बिजनेस

सर्विस सेक्टर ने चार महीनों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की, बढ़ती मांग और कम महंगाई से मिला समर्थन

भारत के सर्विस सेक्टर ने दिसंबर में शानदार प्रदर्शन किया और चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. यह उछाल नए व्यवसायिक ऑर्डरों में तेज वृद्धि और मांग की मजबूती के कारण हुआ. साथ ही, महंगाई में भी कमी दर्ज की गई. सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, मौसमी रूप से समायोजित HSBC इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स दिसंबर में 59.3 पर पहुंच गया, जो नवंबर के 58.4 से अधिक है. यह अगस्त के बाद का सबसे मजबूत विस्तार है.

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फ्रेमवर्क में 50 से ऊपर का स्कोर विकास को दर्शाता है, जबकि 50 से कम संकुचन को. सर्वे में बताया गया कि मजबूत मांग ने व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया. नए ऑर्डरों की बाढ़ ने उत्पादन को बढ़ाने और कंपनियों को अधिक कर्मचारियों की भर्ती के लिए प्रेरित किया.

इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन

HSBC की अर्थशास्त्री इनिस लाम ने कहा, “दिसंबर में भारत की सर्विस कंपनियों ने जबरदस्त आशावाद व्यक्त किया. नए व्यवसाय और भविष्य की गतिविधियों जैसे संकेतक बताते हैं कि यह प्रदर्शन निकट भविष्य में भी जारी रहेगा.”

फाइनेंस और इंश्योरेंस क्षेत्र ने नए ऑर्डरों और व्यवसायिक गतिविधियों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की.

सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन विनिर्माण क्षेत्र से बेहतर रहा. दिसंबर में विनिर्माण क्षेत्र का सूचकांक 12 महीने के निचले स्तर 56.4 पर आ गया. इनिस लाम ने कहा, “सेवा क्षेत्र की मजबूती के विपरीत, विनिर्माण उद्योग में धीमेपन के संकेत बढ़ रहे हैं.”

भारत की अर्थव्यवस्था से तीसरी तिमाही में जुलाई-सितंबर की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. दूसरी तिमाही में विकास दर 5.4% थी, जो लगभग दो साल का निचला स्तर था. दिसंबर में महंगाई भी पिछले महीने के मुकाबले कम रही. हालांकि, इनपुट की ऊंची लागत के कारण सेवा प्रदाताओं ने अपनी फीस बढ़ाई.

रोजगार के मामले में भी सकारात्मक खबर

रोजगार के मामले में भी सकारात्मक खबर है. रोजगार वृद्धि की दर नवंबर से थोड़ी कम रही, लेकिन यह अब भी तेज थी और दिसंबर 2005 में डेटा संग्रह शुरू होने के बाद के सबसे मजबूत स्तरों में से एक थी.

हालांकि, सकारात्मक भावना का स्तर नवंबर की तुलना में थोड़ा घटा, लेकिन यह अब भी लंबे समय के औसत से ऊपर है. सरकार 7 जनवरी को GDP के प्रारंभिक आंकड़े जारी करेगी. इन आंकड़ों से दूसरी तिमाही के बाद आर्थिक विकास पर पड़ी मंदी के प्रभाव का पता चलेगा.

पहली छमाही में अर्थव्यवस्था 6% की दर से बढ़ी थी. सरकार ने 6.5-7% की विकास दर का अनुमान लगाया है. इसे हासिल करने के लिए दूसरी छमाही में 7% की वृद्धि आवश्यक है. हालांकि, वैश्विक भू-राजनीतिक हालात विकास पर दबाव डाल सकते हैं. दिसंबर में अंतरराष्ट्रीय ऑर्डरों में तीन महीने का निचला स्तर दर्ज किया गया.


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-भारत एक्सप्रेस

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