विश्लेषण

व्लॉगर्स: मिलिए नए युग के ‘ज्ञानियों’ से

Use Of Social Media: सोशल मीडिया के इस आधुनिक युग में आजकल जिसे भी कोई जानकारी चाहिए होती है वो तुरंत अपने स्मार्टफ़ोन पर इंटरनेट की मदद से उसे खोज लेता है। परंतु कभी-कभी कुछ विशेष जानकारी पाने के लिए आपकी सहायता करने कुछ अनजाने लोग भी आ जाते हैं, जो आपको संबंधित वस्तु या स्थान के बारे में हर पहलू से वाक़िफ़ कर देते हैं। ऐसा काम पहले ब्लॉगर करते थे, जो विभिन्न विषयों पर उपयुक्त जानकारी को जनहित में किसी वेबसाइट पर प्रकाशित कर देते थे। आजकल के युग में ब्लॉगर की जगह व्लॉगर्स ने ले ली है। यह ब्लॉगिंग का ही आधुनिक रूप है जिसमें एक ब्लॉगर स्वतंत्र माध्यम से लोगों के साथ अपनी बात, ज्ञान, कौशल, अनुभव इत्यादि को वीडियो के माध्यम से शेयर करता है।

व्लॉगिंग शब्द अंग्रेजी भाषा के दो शब्द ‘वीडियो’ और ‘लॉग’ को मिलाकर बनाया गया है। इस तरह से यह पूरा शब्द वीडियोलोग बना जिसका मतलब वीडियो की क्रमानुसार एंट्री होता है। जब से लोगों के हाथों में स्मार्टफ़ोन आए हैं वे सोशल मीडिया के विशाल सागर में किसी न किसी माध्यम से डुबकी लगा रहे हैं। फिर वो चाहे अजीबो-ग़रीब रील्स का बनाना हो या किसी न किसी विषय पर व्लोगिंग करना हो। सोशल मीडिया के इस युग में हर कोई अपनी जगह बनाना चाहता है। सोशल मीडिया में काफ़ी समय से अपना स्थान बनाए हुए जाने माने प्लेटफार्म में सबसे ऊपर है यूट्यूब। यह एक ऐसा माध्यम है जहां आप किसी भी विषय पर जानकारी को साझा कर सकते हैं। यदि आपकी जानकारी वाला वीडियो यूट्यूब के मानकों पर सही उतरता है तो आप इस माध्यम से कमाई भी कर सकते हैं।

आज के युग में लोग किसी भी जानकारी को पढ़ने से ज्यादा देखना पसंद करते हैं। वीडियो के माध्यम से उन्हें चीजें जल्दी समझ में भी आती हैं। व्लॉगिंग के माध्यम से व्लॉगर अपने विचारों को दर्शकों तक वीडियो के माध्यम से बहुत आसानी के साथ पहुंचा सकते हैं। व्लॉगर अपनी रूचि या इच्छा के अनुसार किसी भी विषय पर वीडियो बना सकते हैं और अगर वे किसी सामाजिक मुद्दे पर अपनी राय देना चाहते हैं तो वह भी दे सकते हैं।

इसके साथ-साथ अगर कोई व्लॉगर किसी प्रोडक्ट के बारे में लोगों को यह बताना चाहते हैं कि उसके फायदे और नुकसान क्या क्या है तो इसे भी व्लॉगिंग के माध्यम से लोगों के साथ शेयर किया जा सकता है। व्लॉगिंग के द्वारा व्लॉगर अपनी ऑडियंस के साथ सीधे जुड़ जाते हैं । क्योंकि जब वे किसी एक विशेष मुद्दे या विषय पर वीडियो बनाते हैं तो उनके दर्शकों को यह पता होता है कि वे किस विषय में बेहतर हैं और यही विषय उन्हें उनके दर्शकों से जोड़े रखता है।

ज़ाहिर सी बात है कि जैसे ही किसी व्लॉगर के दर्शकों की संख्या बढ़ने लगती है वे उनके बीच मशहूर होने लग जाते हैं।जितने ज़्यादा दर्शक, उतने ही ज़्यादा फ़ायदे। यहाँ से वे यूट्यूब के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी अपनी पहचान बनाना शुरू कर सकते हैं। जैसे ही इनके दर्शकों की संख्या हज़ारों-लाखों में पहुँच जाती है तो इन्हें ‘सोशल मीडिया इंफ्ल्यूएंसर’ की उपाधि मिल जाती है। इसके बाद ये किसी भी मुद्दे पर बोलेंगे तो इनकी बात सुनी जाएगी।

जैसे ही कोई व्लॉगर इस उपाधि को पा लेता है तो उसका कमाई का ज़रिया भी खुल जाता है। सोशल मीडिया में ऐसे तमाम ज़रिये हैं जहां पर न सिर्फ़ विज्ञापन के ज़रिये इन व्लॉगर्स को आर्थिक मदद मिलती है बल्कि कई ऐसे उत्पादन भी हैं जिनका विज्ञापन करने से इनको फ़ायदा पहुँचाता है। आज के युग में जहां युवाओं के पास रोज़गार के कुछ ठोस अवसर नहीं हैं तो कम ख़र्च में व्लॉगर बनना एक अच्छा विकल्प है जिससे आप सीमित साधनों से न सिर्फ़ ख़ुद का बल्कि औरों का फ़ायदा भी कर सकते हैं।

अक्सर बड़े-बड़े शहरों में रहते हुए हमें अपने ही शहरों में कई मशहूर जगहों के बारे में मालूम ही नहीं होता। परंतु जब से यह व्लॉगर काल शुरू हुआ है अपने शहर ही नहीं दुनिया भर की मशहूर जगहों को बताने वालों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है। जैसे ही आप सोशल मीडिया पर अपनी रुचि के विषयों को खोजना शुरू करते हैं, उस विषय से संबंधित व्लॉगर के वीडियो ख़ुद-ब-ख़ुद आपके सामने आने लग जाते हैं। इन व्लॉगर्स के वीडियो को कितनी बार देखा गया है या उनके कितने दर्शक हैं, इस बात से आपको इनके बारे में पता चल जाता है। इतना ही नहीं इनके वीडियो के नीचे तमाम दर्शकों की प्रतिक्रिया भी अंकित होती है जो आपको काफ़ी मददगार सिद्ध होती है।

इसके बाद यदि आप इस वीडियो के आधार पर स्वयं उस वस्तु, स्थान या विषय का अनुभव करते हैं तो आपको पता चल जाता है कि उस वीडियो की सच्चाई क्या है। अक्सर ऐसे वीडियो में दी गई जानकारी सही ही साबित होती है। परंतु आज ऐसे भी कई व्लॉगर आ चुके हैं जो अपने स्वार्थ के चलते दर्शकों को भ्रामक जानकारी भी देते हैं। इनका पर्दा तब उठता है जब कोई दर्शक इनके बताए ज्ञान को स्वयं जाँच लेता है। शायद इसीलिए कहा गया है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। सोच-समझ कर ही इनके कहे पर चलें।

  • लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं।
रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

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