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इस गांव में कोई ब्याहना नहीं चाहता अपनी बेटियां…लड़के कुंवारे ही हो जाते हैं बूढ़े! वजह चौंका देगी आपको

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक की इमलीडोल ग्राम पंचायत के जरुआ गांव में पेयजल संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है. गर्भवती महिलाओं को भी कई किलोमीटर दूर जाकर कुंड से पानी लाना पड़ता है.

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सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Water Crisis in MP Damoh: दुनिया में हर रोज हैरान कर देने वाली खबरें सामने आती रहती हैं और लोग ऐसी खबरों को पढ़कर यही सोचते हैं कि क्या ऐसा भी होता है? ठीक इसी तरह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के एक गांव से खबर सामने आई है कि इस गांव के लड़कों से कोई अपनी बेटी की शादी तक नहीं करना चाहता. इसके पीछे की जो वजह लोगों ने बताई है, वह वाकई हैरान करने वाली है. क्योंकि देश की आजादी के कई सालों बाद भी यहां पर पेयजल एक संकट बना हुआ है और ये ही बड़ी वजह है कि यहां पर बिना शादी के ही लड़के बूढ़े होते जा रहे हैं.

हालांकि इस समस्या से देश के कई गांव जूझ रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक की इमलीडोल ग्राम पंचायत के जरुआ गांव की समस्या कुछ अधिक की गम्भीर है. क्योंकि यहां पर इस संकट के चलते किसी दूसरे गांव का व्यक्ति अपनी बेटी-बहन का हाथ यहां के किसी लड़के के हाथ में नहीं देना चाहता है. क्योंकि सभी यही सोचते हैं कि अगर बेटी की शादी जरुआ गांव में कर दी तो उनकी बेटी भी इस समस्या को ताउम्र झेलती रहेगी. हालात तो ऐसे हो गए हैं कि यहां के लड़के कुंवारे ही बूढ़े होते जा रहे हैं. कई लड़कों की उम्र 50 के ऊपर हो गई है लेकिन उनकी अभी तक शादी नहीं हुई है. यहां तक कि आस-पास के गांव के लोग यहां के लड़कों के लिए रिश्ते तक लेकर नहीं आते. वहीं गांव के कुछ लोग कहते हैं कि इसी समस्या के चलते अब लोग यहां से अपना घर छोड़कर जा रहे हैं तो वहीं तमाम लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने बच्चों को दूसरे गांवों में पढ़ने व रहने के लिए भेज दिया है. यही वजह है कि यहां पर दिन पर दिन आबादी भी घटती जा रही है.

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नहीं चल पाती कोई सरकारी योजना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां की कुल आबादी करीब 1200 है. इस गांव के लोग बताते हैं कि बीते करीब 20 सालों में पेयजल संकट और भी गहरा गया है. गर्मी में तो हालात और भी बत्तर हो जाते हैं तो वहीं सरकारी योजनाओं को लेकर जनपद सीईओ मनीष बागरी कहते हैं कि जरुआ गांव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. वह कहते हैं कि यहां की जमीन पथरीली है. इसी वजह से हैंडपंप और बोरवेल सहित पेयजल के लिए चलाई जाने वाली कोई भी योजना साकार ही नहीं हो पाती है. वह कहते हैं कि गर्मी में लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए जल निगम के अधिकारियों से बात की गई है. जल्द ही इस समस्या का कोई हल निकाला जाएगा.

एक ही कुंड से जनता और मवेशी पीते हैं पानी

इस गांव के लोग बताते हैं कि यहां की बेटियां की शादी तो हो जाती है और वे दूसरे गांव चली जाती हैं लेकिन यहां के बेटों की शादी नहीं होती. क्योंकि दूसरे गांव का कोई भी व्यक्ति इस समस्या की वजह से अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहता. क्योंकि पीने के पानी को लेने जाने के लिए दूर तक जाना पड़ता है. सुबह से लेकर देर शाम तक लोग पानी ही भरते रहते हैं. अगर कोई गर्भवती महिला होती है तो उसको भी घर से दूर स्थित कुंड में पानी भरने के लिए जाना पड़ता है. कई किलोमीटर दूर तक इसके लिए चलना पड़ता है. नाले में कुंड को बनवाया गया है. इसी पानी से गांव की जनता के साथ ही मवेशियों को पीने का पानी मिलता है.

-भारत एक्सप्रेस

 



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