Bharat Express

गहलोत के 28 मंत्रियों में केवल 3 महिलाएं, OBC को लेकर हल्ला मचाने वाली कांग्रेस की सरकार में ऐसा है जातीय समीकरण

Rajasthan Election 2023: पिछले चुनाव की बात करें तो राजस्थान में 38 जाट और आठ गुर्जर विधायक जीते थे. कांग्रेस ने 15 मुस्लिम उतारे थे, लेकिन जीते सिर्फ 7. मीणा से 18 विधायक बने. इनमें कांग्रेस के 9 और भाजपा के पांच और तीन निर्दलीय हैं.

ashok gehlot

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (फोटो फाइल)

Rajasthan Election 2023: साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चनाव होने हैं. चुनाव तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी है लेकिन राजस्थान में सियासी गर्मी सबसे तेज है. हाल ही में संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था जो अब कानून बन चुका है. इसके मुताबिक, देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी तय हो गई है. यह मुद्दा अब राजस्थान में भी उठने लगा है. बिहार के जातीय जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद तो महिला आरक्षण चर्चा के केंद्र में है.

जातिगत जनगणना को लेकर मुखर कांग्रेस जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी की बात कर रही है. राहुल गांधी केंद्र सरकार को ओबीसी सचिवों के मुद्दे पर घेर रहे हैं. इन सबके बीच कांग्रेस शासित राज्य में महिला मंत्रियों की संख्या और ओबीसी को लेकर भी बवाल मचा हुआ है. आइये जानते हैं कि अशोक गहलोत की सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या और जातिगत समीकरण क्या है?

गहलोत सरकार में 28 मंत्री

बता दें कि गहलोत के पास 28 मंत्रियों की टीम है. इसमें 19 कैबिनेट तो 9 राज्य मंत्री हैं. 28 मंत्रियों के मंत्रिमंडल में महिला मंत्रियों की संख्या बस 3 हैं. मतलब गहलोत की सरकार में महिलाओं की भागीदारी महज 10 फीसदी के करीब है. अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो 2 मंत्री ब्राह्मण और तीन वैश्य समुदाय से हैं. वहीं जाट समाज से 4 कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री हैं.

“मेरी दादी इंदिरा गांधी ‘महापुरुष’ थीं”, जब जनसभा को संबोधित करते हुए फिसल गई प्रियंका गांधी की जुबान, हुई ट्रोल

गहलोत सबसे बड़े ओबीसी चेहरा

मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के चार कैबिनेट मंत्री हैं तो वहीं अनुसूचित जाति के तीन कैबिनेट और दो राज्यमंत्री हैं. गुर्जर और राजपुत को भी एक मंत्री सीट दिया गया है. अगर ओबीसी की बात करें तो गहलोत खुद इसी वर्ग से आते हैं. राजस्थान में अशोक गहलोत सबसे बड़े ओबीसी चेहरा हैं. और भी ओबीसी नेता हैं जिनमें राजेंद्र यादव, सुखराम विश्नोई और उदयलाल आंजना शामिल हैं. अब इस चुनाव में जातिगत समीकरण और महिला आरक्षण के मुद्दे पर देखना होगा कि सत्ता किस ओर पलटती है. हालांकि, सत्ता बदलने के ट्रेंड को तोड़ने के लिए गहलोत खूब लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं. तरह-तरह के वादे कर रहे हैं.

पिछले चुनाव में जातिगत समीकरण

अगर पिछले चुनाव की बात करें तो राजस्थान में 38 जाट और आठ गुर्जर विधायक जीते थे. कांग्रेस ने 15 मुस्लिम उतारे थे, लेकिन जीते सिर्फ 7. मीणा से 18 विधायक बने. इनमें कांग्रेस के 9 और भाजपा के पांच और तीन निर्दलीय हैं. पिछले चुनाव में राजपूत भी भाजपा से नाराज थे. उस चुनाव में भाजपा ने राजपूतों को 26 टिकट दिए, लेकिन दस जीते, जबकि कांग्रेस ने 15 को दिया और सात जीते. राजनीति के जानकारों का कहना है कि राजस्थान में ओबीसी दो हिस्सों में बंटे हैं. एक जाट और दूसरे ग़ैर जाट. जाट बहुत राजनीतिक निर्णय लेते हैं और वे अभी भाजपा के साथ ख़ुले तौर पर नज़र नहीं आ रहे. जबकि कुम्हार, सुथार, चारण, रावणा राजपूत, यादव, गुर्जर और बहुतांश में माली जाति का रुख भी भाजपा की तरफ दिखता है. हालांकि, ये तमाम तरह के समीकरण नतीजे तक सिर्फ कयास ही होते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

Bharat Express Live

Also Read