विश्लेषण

नेपाल का राजपरिवार नरसंहार: राजकुमार दीपेंद्र ने पहले राजा और रानी समेत 12 लोगों को गोलियों से भूना, फिर खुद को गोली मार ली, आज के नेपाली PM प्रचंड ने भारत पर लगाया था गंभीर आरोप

आज ही के दिन 22 साल पहले यानी 1 जून 2001 को नेपाल समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया. नेपाल के शाही परिवार की हत्या की खबरें टीवी पर फ्लैश होने लगीं. हत्या किसने की? क्यों की? यह सवाल सबके जहन में कौंधने लगा. खबरियां चैनलों ने इसका भी जवाब मौके से देना शुरू कर दिया. घटना में नेपाल के युवराज राजकुमार दीपेंद्र का नाम सामने आया. खबरों के मुताबिक नेपाल के काठमांडू स्थित शाही महल नारायणहिती पैलेस में उस दिन शाम की पार्टी चल रही थी. हर सप्ताह होने वाली इस पार्टी में राजा बीरेंद्र और रानी ऐश्वर्या समेत राजपरिवार के एक दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद थे.

राजपरिवार की पार्टी में राजकुमार दीपेंद्र भी पहुंचे. लेकिन, इस बार की पार्टी पहले की तरह नहीं थी. एक ओर राजपरिवार के बच्चों से लेकर बुजुर्ग गार्डन में नाच-गाना कर रहे थे. तो वहीं दूसरी ओर दीपेंद्र जमकर शराब पी रहे थे और भयंकर नशे में थे. हालांकि, उन्होंने पार्टी में अपनी हाजिरी शाम के साढ़े 6 बजे ही लगा दी थी और थोड़ी देर उन्होंने बिलियर्ड भी खेला. लेकिन, इसके आधे से एक घंटे के बाद लोगों ने उन्हें धुत्त नशे में पाया. तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब वह अपने पैरों पर सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे. नशे में लड़खड़ाकर गिरने के बाद उन्हें उनके छोटे भाई निराजन और चचेरे भाई पारस ने कुछ और लोगों की मदद से उठाकर उनके कमरे में पहुंचाया.

कुछ ही देर बार दीपेंद्र नेपाली आर्मी की वर्दी पहने दीपेंद्र बाहर निकले. उनके एक हाथ में जर्मन मेड ऑटोमेटिक गन MP5K थी और दूसरे हाथ में कोल्ट M16 राइफल. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन्होंने एक 9 MM की पिस्टल भी अपनी कमर से लगा रखी थी. दीपेंद्र को इस हालत में बाहर आता देख वहां मौजूद कुछ लोगों को हैरानी जरूर हुई. दीपेंद्र सीधे उस कमरे की ओर गए जहां उनके पिता बीरेंद्र बैठे थे. वहां उन्होंने पहुंचते ही अपने पिता की ओर गन का नली की और ट्रिगर दबा दिया. अगले ही पल नेपाली राजा बीरेंद्र जमीन पर पड़े थे. दीपेंद्र को रोकने के लिए उनके एक चाचा उनकी तरफ बढ़े, लेकिन तब उन्होंने बेहद करीब से अपने चाचा के सिर में गोली मार दी.

इसके बाद राजकुमार दीपेंद्र कमरे से बाहर निकलकर गार्डन के उस ओर बढ़े जहां पर पार्टी चल रही थी. हालांकि, पार्टी कर रहे बाकी सदस्यों को कुछ अनहोनी का अहसास तब तक हो चुका था. महारानी ऐश्वर्या और छोटे भाई प्रिंस निराजन भी दीपेंद्र को रोकने के लिए दौड़े. लेकिन, दीपेंद्र ने दोनों को ‘ऑन द स्पॉट’ गोली मारकर ढेर कर दिया. महज 3 मिनट के भीतर दीपेंद्र ने 12 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था. आखिर में वह गार्डन से बाहर आकर एक जगह खड़े हुए और जोर-जोर से चीखने लगे. चीखते-चीखते ही खुद के ही सिर में गोली मार ली.

आनन-फानन में कातिल दीपेंद्र और राजा बीरेंद्र समेत तमाम लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. महारानी को पहुंचते ही मृत घोषित किया गया. जबकि, राजा बीरेंद्र की सांसे अभी भी चल रही थीं. लेकिन, थोड़ी देर बाद उन्हें भी मृत घोषित कर दिया गया. हत्यारे राजकुमार दीपेंद्र 3 दिन तक आईसीयू में जिंदा रहे. 4 जून को उनकी भी मौत हो गई.

राजकुमार दीपेंद्र ने गोली क्यों मारी?

राजपरिवार में इतनी बड़ी घटना के बाद हड़कंप मचना लाजमी था. हत्या को लेकर कई तरह की थ्यौरी चर्चा का विषय बनीं. जिसमें राजा बीरेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र का साजिश रचना, जिसके मुताबिक वह खुद राजा बनना चाह रहे थे. दूसरी थ्योरी के मुताबिक दीपेंद्र का देवयानी नाम की लड़की से इश्क और राजा बीरेंद्र तथा महारानी ऐश्वर्या का इस रिश्ते से इनकार और तीसरा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और भारतीय खुफिया एजेंसी RAW को वजह बताया गया.

राजकुमार दीपेंद्र और देवयानी की क्या थी कहानी?

इस हत्याकांड के दो सप्ताह बाद प्रमुख अखबार ‘नेपाल टाइम्स’ ने सनसनीखेज़ दावा किया. अखबार के मुताबिक दीपेंद्र ने हत्या जैसे खूंखार कदम गुस्से में उठाया. क्योंकि, दीपेंद्र देवयानी राणा से इश्क करते थे और शादी करना चाह रहे थे. लेकिन, राजपरिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. राजा बीरेंद्र और रानी ऐश्वर्या इसके विरोध में थे. चूंकि, दीपेंद्र और देवयानी इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान (1987-1990) ही मिले थे और इनके बीच प्रेम-प्रसंग बढ़ा. तभी से दीपेंद्र देवयानी से शादी को लेकर घर वालों की मिन्नतें कर रहे थे. लेकिन, राजपरिवार अपने ही किसी दूर के रिश्तेदार से दीपेंद्र की शादी कराना चाह रहे थे.

अखबार के मुताबिक हत्या से कुछ दिन पहले राजा बीरेंद्र ने दीपेंद्र को डांट लगाई थी और राजपरिवार से बेदखल करने की धमकी भी दी थी. आखिर में दीपेंद्र का सब्र टूटा और भयंकर नशे में उन्होंने पारिवारिक नरसंहार को अंजाम दे दिया. आपको बता दें कि देवयानी भी कोई आम परिवार से ताल्लुक नहीं रखती थीं. वह नेपाल में तीन बार के मंत्री रह चुके पशुपति शमशेर जंग बहादुर राणा की बेटी थीं. उनके तार भारत के राजपरिवार से जुड़े थे. देवयानी की मां ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया और महारानी विजयराजे सिंधिया की बेटी थीं. यानी देवयानी की नानी विजयराजे सिंधिया थीं. कहा जाता है कि देवयानी का परिवार भी इस रिश्ते से खुश नहीं था और वह भी शादी के खिलाफ था.

ज्ञानेंद्र पर लगा हत्याकांड की साजिश रचने का आरोप

1 जून को जब राजकुमार दीपेंद्र ने राजनिवास में गोलीबारी की, उस दिन चाचा ज्ञानेंद्र और उनके बेटे पारस काठमांडू में नहीं थे. हत्याकांड के तुरंत बाद ही उनके राजा बनाए जाने की लॉबिंग भी तेज हो गई. राजा बीरेंद्र के डॉक्टर ने प्रेसकॉन्फ्रेंस की और इस दौरान ज्ञानेंद्र को लेकर काफी पॉजिटिव बातें और उनके व्यक्तिव के बढ़िया पहलुओं को पेश किया. दीपेंद्र की मौत होते ही ज्ञानेंद्र को नेपाल का राजा भी बना दिया गया. अचानक से तब्दील हो रहीं गतिविधियों को लोगों ने अलग ढंग से देखना शुरू कर दिया. तब यह आरोप लगाया गया कि ज्ञानेंद्र और पारस ने मिलकर राजा बीरेंद्र समेत उनके परिवार की हत्या की साजिश रची थी.

RAW और CIA की साजिश

राजपरिवार में हुए नरसंहार पर तरह-तरह की थ्योरियां सामने आ रही थीं. मीडिया रिपोर्ट में नए-नए और चौंकाने वाले दावे किए जा रहे थे. इन्हीं दावों में शामिल था अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और भारत की खुफिया एजेंसी RAW की हत्याकांड में भूमिका का आरोप. हालांकि, इस तरह का आरोप लगाने वालों में माओवादी विचारधारा के लोग शामिल थे. ज्यादातर कम्युनिस्ट विचारधारा वाले राजनीतिक दल इस थ्योरी को काफी हवा दे रहे थे. इन्हीं में आज के नेपाली प्रधानमंत्री और तत्कालीन माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड भी शामिल थे. प्रंचड ने इसमें भारत का हाथ होने का आरोप लगाया था.

यह भी पढ़ें- नेपाल के प्रधानमंत्री से पीएम मोदी ने की मुलाकात, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

दरअसल, 6 जून 2001 को नेपाल के अंडरग्राउंड माओवादी नेता बाबूराम भट्टाराई ने एक अखबार में लेख लिखा और हत्याकांड को पोलिटिकल कॉन्सपिरेसी नाम दिया. उन्होंने ही अपने लेख में CIA और RAW पर आरोप लगाए. हालांकि, इसके तुरंत बाद अखबार के तीन संपादकों को गिरफ्तार कर लिया गया.

जांच रिपोर्ट में क्या निकला?

इसं नरसंहार की जांच को परत-दर-परत पूरा किया गया. जांच के लिए नेपाल के चीफ जस्टिस केशव प्रसाद उपाध्याय और नेपाली संसद के स्पीकर तारानाथ राणाभट की एक कमेटी नियुक्त की गई थी. सैकड़ों गवाहों के बयानात के मद्देनजर यह तय हुआ कि हत्या दीपेंद्र ने ही की और खुद को गोली भी मारी.

-भारत एक्सप्रेस

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

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