विश्लेषण

Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के साइड इफेक्ट्स! अति पिछड़े वर्ग के नेताओं ने नीतीश-लालू की बढ़ाई टेंशन, अब MY को कैसे साधेंगे?

Bihar Politics: बिहार में जातीय जनगणना के साइड इफेक्ट्स सामने आने शुरू हो गए हैं. अति पिछड़े वर्ग के नेताओं ने ‘जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी’ के तहत टिकट की मांग की है. अब तक जहां MY समीकरण के जरिए राजद ने बिहार में काम चलाया है. वहां अगर MY के आधार पर टिकट नहीं देते हैं तो राजद के पुराने नेता नाराज हो सकते हैं. वहीं अगर टिकट देते हैं तो अति पिछड़े की ओर से जितनी आबादी ,उतनी हिस्सेदारी के नारे को जुमला करार दिया जा सकता है. अब तक किसी भी चुनाव में सबसे ज्यादा टिकट मुसलमानों और यादवों को दिया जाता था.

फंस गई RJD और JDU!

कुल मिलाकर RJD फंस गई है. इसका आलम अभी से देखने को मिल रहा है. दरअसल, राजद के आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को धमकी दी है कि टिकट नहीं मिलने पर निदर्लीय चुनाव लड़ेंगे. यही स्थिति जेडीयू में भी है. इधर भी नेताओं ने नीतीश कुमार को साफ-साफ कहा है कि टिकट नहीं तो पार्टी नहीं. अब दोनों पार्टियों ने इस मुसिबत का हल ये निकाला है कि जिस नेता को टिकट नहीं देने है उस सीट को दूसरे दल के खाते में डाल दो. हालांकि ये फॉर्मूला कामयाब होता नहीं दिख रहा है. यहां सबसे पहले जानना जरूरी है कि बिहार में किस जाति के कितने लोग हैं? इसके बाद हम आगे की बात करेंगे.

राज्य में किसकी कितनी आबादी?

बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े के मुताबिक, राज्य में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है. वहीं सवर्ण एक तरह से काफी कम आबादी में सिमट गए हैं. आबादी के हिसाब से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी है जिसकी संख्या 4,70,80,514 है. वहीं पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी है जिनकी तादाद 3,54,63,936 है. जबकि अनुसूचित जाति के लोग 19.6518% हैं, इनकी आबादी 2,56,89,820 है. वहीं अनुसूचित जनजाति की आबादी 21,99,361 है जो कि कुल आबादी का 1.6824% है. अनारक्षित यानी जनरल कास्ट, जिसे सवर्ण भी कह सकते हैं, की आबादी 2 करोड़ 02 लाख 91 हजार 679 है, ये बिहार की कुल आबादी का 15.5224 प्रतिशत है.

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JDU सांसद सुनिल पिंटू ने दिए बगावत के संकेत

अब जबकि कांग्रेस ने कहा है कि ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ तो अति पिछड़े वर्ग के नेताओं ने राजद और जेडीयू से आबादी के अनुसार टिकट की मांग कर दी है. इसके बाद से दोनों पार्टियों के टूटने का खतरा बढ़ गया है. हाल ही में जेडीयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा था कि राज्य में तेली समाज की गिनती सही से नहीं की गई है. अति पिछड़े जाति के नेता ने आलाकमान को बागी होने का संकेत दे दिया है. उन्होंने कहा था कि वह प्रखंडवार डेटा सीएम नीतीश को सौंपेंगे कि राज्य में तेली की सही आबादी कितनी है. कयास लगाया जा रहा है कि सीतामढ़ी की सीट को जेडीयू गठबंधन को देने का मन बना लिया है. इसलिए पिंटू ने बगावत का संकेत दिया है. ऐसे कई और अति पिछड़े नेता है जिन्होंने पार्टियों के सामने चुनौती खड़ा कर दिया है.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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