संसद को दी गई जानकारी के अनुसार, टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में एमएसएमई और गैर-एमएसएमई द्वारा 3,998 करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश (प्रतिबद्ध निवेश 4,014 करोड़ रुपये) हुआ है.
संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स के लिए पीएलआई योजना के तहत 31 अक्टूबर तक कुल 42 लाभार्थियों को मंजूरी दी गई है.
टेलीकॉम प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने के लिए, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 2021 में टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स के लिए पीएलआई को 12,195 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया.
जून, 2022 में योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया, जिसमें देश में डिजाइन, विकसित और निर्मित उत्पादों के लिए 1 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन की पेशकश की गई. इससे पहले, सरकार ने बताया कि टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स के लिए पीएलआई योजना के तहत निर्यात 30 सितंबर तक 12,384 करोड़ रुपये पहुंच गया.
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, सितंबर तक आवेदक कंपनियों ने कुल 65,320 करोड़ रुपये की बिक्री की थी. योजना की मुख्य विशेषताओं में 33 टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स, 4 से 7 प्रतिशत तक के प्रोत्साहन, पहले 3 वर्षों के लिए एमएसएमई के लिए अतिरिक्त 1 प्रतिशत प्रोत्साहन और ‘भारत में डिजाइन’ उत्पादों के लिए अतिरिक्त 1 प्रतिशत प्रोत्साहन शामिल हैं.
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इस बीच, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई योजना 2020 में अधिसूचित की गई थी. स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर, पीएलआई योजना ने आयातित टेलीकॉम सामानों पर देश की निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है. सरकार के अनुसार, भारतीय निर्माता वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद पेश कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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