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Bihar Caste Census

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के बाद अब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का ऐलान कर दिया है. नीतीश कुमार के इस दांव के बाद अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उन्होंने 2024 चुनाव के लिए लाइन क्लियर कर दी है?

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं. एक तरफ बीजेपी है तो दूसरी तरफ INDIA गठबंधन है. दोनों के लिए ही जातिगत जनगणना एक बड़ा मुद्दा है. विपक्ष ने जातिगत जनगणना का दांव चला है, वहीं बीजेपी हिंदुत्व और सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे है.

अब जबकि कांग्रेस ने कहा है कि 'जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' तो अति पिछड़े वर्ग के नेताओं ने राजद और जेडीयू से आबादी के अनुसार टिकट की मांग कर दी है. इसके बाद से दोनों पार्टियों के टूटने का खतरा बढ़ गया है.

देश के 5 राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपना-अपना पासा फेंक रहे हैं. जिससे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा जा सके.

पिछली बार जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, तब जातीय राजनीति की लहर ने बीजेपी ब्रांड के हिंदू ध्रुवीकरण को सफलतापूर्वक चुनौती दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'गरीब' को सबसे बड़ी आबादी बताया है. मोदी ने ये बयान इसलिए दिया, क्योंकि बिहार की जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने और उसके बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 'जितनी आबादी, उतना हक' की बात दोहराई. ऐसे में जानना जरूरी है कि भारत में वाकई गरीबों की कितनी आबादी है?

इंदिरा का कार्ड, हिंदुओं का हक...जातीय जनगणना की 'काट' के लिए नरेंद्र मोदी ने खोल दिए अपने पत्ते. बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद से ही विपक्ष आक्रामक है. विपक्ष सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को घेरने में जुटा है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं.

मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार को अपनी नीति और नीयत में जनभावना का ध्यान रखते हुए जातीय आधारित गणना पर सर्वे शुरू कर देना चाहिए। यह भी कहा कि असल में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना कराकर ही वाजिब अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है।

जाति आधारित जनगणना की मांग एक बार फिर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार को परेशान करने लगी है। आम चुनावों में मुश्किल से एक साल रह गए हैं और इसलिए वह इस संवेदनशील मुद्दे पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है।

नीतीश सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. इनमें 27% अन्य पिछड़ा वर्ग और 36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग है. यानी, ओबीसी की कुल आबादी 63% है. अनुसूचित जाति की आबादी 19% और जनजाति 1.68% है. जबकि, सामान्य वर्ग 15.52% है.