Year Ender 2023: साल 2023 बीजेपी के लिए एक सफल वर्ष साबित हुआ है. पार्टी ने हिंदी पट्टी में व्यापक जीत दर्ज की और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मंच तैयार किया. कर्नाटक की सत्ता से दूर होने वाली पार्टी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीनने और मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने में सक्षम रही. बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
बीजेपी ने अपनी ‘मोदी की गारंटी’ रणनीति अपनाई, जिससे हिंदी हार्टलैंड राज्यों में जीत सुनिश्चित हुई. छत्तीसगढ़ की बात करें तो बीजेपी ने 90 सीटों वाली विधानसभा में 47 नए चेहरे पेश किए. भाजपा ने 2018 में अपनी संख्या तीन गुना कर ली और 54 सीटें हासिल करने में सफल रही. वहीं कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी का वोट शेयर 46.27 फीसदी था जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 42.23 फीसदी था.
भाजपा ने सरगुजा क्षेत्र में कांग्रेस को बुरी तरह हराया, जहां कांग्रेस टीएस सिंह देव सहित अपनी सभी 14 सीटें हार गई, पूर्व उपमुख्यमंत्री अपनी अंबिकापुर सीट भाजपा के राजेश अग्रवाल से हार गए, जिसने घावों पर नमक छिड़क दिया. इसके बाद भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल पर लगातार निशाना साधा. प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व सीएम पर महादेव सट्टेबाजी घोटाला ऐप में शामिल होने का आरोप लगाया. एजेंसी ने दावा किया कि अतीत में नियमित भुगतान किया गया था और अब तक, महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटरों द्वारा सीएम भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.
बीजेपी ने यह भी कहा कि कांग्रेस 2018 में किए गए अपने विभिन्न चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही, जैसे राज्य में शराब पर प्रतिबंध और समाज के महिला वर्ग से किए गए अन्य वादे. बीजेपी ने महिलाओं पर यह चाल चलते हुए कहा कि कांग्रेस देशभर में शायद ही किसी महिला का सम्मान करती है. जीत के कई दिनों की मंत्रणा के बाद बीजेपी ने विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री नियुक्त किया. साई ने कुनकुरी विधानसभा सीट पर कुल 87,604 वोटों से जीत हासिल की.
एक और हिंदी हार्टलैंड राज्य, मध्य प्रदेश में चुनाव हुए. यहां बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत दर्ज की. चुनाव में कांग्रेस केवल 66 सीटें ही हासिल कर पाई. बीजेपी को 48.55 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस 40.40 फीसदी पर सिमट गई. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाडली बहना योजना महिला मतदाताओं को रास आई. यह योजना इस साल की शुरुआत में मार्च महीने में शुरू की गई थी. यह योजना मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह के अलावा मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन शुरू की गई थी. यहां भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर और प्रल्हाद पटेल सहित प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा.
कांग्रेस ने अपने अभियान को अपनी 11 गारंटियों के आसपास आगे बढ़ाया, जिसमें कई मुफ्त सुविधाएं शामिल थीं, लेकिन मतदाताओं को इसमें कुछ भी ठोस नहीं लगा. भाजपा द्वारा पार्टी विधायक मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक युग का अंत हो गया. मोहन यादव को नियुक्त करने की रणनीति को विश्लेषकों ने अपने ओबीसी वोटों को मजबूत करने के साथ-साथ यादव वोटों पर प्रभाव डालने के लिए देखा है.
राजस्थान में बीजेपी को 115 सीटें मिलीं, जिससे उसे आसानी से सरकार बनाने में मदद मिली और कांग्रेस 69 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी को 41.69 फीसदी वोट मिले जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस 39.53 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई. पार्टी ने विधानसभा चुनाव में प्रमुख लोकसभा सांसदों राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और बालक नाथ को भी मैदान में उतारा. बीजेपी ने अशोक गहलोत पर लाल डायरी रखने के आरोप में निशाना साधा, जिसमें कथित तौर पर कांग्रेस के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के राज हैं. राजस्थान में आठ पेपर लीक के मुद्दे ने भी कांग्रेस की संभावनाओं को बर्बाद कर दिया और बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई.
जेपी नड्डा ने रामगढ़ में एक चुनावी रैली में कहा, “क्या आपको लाल डायरी याद है? उस डायरी में दर्ज सभी नाम 25 नवंबर और 3 दिसंबर को सार्वजनिक डोमेन में होंगे. लाल डायरी में नामित सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और सलाखों के पीछे डालो. इसे याद रखो.” बीजेपी ने राजस्थान की कमान भजनलाल शर्मा को सौंप दी.
इधर इस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन नागालैंड की सत्ता में लौट आया है. गठबंधन ने 60 सदस्यीय सदन में 37 सीटें हासिल कीं. मिजोरम में बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें ही मिल पाईं. सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) को ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट – जेडपीएम ने बाहर कर दिया था.
कर्नाटक और तेलंगाना में बीजेपी को मिली हार के बाद देश के दक्षिणी हिस्से में बीजेपी के लिए चिंता पैदा हो गई है. कर्नाटक में भाजपा सरकार को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा.पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार जैसे मजबूत राज्य नेताओं की मौजूदगी से कांग्रेस को फायदा हुआ. कई विश्लेषकों ने कहा है कि पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाया है.
सरकारी ठेके देने के एवज में 40 प्रतिशत कमीशन लेने के कांग्रेस के आरोपों पर पार्टी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकी. पीएम मोदी ने राज्य में एक दर्जन से अधिक रैलियां कीं, लेकिन वे रैलियां आवश्यक परिणाम हासिल करने में विफल रहीं. तेलंगाना में, बीआरएस पार्टी को, जिसने राज्य की स्थापना के समय से ही शासन किया था, हराकर सत्ता में आई कांग्रेस के परिणाम को भाजपा के लिए चूक गए एक मौके के रूप में देखा गया है.
हालांकि सर्वे की भविष्यवाणी के अनुसार भाजपा ने तीसरा स्थान हासिल किया, लेकिन पार्टी अपनी सीटों की संख्या 1 से बढ़ाकर 8 करने में सफल रही और अपना वोट शेयर दोगुना कर लिया. इन चुनावों में बीजेपी के लिए एक और सकारात्मक संकेत यह था कि वह एआईएमआईएम से आगे निकलने में कामयाब रही.
गुजरात नगरपालिका उपचुनाव में बीजेपी 30 में से 21 सीटें जीतकर परचम लहराने में सफल रही. इसने उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनावों में सभी 17 मेयर सीटों पर भी क्लीन स्वीप दर्ज की. हालांकि, पश्चिम बंगाल में हिंसाग्रस्त स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा को टीएमसी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. टीएमसी 34,560 ग्राम पंचायत सीटें हासिल करने में सफल रही जबकि बीजेपी ने 9,621 सीटें जीतीं.
आगामी 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही पार्टी 15 जनवरी के बाद क्लस्टर बैठकें शुरू करेगी.
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