Israel-Hamas Conflict: इजरायल पर हमास के अचानक हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. हमास के आतंकियों ने शनिवार को महज 20 मिनट में इजरायल के कई इलाकों में करीब 5 हजार रॉकेट दागे, जिसमें 350 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो गई. सबसे हैरत की बात ये कि दुनियाभर में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में माहिर देश की प्रसिद्ध खुफिया एजेंसी मोसाद को भी इस हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस हमले के बाद से मोसाद पर भी सवाल उठ रहे हैं. जासूसी की दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मोसाद अपने ही देश पर हुए हमले को नाकाम करने में विफल रही है. बताया जा रहा है कि हमास ने कुछ सैन्य ठिकानों और सैनिकों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है.
इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है. हमास ने जहां 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागकर इजरायल के 300 नागरिकों को मार गिराया है. वहीं जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने हमास के कई सैन्य ठिकाने को तबाह कर दिया गया है. हमास के 250 से ज्यादा लड़ाके को मौत के घाट उतार दिया गया है.
बता दें कि हमास के आंतकी इजरायल की गलियों में खून की होली खेल रहे हैं. बच्चे, बुढ़े और महिलाओं तक को बर्बरता से मौत के घाट उतार रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मोसाद से चूक कैसे हो गई? सवाल तो अमेरिकी खूफिया एजेंसी सीआईए पर भी उठ रहे हैं. क्योंकि अमेरिका इजरायल को अपना जिगरी बताता है. कई बार मोसाद और सीआईए ने एक साथ मिशन को अंजाम दिया है. लेकिन इस बार इजरायल के नाक के नीचे सबकुछ होता रहा, पर मोसाद को भनक तक नहीं लगी? हालांकि, इजरायल ने कहा है कि इसका खामियाजा हमास को भुगतना पड़ेगा.
न्यूज एजेंसी ने फ़िलिस्तीनी मामलों पर रिपोर्ट करने वाले यूनिस तिरावी के हवाले से कहा कि हमास के आतंकियों ने शहर में सेडरॉट पुलिस मुख्यालय और बख्तरबंद वाहनों पर कब्ज़ा कर लिया है. एक विश्लेषक ने लिखा है कि पिछले कुछ घंटों में सेडरॉट से आने वाली कुछ छवियां भयावहता के बारे में बता रही है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि शनिवार सुबह से इजरायल में युद्ध की स्थिति है. उन्होंने कहा कि उनका पहला उद्देश्य क्षेत्र में घुसपैठ करने वाली ताकतों को बाहर निकालना है. उन्होंने कहा, “दूसरा उद्देश्य, गाजा पट्टी के भीतर भी दुश्मनों से भारी कीमत वसूलना है.” नेतन्याहू ने कहा, “हम युद्ध की स्थिति में हैं. युद्ध में, किसी को भी संयमित रहने की जरूरत है. मैं युद्ध में जीत को हासिल करने के लिए इजराइल के सभी नागरिकों से एकजुट होने का आह्वान करता हूं.”
ऑपरेशन फिनाले
इसे इजरायली एजेंसी मोसाद का मुख्य ऑपरेशन बताया जा रहा है. ऐसा अनुमान है कि 1933 से 1945 के बीच जर्मन तानाशाह हिटलर के यहूदियों के खिलाफ नरसंहार में 40 लाख से अधिक यहूदी मारे गए थे. इसे होलोकॉस्ट के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि यहूदियों पर हुए अत्याचार में जर्मन लेफ्टिनेंट कर्नल एडॉल्फ आइकमेन ने इस नरसंहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जर्मनी की सीमा से लगे देशों से यहूदियों को पकड़कर यातना शिविरों में डाल दिया गया और बेरहमी से हत्या कर दी गई.
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आइकमेन को 3 बार पकड़ा गया पर वह भाग निकलाय. इसके बाद से ही इजराइल जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश कर रहा है. फिर अचानक 1957 में आइकमेन की खबर मोसाद के हाथ लगी.
जिसके बाद मोसाद ने आइकमेन का अपहरण कर लिया. बाद में उसे इजरायल में मौत की सजा सुनाई गई.
ऑपरेशन रॉथ ऑफ गॉड
1972 में म्यूनिख ओलंपिक जर्मनी में आयोजित किया गया था. 5 सितंबर को म्यूनिख ओलंपिक में हिस्सा लेने पहुंचे इजरायली एथलीट म्यूनिख में अपने निर्धारित अपार्टमेंट में सो रहे थे. उस रात फिलिस्तीनी ‘ब्लैक सितंबर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन’ के आठ फिलिस्तीनियों ने, इजरायली खिलाड़ियों के वेश में, अपार्टमेंट में धावा बोल दिया और 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी. इस घटना के 10 दिन बाद इजराइल ने सीरिया और लेबनान में पीएलओ के 10 कैंपों पर बमबारी कर उन्हें नष्ट कर दिया.
मिशन ईरान
ईरान और इजराइल के बीच हमेशा से ही टकराव का माहौल रहा है. इजराइल का विशेष ध्यान ईरान के परमाणु परीक्षणों पर है. 2012 में प्रकाशित किताब ‘मोसाद: द ग्रेटेस्ट मिशन्स ऑफ इजराइल सीक्रेट सर्विस’ में किताब के लेखक माइकल बार जोहर और निसीम मिशाल ने न सिर्फ मोसाद निगरानी प्रणाली का जिक्र किया है, बल्कि उनके द्वारा किए गए खतरनाक ऑपरेशनों का भी जिक्र किया है.
किताब में छपी कहानी के मुताबिक, मोसाद ने ईरान के परमाणु परीक्षणों को रोकने के लिए सेंट्रीफ्यूज को नष्ट करने का फैसला किया. इस उद्देश्य से, पूर्वी यूरोपीय कंपनियों ने ईरान को खराब गुणवत्ता वाला इन्सुलेशन बेचना शुरू कर दिया. इससे संयंत्र में लगे सेंट्रीफ्यूज बेकार हो गए. ईरान के प्रयोगों को झटका लगा.
इसी किताब में बताया गया है कि 2010 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम सलाहकार की हत्या कर दी गई थी. कहा जा रहा है कि उनकी कार के पास खड़ी मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक उपकरण के कारण उनकी मौत हो गई.
‘हमास’ का बदला
फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन ‘हमास’ लगातार मोसाद पर आरोप लगाता रहता है. 2016 में कुछ हमलावरों ने ट्यूनीशिया में रह रहे हमास कमांडर मुहम्मद अल-ज़वारी की उनके घर के पास चलती कार से गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी. यह कमांडर एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर है. कथित तौर पर उसने विशेष रूप से हिज़्बुल्लाह आतंकवादी समूह के लिए ड्रोन डिज़ाइन किया था. हालांकि, यह ज्ञात नहीं है कि मुहम्मद की हत्या किसने की. हालांकि, इसके लिए मौसाद को जिम्मेदार ठहराता है.
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