बता दें इजरायल डिफेंस फोर्सेज ने पिछले 27 सितंबर को, हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया था. वह 30 साल की उम्र में 1992 में हिजबुल्लाह का महासचिव बना था. अगले 32 वर्षों में उसने हिजबुल्लाह को न सिर्फ लेबनान बल्कि मध्य पूर्व की एक बड़ी ताकत बना दिया था.
– भारत एक्सप्रेस
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