Narad Rai met Amit Shah: लोकसभा चुनाव-2024 के अंतिम चरण के लिए 1 जून को वोटिंग होने जा रही है. पूर्वांचल की बलिया लोकसभा सीट पर भी इसी दिन मतदान होगा. अब चुनाव प्रचार के लिए भी गिनती के तीन दिन ही शेष हैं और अगर आज का दिन छोड़ दें तो केवल 3 दिन ही वोटिंग के लिए शेष रह गया है. इसी बीच समाजवादी पार्टी (सपा) को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने सपा छोड़कर भाजपा में जाने का ऐलान कर दिया है. यही नहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर कई बड़े आरोप भी लगाए हैं. इसी के बाद से यूपी की सियासत तेज हो गई है.
दरअसल बलिया के बड़े नेताओं में नारद राय की गिनती होती है और वह पूर्वांचल की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं. चुनाव के बीच उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की तस्वीरो को शेयर कर यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया है.
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उन्होंने तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा है, “दुनिया में भारत का डंका बजाने वाले मा. प्रधानमंत्री और भारत के यशस्वी गृह मंत्री के संकल्प की समाज के अंतिम पंक्ति में बसे ग़रीब को मज़बूत करने वाली सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को मज़बूत करूँगा.” इसके बाद उन्होंने अपनी पोस्ट में जय जय श्री राम भी लिखा है. इसके अलावा उन्होंने अपनी प्रोफाइल में अपने नाम के आगे मोदी का परिवार भी लिख दिया है. बता दें कि इस दौरान सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) प्रमुख व यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी मौजूद रहे.
मीडिया से बात करते हुए नारद राय ने कहा कि अब भाजपा के लिए पूरी ताकत लगाएंगे. जितना हो सकेगा, उतनी ताकत से भाजपा को जीत दिलाने के लिए प्रयास करेंगे.
अमित शाह से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए नारद राय ने कहा कि उनको पिछले सात साल से बेइज्जत किया जा रहा था. उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि 40 साल का साथ था जो आज छोड़ दिया. वह बोले कि मेरी गलती यह है कि अखिलेश और मुलायम में मुलायम को चुना. 2017 में मेरा टिकट अखिलेश यादव ने काटा. 2022 में अखिलेश ने टिकट दिया लेकिन इसके साथ ही मेरी हार का भी बंदोबस्त कर दिया. दो दिन पहले बलिया में हुई अखिलेश की रैली के बारे में बताते हुए कहा कि मंच पर भी मुझे बेइज्जत किया गया और अखिलेश यादव ने मंच से मेरा नाम तक नहीं लिया.
मालूम हो कि पूर्वांचल में नारद राय की गहरी पैठ है और बलिया के बड़े भूमिहार नेताओं में उनकी गिनती होती है. वह बलिया सदर विधानसभा सीट से विधायक और सपा की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. ये पहली बार नहीं है जब नारद राय का सपा से मोहभंग हुआ है. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी सपा का साथ छोड़कर उन्होंने बसपा का हाथ थामा था. तब बसपा ने उनको अपने टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन बाजपा के आनंद स्वरूप शुक्ल ने उनको हरा दिया था. फिर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह सपा में फिर से आ गए और इस बार फिर से सपा के टिकट पर चुनाव में खड़े हुए लेकिन उनको जीत नहीं मिली. तब भाजपा के दयाशंकर सिंह से उनको मात मिली थी.
माना जा रहा है कि सपा से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट न मिलने के कारण ही वह नाराज चल रहे थे. इसीलिए उन्होंने पहले तो इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के लिए प्रचार किया लेकिन बाद में दूरी बना ली. इसी के बाद से उनके भाजपा में शामिल होने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे.
-भारत एक्सप्रेस
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