एडटेक फर्म बायजू (Byju) के संस्थापक बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) ने कथित तौर पर अमेरिका (America) में नेब्रास्का के एक व्यवसायी को देश छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी, ताकि वह उनके (रवींद्रन) साथ साथ काम करने के दौरान देखी गई संदिग्ध गतिविधियों के बारे में संघीय अदालत में गवाही देने से बच सके.
कंसल्टिंग फर्म रोज लेक इंक (Rose Lake Inc) के मुख्य कार्यकारी विलियम आर हेलर (William R Hailer) ने डेलावेयर में यूएस बैंकरप्सी कोर्ट में दायर एक बयान में कहा, “रवींद्रन ने गवाही से बचने के लिए और गवाही देने की जरूरत पड़ने पर देश से बाहर रहने के बहाने के रूप में मेरे लिए शिकागो इलिनोइस से दुबई के लिए एक प्लेन टिकट की व्यवस्था की थी.”
रोज लेक बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न (Think And Learn) के साथ उसके टर्म लोन B और एडटेक कंपनी एपिक (Epic) दोनों का अधिग्रहण करने के लिए हो रही बातचीत में शामिल थी. यूएस के ऋणदाताओं के एक समूह ने थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालियापन का मामला दायर किया है, जिसने टर्म लोन में 1.2 बिलियन डॉलर उधार लिए थे. ग्लास ट्रस्ट (Glas Trust) द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले अमेरिकी ऋणदाता भारत में एक कानूनी लड़ाई में भी शामिल हैं.
रवींद्रन को जब पता चला कि हेलर का नाम अदालती दस्तावेज में गवाह के रूप में दर्ज है तो उन्हें चिंता हुई कि हेलर गवाही दे सकते हैं. ये जानकारी हेलर ने गुरुवार (21 नवंबर) को अदालत में दी. हेलर ने यह भी दावा किया कि रवींद्रन ने उन्हें कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी के साथ कम से कम 5 लाख डॉलर प्रति वर्ष वेतन के साथ पूर्णकालिक नौकरी देने का वादा किया था.
उन्होंने कहा, “मुझे रवींद्रन ने यह भी बताया कि वह मुझे और मेरे परिवार को दुबई ले जाएंगे, घर और स्कूल की व्यवस्था करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास जीवन की वही गुणवत्ता हो जो उनके पास है.”
हेलर के अनुसार, रवींद्रन ने बताया था कि वह आकाश इंस्टीट्यूट के शेयर मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पई को बेच देंगे, भले ही टर्म लोन B डील सफल हो या न हो, क्योंकि अगर बाकी सब विफल हो जाता है तो फंड का इस्तेमाल नई कंपनी शुरू करने में किया जा सकता है.
हेलर ने दुबई में रवींद्रन के साथ अपनी मुलाकातों को याद करते हुए कहा कि वैध व्यवसाय करने वाले किसी व्यक्ति के तौर पर उनका व्यवहार असामान्य प्रतीत होता है.
हेलर ने कहा, ‘रवींद्रन तीन फोन रखते थे. वह कम्युनिकेशन के लिए वर्क ईमेल के बजाय पर्सनल ईमेल का इस्तेमाल करते थे. वह लोगों को अलग-अलग मीटिंग में बुलाते थे या सिर्फ कुछ समय के लिए ही लोगों को शामिल करता थे.’
हेलर ने ये भी आरोप लगाया कि ‘एक बार जब रवींद्रन उन्हें बता रहे थे कि एआई कैसे काम करता है, तो उन्होंने उनके चैटजीपीटी (ChatGPT) स्क्रीन पर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के आरोपों से बचने के पुराने सर्च हिस्ट्री देखा था.
-भारत एक्सप्रेस
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