प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे और लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनका निधन भारतीय सिनेमा के एक महत्वपूर्ण अध्याय के समापन का प्रतीक है. मनोज कुमार, जिन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता था, मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिए देशभक्ति का जो संदेश दिया, वह हमेशा याद किया जाएगा.
मनोज कुमार को विशेष रूप से अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए याद किया जाता है. उपकार, पूरब-पश्चिम, क्रांति, रोटी कपड़ा और मकान जैसी फिल्में उनकी कड़ी मेहनत और भारतीय समाज की स्थिति को दर्शाती हैं. इन फिल्मों ने उन्हें एक सशक्त अभिनेता और निर्देशक के रूप में स्थापित किया. मनोज कुमार को 7 फिल्मफेयर पुरस्कारों से भी नवाजा गया था, और 1992 में उन्हें पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया.
मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके पिता को लंबे समय से लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी थी. हालांकि, उनके आखिरी समय में उन्हें अधिक कष्ट नहीं हुआ, और शांति से उन्होंने इस दुनिया को अलविदा लिया. कुणाल के अनुसार, मनोज कुमार का अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 11 बजे मुंबई के पवनहंस श्मशान घाट पर किया जाएगा.
मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था, और उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद, ब्रिटिश इंडिया (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उनका बचपन विभाजन के समय हुआ, और वे और उनका परिवार पाकिस्तान से दिल्ली आकर बसे. 10 साल की उम्र में, उन्होंने अपने छोटे भाई और मां के इलाज के लिए अस्पताल में संघर्ष किया था, जो दंगों के कारण सही इलाज नहीं प्राप्त कर सके. यह घटना मनोज कुमार के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ गई और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाती है.
मनोज कुमार का सिनेमा की दुनिया में कदम ऐसे समय में पड़ा, जब वह फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. एक दिन उन्होंने फिल्म स्टूडियो में काम की तलाश में घूमते हुए एक निर्देशक से मुलाकात की. शुरुआत में, उन्हें लाइटिंग टेस्टिंग में हीरो की जगह खड़ा किया गया, और यह अवसर उनकी पहली फिल्म “फैशन” (1957) में एक छोटे रोल का कारण बना. इसके बाद उन्हें “कांच की गुड़िया” (1960) जैसी फिल्मों में लीड रोल मिला.
मनोज कुमार ने अपनी फिल्म “उपकार” (1967) से बतौर निर्देशक करियर की दूसरी पारी शुरू की. फिल्म “उपकार” में उन्होंने एक देशभक्ति का संदेश दिया और यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई. फिल्म का गाना “मेरे देश की धरती” आज भी देशभक्ति के सबसे अच्छे गानों में गिना जाता है. इस फिल्म के बाद, मीडिया ने उन्हें “भारत कुमार” के नाम से पुकारना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने कई और देशभक्ति फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें “पूरब और पश्चिम” और “क्रांति” जैसी फिल्में शामिल हैं.
भारत सरकार द्वारा सम्मानित
मनोज कुमार की कड़ी मेहनत और योगदान को सरकार ने भी सराहा. 1992 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया, और 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी मिला.
1965 में मनोज कुमार ने देशभक्ति पर आधारित फिल्म “शहीद” में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का किरदार निभाया था. यह फिल्म बेहद सफल रही और इसके गाने जैसे ‘ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम’, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ को लोगों ने दिल से पसंद किया.
यह फिल्म भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को बहुत प्रभावित हुई. शास्त्री जी के द्वारा दिए गए “जय जवान, जय किसान” नारे ने मनोज कुमार को प्रेरित किया और उन्होंने इस पर आधारित फिल्म बनाने का फैसला किया. शास्त्री जी ने मनोज को इस विचार पर फिल्म बनाने की सलाह दी, और इस पर मनोज ने 1967 में “उपकार” फिल्म बनाना शुरू किया. हालांकि, मनोज कुमार को फिल्म लेखन या निर्देशन का कोई अनुभव नहीं था, फिर भी उन्होंने फिल्म बनाने की ठानी.
मनोज कुमार ने मुंबई से दिल्ली के लिए राजधानी ट्रेन की टिकट खरीदी और ट्रेन में यात्रा करते हुए इस फिल्म का आधा स्क्रिप्ट लिख डाला. लौटते वक्त उन्होंने फिल्म का बाकी हिस्सा भी लिखा और इस प्रकार फिल्म “उपकार” के जरिए मनोज ने निर्देशन में कदम रखा. इस फिल्म ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई और उनके करियर को एक नया मोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने “पूरब और पश्चिम”, “रोटी कपड़ा और मकान” जैसी कई सफल देशभक्ति फिल्में बनाई.
“उपकार” फिल्म ने मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्ध कर दिया. फिल्म का गाना “मेरे देश की धरती सोना उगले.” आज भी सबसे बेहतरीन देशभक्ति गानों में गिना जाता है. फिल्म में मनोज कुमार का नाम “भारत” था, और इस गाने की लोकप्रियता के कारण मीडिया ने उन्हें ‘भारत कुमार’ कहना शुरू कर दिया.
मनोज कुमार ने अपनी निर्देशन क्षमता का लोहा एक और फिल्म “क्रांति” (1981) से भी मनवाया, जिसमें उन्होंने महान अभिनेता दिलीप कुमार को निर्देशित किया. इस तरह, मनोज कुमार न केवल एक बेहतरीन अभिनेता रहे, बल्कि एक कुशल फिल्म निर्माता और निर्देशक भी साबित हुए.
मनोज कुमार का योगदान सिर्फ उनकी फिल्मों तक ही सीमित नहीं था. उन्होंने कई अभिनेताओं की छवि बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. फिल्म “उपकार” में प्राण को एक पॉजिटिव रोल दिया, जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
मनोज कुमार और राज कपूर के बीच गहरी दोस्ती थी. एक बार जब मनोज ने निर्देशक बनने का निर्णय लिया, तो राज कपूर ने उन्हें सलाह दी कि या तो एक्टिंग करें या डायरेक्शन, क्योंकि दोनों काम एक साथ करना मुश्किल होता है. लेकिन जब “उपकार” की सफलता ने मनोज कुमार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, तो राज कपूर ने अपनी गलतफहमी को स्वीकार करते हुए मनोज को बधाई दी.
प्रसिद्ध अभिनेता मनोज कुमार के निधन पर बॉलीवुड और राजनीति से जुड़ी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मनोज कुमार जी का योगदान भारतीय सिनेमा में अमिट रहेगा और उनकी फिल्में हमेशा भारतीयों को प्रेरित करती रहेंगी. अभिनेता अक्षय कुमार और निर्माता करण जौहर ने भी उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी.
मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक बड़ी क्षति है. उनकी फिल्में और उनका देशभक्ति का संदेश हमेशा जीवित रहेगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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