विश्लेषण

हरियाणा में अनबन के बावजूद JJP के साथ रहना BJP की मजबूरी! राजस्थान से है इसका सीधा कनेक्शन

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी (JJP) के बीच खींचतान की खबरें आती रही हैं. दोनों दलों के बीच गठबंधन के बाद से ही तनातनी चल रही है. हालांकि दोनों दल मिलकर हरियाणा में सरकार चला रहे हैं. दरअसल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी किसान आंदोलन के दौरान बेहद आक्रामक नजर आई थी और ऐसा लगा था कि किसान आंदोलन के कारण पंजाब के बाद हरियाणा में भी बीजेपी को झटका लगेगा. लेकिन दोनों दलों ने इसे सियासी संकट के तौर पर पनपने नहीं दिया.

चर्चाएं ये हैं कि हरियाणा के लोकल नेताओं की तरफ से बीजेपी लीडरशिप से जेजेपी के साथ गंठबंधन तोड़ने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन राजस्थान की सियासी मजबूरियों के कारण ये गठबंधन बना हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी आलाकमान ने स्थानीय नेतृत्व से जेजेपी के बिना हरियाणा में सरकार में बने रहने के विकल्प तलाशने के संकेत दिए थे. लेकिन अब राजस्थान में होने वाले चुनाव के मद्देनजर इस पर दोबारा विचार किया जा रहा है.

जेजेपी को नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी!

हरियाणा से सटे कुछ जिलों में जेजेपी प्रभाव डाल सकती है और ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी दल को नाराज नहीं करना चाहती है. झुंझुनू, चुरू, हनुमानगढ़, अलवर, सीकर, अलवर और जयपुर हरियाणा से सटे हुए जिले हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होना है, लेकिन राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी वक्त किया जा सकता है. जेजेपी हरियाणा से बाहर अपनी पार्टी के विस्तार की संभावनाएं तलाश रही है. कुछ महीनों पहले ही दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि वे राजस्थान की 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की नजरें अब जेजेपी के अगले कदम पर टिकी हुई हैं.

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राजस्थान में मुश्किलों को नहीं बढ़ाना चाहती बीजेपी

कांटे की टक्कर वाले विधानसभा चुनाव में छोटे दल कई बार बड़े दलों का गेम बिगाड़ देते हैं और ये बात बीजेपी बखूबी जानती है. भाजपा नहीं चाहेगी कि उसका वोट विभाजित हो. राजस्थान में बीजेपी सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी हुई है लेकिन यहां भी उसे अंदरुनी कलह के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वसुंधरा राजे की नाराजगी जगजाहिर तो है ही, साथ ही दूसरे नेताओं की दावेदारी ने भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इसी वजह से बीजेपी ने राजस्थान में सीएम फेस घोषित किए बिना चुनाव में उतरने के संकेत दिए हैं. इन चुनौतियों के बीच अगर जेजेपी 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है तो दोनों दलों के बीच दूरियां और भी बढ़ सकती हैं.

जेजेपी और बीजेपी के बीच खींचतान नई नहीं है. किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी का समर्थन करने पर दुष्यंत चौटाला को अपनी ही पार्टी के नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी. वहीं नूंह हिंसा के दौरान भी दोनों दलों के बीच बयानबाजी हुई. इसके अलावा, हरियाणा की 10 लोकसभा सीटें दोनों दलों के बीच तनातनी की वजह बनी हुई हैं क्योंकि बीजेपी अपने सहयोगी के लिए इनमें से कुछ सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है.

दूसरी तरफ, हाल ही में बीजेपी के नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने जेजेपी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए थे और कहा था कि अगर दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ गठबंधन बरकरार रहा तो वे पार्टी छोड़ देंगे. हालांकि, बीरेंद्र सिंह के इस रूख पर बीजेपी ने नाराजगी नहीं जताई. पार्टी के नेताओं का कहना था कि बीरेंद्र सिंह ने जेजेपी के खिलाफ बोला है, बीजेपी के खिलाफ नहीं.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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