INS Vindhyagiri: राष्ट्रपति ने आईएनएस विंध्यगिरि को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक बताया है। समंदर में भारत की ताकत तो बढ़ी ही साथ ही हमने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे भारत बड़े युद्धपोतों का निर्माण कर सकता है। आइए जानते हैं हमारी समुद्री क्षमताओं को आएनएस विंध्यगिरि कैसे बढ़ाने जा रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोलकाता में आईएनएस विंध्यगिरि को एक भव्य कार्यक्रम के दौरान देश को समर्पित किया। इस मौके पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में राष्ट्रपति के साथ लगातार बनी रहीं। कोलकाता में हुगली नदी के तट पर ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स लिमिटेड’ (जीआरएसई) केंद्र में भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट 17 अल्फा’ के तहत बनाए गए छठे नौसैन्य युद्धपोत ‘विंध्यगिरि’ को समंदर में उतार गया। महामहीम राष्ट्रपति ने इस युद्धपोत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का के सपने को साकार करने की तरफ बड़ा कदम बताया। इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए उनके साथ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस और प्रदेश की मुखिया ममता बनर्जी भी थीं।
आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है आईएनएस विंध्यगिरि
राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां अपने संबोधन में कहा कि विंध्यगिरि का निर्माण आत्मनिर्भर भारत और हमारी तकनीकी शक्ति का बड़ा उदाहरण है। राष्ट्रपति ने इसके निर्माण कार्य में जुटे सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि, ‘‘मैं विंध्यगिरि के जलावतरण के मौके पर यहां आकर बहुत खुश हूं। ये आयोजन भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का भी प्रतीक है। मुझे बताया गया है कि ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स’ ने विंध्यगिरि जैसे युद्धपोत सहित सौ से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है और इन्हें सप्लाय किया गया है। आपके कौशल और अथक प्रयासों ने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जिसके लिए मैं जीआरएसई की पूरी टीम की सराहना करती हूं।’’
साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘प्रोजेक्ट 17 के तहत निर्मित विंध्यगिरि आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए हमारे अपने इनोवेशन को दिखाती है। इस श्रृंखला के पोत हमारे समुद्री हितों के लिए सभी प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम होंगे।’’
समुद्री सुरक्षा और व्यवसाय में बढ़ेगी भारत की ताकत
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘‘कोलकाता का उसके समृद्ध इतिहास और संस्कृति के कारण हमारे देश के दिल में एक विशेष स्थान है। कोलकाता की रणनीतिक स्थिति इसे हमारी नौसैनिक तैयारियों, हमारे समुद्री हितों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। पोत का नाम ‘विंध्य’ पर्वतमाला के नाम पर रखा गया है, जो दृढ़ता का प्रतीक है। हम अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और हम भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर हैं। व्यवसाय की दृष्टि से भी समंदर का रास्ता बहुत अहमियत रखता है।’’
उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के कई पहलू हैं। इसमें समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और प्राकृतिक आपदाएं जैसे कई मुद्दे शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना को भारत के समुद्री हितों की रक्षा और बेहतर तरीके से करने का एक बड़ा अवसर मिला है।’’
पहले भी बने हैं स्वदेशी युद्धपोत, जानिए इसकी खूबियां
2019 से 2022 के बीच पांच युद्धपोत पहले ही तैयार कर लिए गए और वो भारत की समुद्री सुरक्षा को लगातार मजबूत कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत ‘विंध्यगिरि’ छटा और आखिरी युद्धपोत रहा। कोलकाता में तीन युद्धपोतों का निर्माण हुआ। इसी परियोजना के तहत इसे नौसेना के बेड़े के लिए तैयार किया गया है। उपकरण और पी17ए जहाजों की प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों से है जिसमें सूक्ष्म, लघु और एमएसएमई भी शामिल हैं। यानी स्थानीय उद्योगों के लिए भी इस परियोजना ने कई संभावनाएं पैदा की। यह अत्याधुनिक युद्धपोत आधुनिक उपकरणों से लैस है। जीआरएसई के अधिकारियों के मुताबिक, पी17ए निर्देशित मिसाइल युद्धपोत हैं। प्रत्येक युद्धपोत की लंबाई 149 मीटर है। इसका वजन लगभग 6,670 टन और गति 28 समुद्री मील है। ये वायु, सतह और सतह से नीचे तीनों आयामों में खतरों को बेअसर करने में पूरी तरह से सक्षम।
-भारत एक्सप्रेस
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