लोग जब किसी पर आँख बंद कर विश्वास कर लेते हैं तो अक्सर जालसाज़ी और ठगी के शिकार हो जाते हैं। परंतु आज के युग में न केवल फ़ोन पर आपकी ज़रूरी जानकारी ले कर आपको लूट लिया जाता है बल्कि नये-नये तरीक़ों से ठग और जालसाज़ अपना कारोबार बढ़ा लेते हैं। ऐसे में मासूम और भोले भाले लोगों को उनके लुटने का पता तब चलता है जब काफ़ी देर हो चुकी होती है। इस बार आपको ठगों के ऐसे ही एक तरीक़े से वाक़िफ़ कराया जाएगा।
मामला मध्य प्रदेश के भिंड जिले के रवि गुप्ता का है। रवि भिंड जिले में एक टेलीकाम कंपनी में काम करने वाले साधारण से व्यक्ति हैं जिनका मासिक वेतन 50-60 हज़ार रुपए है। रवि को हाल ही में आयकर विभाग से 113.80 करोड़ रुपये जमा करने का नोटिस मिला। रवि के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इससे पहले दिसंबर 2020 में भी रवि को 132 करोड़ रुपये के लेनदेन के मामले में 3.49 करोड़ का नोटिस मिला था। नोटिस मिलते ही रवि ने भोपाल में सीबीआई कार्यालय व प्रधानमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत की। सीबीआई में हुई शिकायत के बाद ग्वालियर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा इसकी जांच की चल रही है। जाँच में यह बात सामने आई कि जब 2011-12 में रवि गुप्ता कोलकाता में क़रीब 6-7 हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी कर रहे थे तब मुंबई के एक्सिस बैंक में उनके नाम से एक खाता खोलकर 132 करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया। इसी लेनदेन के चलते आयकर विभाग ने रवि को 3.49 करोड़ का नोटिस जारी किया। जाँच में यह भी पता चला कि इस जालसाज़ी के पीछे एक हीरा कंपनी है। बैंक के दस्तावेज़ों में रवि को सूरत की हीरा कंपनी का मालिक बता कर सैंकड़ों करोड़ का लेनदेन किया गया।
ग़ौरतलब है कि रवि के साथ कुछ ही महीने बाद उन्हीं की कंपनी में काम करने वाले कपिल को भी 142 करोड़ के लेनदेन के चलते आयकर विभाग का नोटिस मिला। रवि और कपिल के बाद इंदौर के कॉल सेंटर में काम करने वाले प्रवीण राठौड़ को भी ऐसा ही एक नोटिस मिला। जाँच के बाद पता चला कि इन सभी जालसाज़ों के तार भी गुजरात के हीरा व्यापारियों से जुड़े थे। जब प्रधान मंत्री कार्यालय से दबाव आया तो भारतीय रिज़र्व बैंक ने संबंधित बैंक से स्पष्टीकरण माँगा। बैंक ने 2020 और 2022 में इस बात की पुष्टि करते हुए लिखा कि ये खाता रवि का नहीं लग रहा। बैंक द्वारा इस स्पष्टीकरण के बावजूद आयकर विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और अभी भी अपने नोटिस पर अड़े हुए हैं। रवि अब इस नोटिस के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं।
फ़ोन पर ठगी करने वालों के मामलों में बढ़ौतरी होने पर सरकार ने इनसे बचाव के कई कदम उठाए हैं। जैसे कि जनता को ऐसी ठगी के संबंध में जागरूक करना। वित्त मंत्रालय द्वारा विशेष हेल्पलाइन जारी करना, जहां खाता धारक ऐसे मामलों की तुरंत शिकायत करके ठगी को रोक सकते हैं। हर खाते में ऑनलाइन लेनदेन से पहले ओटीपी का आना। यदि आपके डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर किसी बड़ी राशि की लेनदेन होती है तो बैंक आपसे फ़ोन पर इस लेनदेन की पुष्टि करता है। हर ऑनलाइन लेनदेन की प्रतिदिन सीमा तय करना आदि। इसके साथ ही जब भी आपके आधार कार्ड की वेरिफिकेशन होती है तो आपके पास एक ओटीपी आता है। परंतु अभी तक किसी भी पैन कार्ड धारक के पास ऐसा कोई भी ओटीपी नहीं आता कि उसके पैन कार्ड पर एक बैंक का खाता खोला गया है। जबकि बैंक खाता खोलने के लिए आधार के साथ-साथ पैन कार्ड होना भी अनिवार्य है। यदि सरकार द्वारा ऐसा कुछ किया जाता तो रवि, कपिल और प्रवीण जैसे कई लोगों के साथ होने वाली जालसाज़ी पर रोक लग जाती।
नोटबंदी के समय बैंकों में पुराने नोट जमा कराने के लिए लोगों ने आयकर से बचने के लिए अपने घरेलू नौकरों और अन्य कर्मचारियों के खाते खुलवा डाले थे। आयकर विभाग ने बैंकों की मदद से ऐसे कई लोगों को पकड़ा भी था। परंतु बैंक अधिकारियों और आयकर चोरों की साँठगाँठ के चलते कई लोग बच भी निकले। जिन्हें आजतक पकड़ा नहीं गया।
अब बात करें रवि, कपिल और प्रवीण जैसे भोले-भले मासूम लोगों की तो ऐसे बड़े घोटाले बिना बैंक अधिकारियों की साँठगाँठ के संभव ही नहीं होते। अक्सर बैंक अधिकारी अपने टारगेट पूरे करने कि होड़ में कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिनका ख़ामियाजा बेक़सूर लोगों को भुगतना पड़ता है। यह सब हमेशा टारगेट पूर्ति के लिए ही नहीं होता। कभी-कभी लालच भी ऐसा करवा देता है। वरना क्या कारण था कि रवि, कपिल और प्रवीण जैसे युवकों को ढाल बना कर घपला करने वाले गुजरात के हीरा व्यापारी बड़े आराम से ऐसा कर सके? क्या बैंक के अधिकारी ने खाता खोलने से पहले खाता धारक के पैन और आधार का मिलान किया था? क्या पैन कार्ड पर और आधार कार्ड पर एक ही शख़्स की फ़ोटो लगी थी? क्या खाता खोलने आए व्यक्ति की फ़ोटो आधार और पैन कार्ड से मिल रही थी? यदि नहीं तो केवल रवि, कपिल और प्रवीण को ही नोटिस क्यों भेजा गया? बैंक के उन अधिकारियों, जिन्होंने खाता खोला था उनकी पूछताछ क्यों नहीं हुई? यदि हुई होती तो असली जालसाज़ तक पहुँच पाना बहुत आसान होता।
जब प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा इस मामले का संज्ञान लेने के बावजूद इन युवकों को आयकर विभाग परेशान कर रहा है तो जो लोग पीएमओ तक नहीं पहुँच पाए उनका क्या हाल हुआ होगा? देखना यह है कि इस मामले में रवि, कपिल और प्रवीण को न्याय मिलता है या नहीं।
*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं
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