हमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है. विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्या काफ़ी है. परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये. इधर भारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहां के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता. इसी के चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई. परंतु क्या सभी विद्यार्थियों के हिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तो नहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरत है.
विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने-कोने में जाते हैं. इनमें सबसे ज़्यादा लोकप्रिय देश यूके, अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं. आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले भारतीयों की संख्या क़रीब 13 लाख थी. ऐसा नहीं है कि विदेशों में पढ़ना सस्ता होता है. जो भी छात्र विदेशों में पढ़ाई के लिए गये उन्होंने प्रतिवर्ष औसतन 32 लाख रुपये खर्च किए. परंतु इतना ख़र्च करने के बावजूद क्या उन्हें वो सब मिला जिसकी खोज में ये अपना घर-भार छोड़ कर गये? क्या विदेशों में पढ़ाई करने वाले सभी भारतीयों के सपने सच होते हैं?
ऐसा तो नहीं है कि भारत में अच्छे कॉलेज और यूनिवर्सिटी नहीं हैं. हमारे यहां 1200 विश्वविद्यालय हैं और क़रीब 50 हज़ार कॉलेज. इसके बावजूद हमारे यहां के छात्र अगर विदेशों में पढ़ाई करने जा रहे हैं तो उसके पीछे कई कारण हैं. अच्छे कॉलेज में दाख़िला पाने की प्रतियोगिता, शिक्षा से आमदनी, अच्छा जीवन स्तर और हैसियत. इन कारणों के चलते यदि किसी छात्र को भारत में मौक़ा नहीं मिलता तो उसके पास विदेश जाने का ही विकल्प बचता है. परंतु विदेशों में शिक्षा पाना इतना आसान नहीं होता. उच्च शिक्षा के लिए वीज़ा पाना भी एक अहम बात होती है. विदेश यात्रा और वहां पर रहन-सहन का ख़र्च भी काफ़ी होता है. इसी कारण वहां पर पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्र पार्ट-टाइम नौकरी भी करते हैं. इसी सुहावने सपने का झांसा दे कर कुछ चुनिंदा एजेंट भोले-भाले छात्रों को ठगने में कामयाब भी हो जाते हैं.
बात कनाडा की करें तो उच्च शिक्षा के लिए यह देश भारतीयों का सबसे पसंदीदा देश है. इतना ही नहीं कनाडा में पढ़ने जाने वालों में पंजाब के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. एक के बाद एक पंजाब के गांवों से युवकों का कनाडा में पलायन एक सपने की तरह होता है. ये भोले-भाले युवक इन सुहावने सपनों के जाल में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनके मित्र व रिश्तेदार कनाडा या विदेशों में जाने के कुछ ही महीनों में अपनी ऐसी तस्वीरें भेजते हैं जहां वो महंगी गाड़ियों में घूमते व बड़े-बड़े घरों में दिखाई देते हैं. बस इसे देखते ही हर युवक का मन भी विदेश जाने को उतावला हो जाता है. बस फिर क्या वो सीधे-सादे किसान अपनी ज़मीन-जायदाद को गिरवी रख एजेंटों के चक्कर में आ जाते हैं.
कनाडा जाने वाले कुछ छात्रों को यह भी नहीं पता होता कि उनका दाख़िला जिस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में हुआ है उसकी मान्यता कैसी है. कनाडा में ऐसे कई कॉलेज हैं जिनके द्वारा दी गई डिग्री का कोई भी अहमियत नहीं है. यानी कि उन डिग्रियों पर नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है. कनाडा में ऐसे कई कॉलेज हैं जो कि किसी शॉपिंग मॉल से चलाये जा रहे हैं. एक कमरे से चलने वाले ऐसे कॉलेजों के द्वारा दाख़िला मिलने पर भी वहां की सरकार वीज़ा दे देती है. जबकि अन्य देशों में ऐसे कॉलेजों को कोई महत्व नहीं दिया जाता. कनाडा में कॉलेज खोलने के लिए सरकार द्वारा लाइसेंस आसानी से मिल जाता है. उसी आधार पर विदेशी छात्रों को वीज़ा भी मिल जाता है. आंकड़ों के अनुसार विदेशी छात्र कनाडा की जीडीपी में सालाना 20 अरब कैनेडियन डॉलर का योगदान देते हैं. शायद इसीलिए ऐसे छोटे कॉलेजों के द्वारा नियम क़ानून न मानने पर कोई सख़्त करवाई नहीं की जाती.
ऐसा नहीं है कि कनाडा में सभी कॉलेज निम्न स्तर के हैं. विदेशों से जो भी छात्र स्नातक की डिग्री लेकर आते हैं उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार अच्छे कॉलेजों में दाख़िला मिल जाता है. परंतु जो भी छात्र बारहवीं पास करने के बाद यहां आते हैं उनके लिए डिप्लोमा कोर्स लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. इस डिप्लोमा कोर्स की उपयोगिता सिवाय छात्रों से पैसा कमाने के और कुछ भी नहीं होती. ऐसा नहीं है कि कनाडा सरकार को इस गोरखधंधे के बारे में कुछ नहीं पता. यहां की सरकार को जैसे ही पता चला कि ऐसे कई कॉलेज हैं जो अपनी क्षमता से अधिक विदेशी छात्रों को दाख़िला दे रहे हैं उन्होंने एक सूचना भी जारी की जिसमें विदेशी छात्रों को यह हिदायत दी गई कि फ़ीस जमा करने से पहले कॉलेज की ठीक से जांच अवश्य कर लें.
परंतु सीधे-सादे छत्रों को ठगने में एजेंट पीछे नहीं रहते. इतना ही नहीं अब तो कई ऐसे एजेंट हैं जिनके कनाडा में कॉलेज भी हैं और वो छात्रों को बड़ी आसानी से दाख़िला भी दे देते हैं. यदि किसी छात्र को पता है कि वो कनाडा जाने के योग्य नहीं है तो ये एजेंट उसे बहला फुसला कर फ़र्ज़ी दस्तावेज बना देते हैं. लेकिन इस पाखंड का पर्दा तब उठता है जब केवल डिप्लोमा करने के लिए ये छात्र विदेश पहुंचते हैं. इस जाल में फंसने के बाद कठिन परिस्थितियों में उन्हें मजबूरन अपना गुज़ारा मज़दूरों की तरह करना पड़ता है. इसलिए यदि आप या आपका कोई जानकार विदेश में पढ़ाई करने के बारे में सोच रहा है तो उसे पूरी छान-बीन के बाद ही ऐसा कदम उठाना चाहिए.
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