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MP Election: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है मायावती की पार्टी, GGP के साथ किया गठबंधन

MP Election: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी साल के अंत में चुनाव होने हैं. राज्य में कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच ‘सत्ता युद्ध’ के आसार हैं. राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारी जोर-शोर से कर रही हैं. इस बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी मध्य प्रदेश में उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. इसके लिए मायावती की पार्टी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (Gondwana Ganatantra Party) के साथ गठबंधन किया है. बसपा के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने सीट शेयरिंग को लेकर घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा है कि बसपा 178 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि जीजीपी 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.

भाजपा और कांग्रेस की तानाशाही शासन होगा खत्म: बसपा

इतना ही नहीं दोनों नेताओं ने राज्य में सरकार बनाने की बात भी कही है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों दलों के नेताओं ने कहा, ” मध्य प्रदेश में दलित, आदिवासियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए इस गठबंधन की सरकार बनेगी.”  उन्होंने कहा कि इससे भाजपा और कांग्रेस की तानाशाही और पूंजीवादी शासन खत्म भी होगा. हमारी सरकार गरीबों के साथ न्याय करेगी.

बता दें कि मध्य प्रदेश में मायावती की पार्टी बसपा, कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है. अगर पिछले चुनाव की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी को महज 2 सीटों पर जीत मिली थी. बाद में मायावती के दोनों विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे.

बसपा का वोट बैंक

गौरतलब है कि 1990 के विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती की पार्टी ने पहली बार मध्य प्रदेश में एंट्री ली. तब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक ही हुआ करते थे. जब राज्य का विभाजन हुआ और मध्य प्रदेश से साल 2000 में छत्तीसगढ़ अलग हुआ तो सीटों की संख्या 320 से घटकर 230 रह गई. 1990 के चुनाव के दौरान बसपा को सिर्फ देवतालाब सीट से जीत मिली. 1993 में पार्टी के प्रदर्शन में थोड़ा सुधार हुआ. बसपा ने 230 सीटों में से 10 सीटें जीतीं.

1998 में यह संख्या घटकर 8 हो गई. 2003 में बसपा केवल दो सीटें जीतने में सफल रही. साल 2008 के चुनाव में बसपा के खाते में 7 सीटें आईं. राज्य के लगभग हर सीट पर बसपा का प्रभाव है. हालांकि, चुनाव जीतने लायक नहीं. बसपा का कोर वोट बैंक दलित और आदिवासी हैं. इन्हीं वोटों के सहारे 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई थी. अब जबकि बसपा और जीजीपी गठबंधन में चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस को इससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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