Nilkantheshwar Mahadev Temple: देश में देवों के देव भगवान शंकर के तमाम मंदिर हैं. इनमें से कुछ तो ऐसी दुर्गम जगहों पर हैं कि पहुंचना भी मुश्किल होता है. हालांकि भक्त का शिव के प्रति आस्था और अनुराग इन बांधाओं को पूरा करने में मदद करता है. मंदिरों की बात चली है तो हम आपका परिचय शिव के ऐसे ही एक अनोखे मंदिर से कराने जा रहे हैं, जो गुजरात में स्थित है.
ये मंदिर गुजरात के नर्मदा जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला पर बसे गांव जूनाराज में स्थित है. मंदिर का नाम नीलकंठेश्वर महादेव है. इस मंदिर की खासियत ये है कि ये नर्मदा नदी पर बने कर्जन बांध के कैचमेंट एरिया के पानी में छह महीने तक डूबा रहता है. यही अनूठापन सनातन धर्म को अनुरागियों को मंदिर की ओर खींचता है.
मानसून के दौरान जैसे ही बारिश से बांध में पानी भर जाता है, शिव की उपासना का यह स्थान पानी में डूब जाता है और मानसून बीतने के बाद दोबारा प्रकट हो जाता है. इस कारण इस मंदिर को अंडरवाटर टेम्पल भी नाम दिया गया है.
भक्तों का मानना है कि मंदिर के जलमग्न अवस्था में रहने के दौरान भगवान शिव स्वयं यहां आकर निवास करते हैं. मंदिर के पानी में डूब जाना शिव की ध्यानमग्न अवस्था का प्रतीक है. इसके बाद मंदिर जब फिर से प्रकट होता है तो यह शिव के ध्यान से उठ जाने का प्रतीक है.
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जूनाराज कभी राजपीपला क्षेत्र की प्रशासनिक राजधानी हुआ करता था. मंदिर की स्थापत्य शैली क्षेत्र की समृद्ध विरासत को दर्शाती है. मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित किया गया है.
इसका निर्माण 500 साल पहले राजपूत शासक राजा चौकराना ने करवाया था, जो परमार वंश के वंशज थे. उन्होंने अपनी उज्जैन रियासत को छोड़कर सतपुड़ा पर्वतमाला क्षेत्र में एक नया राज्य स्थापित किया था. परमार राजवंश शैव समुदाय से संबंधित था, जो कि भगवान शिव जी की आराधना करते थे.
इस राजवंश की उत्पति 9वीं या 10वीं शताब्दी में हुई थी. हालांकि बाद के ऐतिहासिक स्रोतों से संकेत मिलता है कि राजा चौकराना द्वारा कुमार श्री समरसिंहजी को गोद लेने से राजपीपला में गोहिल राजपूतों का शासन शुरू हुआ था.
-भारत एक्सप्रेस
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