विश्लेषण

उपद्रवी हवाई यात्रियों पर लगे कड़ा अंकुश

2017 में देश के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हंगामा करने वाले हवाई यात्रियों को नियंत्रित करने की मंशा से ‘नो फ़्लाई लिस्ट’ की शुरुआत की थी. परंतु इस सबके बावजूद हंगामा करने वाले उपद्रवी यात्रियों के नये-नये किस्से  रोज़ देखे जाते हैं. एयर इंडिया की न्यू यॉर्क से दिल्ली आ रही फ्लाइट की बिज़नेस क्लास में एक वृद्ध महिला के साथ हुए शर्मनाक हादसे ने दुनिया भर में भारत को शर्मसार किया है. ऐसा नहीं है कि ऐसे किस्से केवल भारत में या भारतीयों द्वारा ही किए जाते हैं. यदि आप गूगल पर खोजेंगे तो ऐसे मामलों की एक लंबी सूची आपको मिल जाएगी. परंतु ऐसे मानसिक रोगियों के साथ सरकारें और एयरलाइंस ऐसा क्या करें जिससे इन पर अंकुश लग सके?

यदि ऐसे हादसे उड़ान भरने से पहले होते हैं तो एयरलाइन ऐसे उपद्रवी यात्री को विमान से उतार सकती है. इसके साथ ही उसे ‘नो फ्लाई लिस्ट’ में भी डाल सकती है. परंतु यदि ऐसा बीच हवा में हो तो एयरलाइन को क्या करना चाहिए?

नागर विमान मंत्रालय को इस विषय को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए. यदि बीच यात्रा के दौरान विमान में किसी यात्री की तबियत बिगड़ जाती है तो यदि विमान में कोई डॉक्टर मौजूद होता है तो वो मदद करने के लिए आगे बढ़ता है. उसी प्रकार से यदि कोई भी यात्री मदिरा पान करके या स्वभाववश ही उपद्रव मचाता है तो सह-यात्रियों को भी एयरलाइन क्रू की मदद के लिए आगे आना चाहिए.

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर ऐसे अनेकों मामले दिखाई दिये जहां उपद्रवी यात्री लड़ते झगड़ते दिखाई दिये. फिर वो मामला चाहे थाईलैण्ड से दिल्ली आने वाली अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट का हो या भारत में ही उड़ने वाली डोमेस्टिक फ्लाइट का हो. मानसिक दारिद्रता से ग्रस्त ऐसे यात्रियों ने सह यात्रियों को और एयरलाइन को काफी परेशान किया.

काश सुरक्षा जाँच की तरह मानसिक जाँच की भी कोई मशीन हवाई अड्डों पर होती तो शायद ऐसे हादसों पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता था. अफसोस की बात है कि ऐसी कोई भी मशीन अभी तक ईजाद नहीं हुई. ऐसी हरकत करने से पहले व्यक्ति को खुद ही सोचना चाहिए कि क्या जो वो कर रहा है वो सही है?

विदेशों में हवाई यात्रा के दौरान यदि कोई ऐसा उपद्रव करता है तो, या तो सह-यात्री उसे नियंत्रित करते हैं या फ्लाइट में मौजूद मार्शल उसे हथकड़ी पहना कर अन्य यात्रियों से अलग बिठा देते हैं. हमारे देश में भी क्या ऐसा हो सकता है? जिस तरह विमान में मौजूद सह-यात्री ऐसे हादसों का वीडियो बनाने में देरी नहीं करते, उसी तरह सह-यात्रियों को ऐसे उपद्रवियों को बलपूर्वक नियंत्रित करने की पहल भी करनी चाहिए.

इन उपद्रवियों पर अंकुश लगाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयरलाइंस को मिल कर कुछ ठोस उपाय खोजने होंगे. यदि ऐसे यात्रियों पर अंकुश लगाना है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है तो कुछ अनूठी पहल करनी होगी. सरकार को हर फ्लाइट में मार्शल की तैनाती भी करने पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही उस यात्री को ‘नो फ्लाई लिस्ट’ के अलावा आर्थिक दंड देने के प्रावधान होने चाहिए. उस उपद्रवी द्वारा हर सह यात्री को एक टोकन राशि चालान के रूप में दी जाए, जिससे कि उसे ऐसा उपद्रव मचाना वास्तव में महंगा पड़े.

ऐसा नहीं है कि केवल यात्रियों द्वारा ही उपद्रव मचाया जाता है. कभी-कभी एयरलाइन का स्टाफ भी यात्रियों से बदसलूकी करता है. आपको पाँच वर्ष पहले का यह किस्सा तो याद होगा जब इंडिगो एयरलाइंस के स्टाफ ने एक यात्री को बस में चढ़ने से रोकने के लिए मारपीट की थी. एयरलाइन स्टाफ की इस हरकत की काफी निंदा की  गई थी. ऐसे मामलों को नियंत्रित करने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय बना है जो एयरलाइन पर नजर रखता है. परंतु यहाँ भी दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं. इन दोहरे मापदंड के विषय में कई बार इसी कॉलम में लिखा जा चुका है. परंतु एयरलाइन स्टाफ के हंगामों में कोई कमी नहीं आई है. जबकि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तमाम कानून मौजूद हैं.

जब नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस दिशा में कुछ कठोर कार्रवाई करेगा तभी सुधार जमीन पर दिखाई देगा. चालान का डर लोगों में अधिक होता है. जैसे ही लोगों को पता चलता है कि उनके किसी कृत से उन्हें दंडित किया जा सकता है, वो खबरदार हो जाते हैं. हवाई यात्रा में उपद्रव मचाने के लिए कठोर दंड का ऐलान जल्द से जल्द किया जाए और उन पर अमल भी सख्ती से हो. दुनिया भर में ऐसा संदेश जाए कि हवाई यात्रा में उपद्रव मचाने से पहले ऐसे लोग कई बार सोचें कि ऐसा करना उनको कितना महंगा पड़ सकता है.

‘नो फ्लाई लिस्ट’ एक अच्छी पहल है. इसमें भी परिवर्तन की जरूरत है. जैसे ड्राइविंग लाइसेंस में एक से अधिक बार चालान होने पर उसे दर्ज किया जाता है. कई बार जुर्माना होने पर लाइसेंस रद्द किया जाने कि प्रथा होती है. उसी तरह उपद्रवी यात्री पर आजीवन बैन लगने का प्रावधान भी होना चाहिए जिसे केवल कोर्ट द्वारा ही हटाया जा सके.

लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं.

रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

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