बिजनेस

Make in India के कारण FY24 में इलेक्ट्रॉनिक आयात में गिरावट: Report

‘Make in India’ और बढ़ते स्थानीयकरण के प्रभाव के कारण, वित्तीय वर्ष 2023-2024 में प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों जैसे सैमसंग, एप्पल, व्हर्लपूल, डिक्सन और हैवेल्स द्वारा आयात में गिरावट आई है, जो शायद पहली बार हुआ है. इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार, आठ प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों का संयुक्त आयात मूल्य वित्तीय वर्ष 2024 में 7 प्रतिशत घटकर ₹95,143 करोड़ पर आ गया. इन कंपनियों के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनियां (RoC) के साथ दाखिल किए गए विनियामक दस्तावेजों के अनुसार यह आंकड़ा सामने आया है.

इन कंपनियों का कुल आयात मूल्य वित्तीय वर्ष 2022 में ₹1 लाख करोड़ को पार कर गया था और 2023 में यह और बढ़ गया था. लेकिन 2024 में आयात में यह गिरावट छह वर्षों में पहली बार देखी गई, और उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, यह शायद अब तक का पहला ऐसा मौका है, क्योंकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पारंपरिक रूप से आयात पर भारी निर्भर रहा है.

स्थानीयकरण का बढ़ता प्रभाव

डिक्सन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन, सुनील वाचानी ने इस बारे में कहा, “भारत में वैल्यू एडिशन अब घर के उपकरणों जैसे कि फ्रिज, एयर कंडीशनर और वॉशिंग मशीन में उच्च हो गया है, जहां सभी महत्वपूर्ण घटक जैसे कंप्रेसर, मोटर्स, शीट मेटल और हीट एक्सचेंजर्स अब स्थानीय रूप से निर्मित होते हैं.”

कंपनियों के आयात में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सैमसंग और एप्पल की इकाइयों ने अपने आयात में साल दर साल 7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की, क्योंकि उन्होंने स्थानीयकरण रणनीतियों को बढ़ावा दिया. वहीं, व्हर्लपूल ने 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी, जबकि हैयर और एम्बर के आयात मूल्य में लगभग कोई बदलाव नहीं हुआ.

PLI योजना और उसका प्रभाव

सरकार की प्रमुख प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को इस साल के अंतरिम बजट में एक बड़ा बढ़ावा मिला है, जिसमें इसे ₹6,200 करोड़ तक बढ़ाया गया है, जो 2024-2025 के लिए निर्धारित है.

पिछले साल 27 कंपनियों, जिनमें डेल, एचपी, फॉक्सकॉन और लेनोवो शामिल थीं, को आईटी हार्डवेयर के लिए PLI योजना के तहत स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जैसा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नवम्बर में घोषणा की थी. 40 कंपनियों ने इस योजना के लिए आवेदन किया था, जिनमें डेल, एचपी और लेनोवो जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल थीं.

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भारत में Local for Vocal को बढ़ावा देने और ‘Make in India’ की योजनाओं का सकारात्मक असर दिख रहा है. प्रमुख कंपनियां अब आयात पर निर्भरता कम कर रही हैं, जिससे घरेलू उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूती मिल रही है. PLI योजना का बढ़ावा भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को एक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन हब बनाने की दिशा में और मजबूत कर रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

Vikash Jha

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