कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और उससे सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के जरिए हुई सभी नियुक्तियों को रद्द करने का सोमवार को आदेश देते हुए इसे अमान्य एवं अवैध करार दिया. इन विद्यालयों में 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थी 2016 की एसएलएसटी परीक्षा में शामिल हुए थे.
न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (एसएससी) को लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की तारीख से एक पखवाड़े के अंदर नयी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया है.
वहीं नियुक्तियों को रद्द करने के संबंध में अदालत का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “सभी नियुक्तियों को रद्द करने का अदालत का फैसला अवैध है. हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जिनकी नौकरियां चली गई हैं. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको न्याय मिले और आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे.”
दूसरी ओर भाजपा ने कहा कि यह ममता बनर्जी सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करता है. बंगाल के लिए भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में यह आरोप लगाया कि यह सरकार प्रायोजित सबसे बड़ा भर्ती घोटाला था जिसमें लाखों युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया. कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से तत्काल इस्तीफे की मांग की.
-भारत एक्सप्रेस
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