2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सभी चौंका दिया है। सत्तापक्ष के बड़े-बड़े दावे और उसी से मिलते-जुलते एग्जिट पोल के बाद किसी को ऐसी उम्मीद नहीं थी। हालाँकि ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं के अलावा एक दो ज्योतिषियों ने टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल को सिरे से नकार दिया था। पर ‘इंडिया’ गठबंधन पर जिस तरह देश के मतदाताओं ने भरोसा जताया है उससे तो यही सिद्ध हुआ है कि देश में ‘लोक’ का ‘तंत्र’ अभी जीवित है। अब सरकार जिस गठबंधन की भी बने देश की संसद में विपक्ष को भी अच्छी संख्या में स्थान मिलेगा। जो भी सरकार बनाएगा अब उसे विपक्ष के दबाव में रह कर कार्य करने पड़ेंगे। एक स्वस्थ लोकतंत्र में मज़बूत विपक्ष का होना भी अनिवार्य है। इसलिए 2024 का चुनाव सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए ही अच्छा साबित हुआ।

चुनावों के दौरान जिस तरह ‘इंडिया’ गठबंधन चुनाव आयोग की मशीनरी पर कई तरह के सवाल उठा रहा था उससे आम जनता के मन में भी भ्रम पैदा होने शुरू हो गए थे। लेकिन लोकसभा नतीजों ने एक बार फिर से यह विश्वास जगाया है कि चुनावों में मतदाता ही सर्वोपरि होते हैं। इस बार के चुनावों में किसी भी दल या नेता की, किसी भी तरह की, कोई भी लहर नहीं थी। ये चुनाव जनता का चुनाव था। देश भर में फैल रही महंगाई, बेरोज़गारी व अन्य परेशानियों से मतदाता त्रस्त था। इसलिए उसे जो जंचा उसी को उसने वोट दिया। आख़िरी चरण के मतदान के बाद से जो भी एग्जिट पोल आए वो भी एनडीए की ही सरकार बना रहे थे। परंतु एग्जिट पोल केवल पोल-पट्टी साबित हुए।

चुनाव परिणाम के बाद एग्जिट पोल करने वाली एक संस्था के अध्यक्ष जिस तरह एक राष्ट्रीय टीवी चैनल पर फूट-फूट कर रोने लगे उससे तो यह लगा कि उन्हें अपनी करनी पर पछतावा है। पर कई बार जो सामने दिखाई देता है वो असल में सच नहीं होता। उसके पीछे का सच कुछ और होता है। इन सज्जन के विषय में आज ऐसी शंका देश भर में जताई जा रही है। इसका एक कारण यह है कि बिना सर्वेक्षण तकनीकी की बारीकी बताए, बिना सैंपल साइज बताए, बिना प्रश्नावली के प्रश्न बताए, केवल अपना आँकलन प्रचारित कर देना अनैतिक होता है। सोचने वाली बात यह है कि जो भी संस्था एग्जिट पोल करती है उसे यह बताने में क्या गुरेज़ होता है कि उसने एग्जिट पोल करने की मानक प्रक्रिया को अपनाया या नहीं? ऐसा तो नहीं है कि ये एग्जिट पोल निहित स्वार्थों के किसी एजेंडा के तहत किए गए? क्या ऐसे सर्वे कराने में किसी मीडिया संस्थान की भी संदिग्ध भूमिका रही?

मिसाल के तौर पर जिस तरह 2024 के लोकसभा चुनावों के एग्जिट पोल दिखाए गए और उसकी प्रतिक्रिया को लेकर देश के शेयर मार्केट में एकदम से भारी उछाल आया उससे आकर्षित हो कर देश के करोड़ों आम निवेशकों ने विश्वास करके बाज़ार में निवेश कर डाला। परंतु नतीजों के रुझान आने पर शेयर मार्केट बुरी तरह लुढ़का और आम निवेशकों के करोड़ों रुपये स्वाहा हो गये। इससे तो यह साफ़ प्रतीत होता है कि एकतरफ़ा नतीजे को प्रचारित करके किसी विशेष उद्देश्य से ही एग्जिट पोल को इतना प्रचारित किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि अब जब कोई भी संस्था ईमानदारी से भी एग्जिट पोल या सर्वे करेगी तो उस पर भी संदेह किया जाएगा। शायद गुमराह करने वाले एग्जिट पोल और उसी का प्रचार करने वाले पक्षपाती मीडिया संस्थानों को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि नतीजे उनके सर्वेक्षण के विपरीत भी आ सकते हैं। यदि उन्हें ये मालूम था और इस सबके बावजूद एग्जिट पोल वाली संस्था ने ऐसा एग्जिट पोल राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर परोसा तो वो संस्था व चैनल देश की जनता साथ धोखाधड़ी करने के दोषी हैं। जिसकी जाँच की जानी चाहिए।

दरअसल जब तक ऐसा सर्वे करने वाली संस्थाएँ अपनी वेबसाइट व अन्य प्रचार सामग्री पर इस बात को पूरी तरह से प्रकाशित न करें कि उस संस्था का किसी भी राजनैतिक दल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है या अपनी तकनीकी का खुलासा न करें, तब तक उस संस्था द्वारा किए गये एग्जिट पोल को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। परंतु हमारे देश में जिस तरह से एग्जिट पोल की भेड़-चाल होती है, वो किसी मनोरंजन से कम नहीं होती।

कुछ भी हो 2024 का चुनाव भी भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अपनी जगह बना चुका है। एक ओर जहां एनडीए का ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा विफल हुआ है, वहीं विपक्षी एकता का ‘इंडिया’ गठबंधन भी कई बार बिगड़ते-बिगड़ते मज़बूती से उभर कर आया। विपक्षी दल हों या सत्तापक्षी दल, सभी ने जनता के सामने भी बड़े-बड़े वादे किए हैं और उनको पूरा करने का प्रण भी किया है। तो उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले वक्त में वे अपने वायदों को पूरा करेंगे, उन्हें ‘जुमला’ कह कर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ेंगे। जहां तक नई लोकसभा के गठन का सवाल है तो यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ‘न तुम जीते न वो हारे’।

*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंध संपादक हैं।

रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

Recent Posts

Gomati Book Festival 2024: गोमती पुस्तक महोत्सव में बढ़ी पुस्तकों की ​बिक्री

Gomati Book Festival 2024: गोमती पुस्तक मेला में पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 30…

1 hour ago

NCB ने दिल्ली से कई सौ करोड़ की कोकिन पकड़ी, ऑस्ट्रेलिया भेजने की फिराक में था आरोपी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नशा मुक्त भारत के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते…

1 hour ago

भारत बनेगा चीन की तरह प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता: Mark Mobius

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,900 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ पीएम…

2 hours ago

भारत की 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हर पांच साल में दोगुनी होगी: विशेषज्ञ

मास्टरकार्ड के एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष अरी सरकार ने इस बात को हाईलाइट किया कि…

2 hours ago

भारतीय रेलवे 96 प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब; अफ्रीकी देशों को होगा डीजल इंजन का निर्यात

भारतीय रेलवे स्टील और खनन उद्योगों में उपयोग के लिए अफ्रीका को 20 डीजल इंजन…

3 hours ago

UP के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक हुए सख्त, ड्यूटी से गायब आठ डाक्टरों की बर्खास्तगी के निर्देश

उत्तर प्रदेश सरकार ड्यूटी से लगातार गायब रहने वाले चिकित्साधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किए…

3 hours ago