सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पराली जलाने (Stubble Burning) से होने वाले वायु प्रदूषण के मामले में केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार को एक बार फिर आड़े हाथ लिया है. कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ यूपी और राजस्थान से भी अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट 4 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हम यह स्पष्ट कर देते हैं कि स्थितियों में सुधार नहीं आया और यह जारी रहा तो हम सख्त आदेश जारी करेंगे”. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण से जुड़े मामले में अबतक कठोर फ़ैसला नहीं लिया गया है. पंजाब और हरियाणा सरकार सेलेक्टिव कार्रवाई कर रही है. कोर्ट ने एमिकस क्यूरी (Amicus curiae) अपराजिता सिंह से कहा हम अगली सुनवाई में सिर्फ दिल्ली प्रदूषण से संबंधित कुछ मुद्दों पर गौर करेंगे. जिनमें दिल्ली में परिवहन द्वारा उत्पन्न प्रदूषण, दिल्ली और पेरिफेरल इंडस्ट्रीज शामिल हैं. दिल्ली में भारी ट्रकों का प्रवेश और दिल्ली के कुछ हिस्सों में खुले में कूड़ा जलाया जाना जैसे मुद्दे शामिल होंगे.
केंद्र सरकार ने कहा कि हमने दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब के पर्यावरण सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उन्होंने जवाब दाखिल किए है. इसपर जस्टिस ओका ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है. कानून आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देता है. वह लगातार आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं आप सिर्फ नोटिस जारी कर रहे हैं. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने “CAQM” को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि उसने पराली जलाने से रोकने में नाकाम अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई करने की बजाए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
वहीं हरियाणा के मुख्य सचिव ने कोर्ट को बताया कि हम हर मामले में एफआईआर दर्ज करते हैं. हमने 10 हजार मामलों से घटाकर 400 पर ला दिया है. जिसपर जस्टिस ओका ने कहा कि यह सब बकवास चल रहा है. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके द्वारा कोई नीति बनाई गई है. कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है. जिसपर मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसा नहीं है. ऐसे लोग हैं जो बार-बार अपराध करते हैं. केस घटाने के हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके जवाब से कोर्ट को विश्वास होना चाहिए.
पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र के कमजोर कानूनों के चलते वो पराली जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई नहीं कर सकती. जबकि हरियाणा सरकार की ओर से पेश वकील ने पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों के हवाला दिया है. पंजाब सरकार ने अपने हलफनामे में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974, वायु (प्रदूषण दायित्व बीमा अधिनियम, 1991 में भी इसी तरह के संशोधनों का हवाला दिया है. पंजाब सरकार ने कहा है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें आर्थिक मदद देनी होगी. हालांकि केंद्र सरकार ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद पंजाब को फंड देने से इनकार कर दिया है. वही हरियाणा सरकार की ओर से दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि किसानों और पंचायतों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का जिक्र किया है. इसके साथ ही पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और उनके रिकॉर्ड में की गई रेड एंट्री ब्यौरा दिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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