Telgi Fake Stamp Scam: सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश ने 30 दिसंबर 2024 को तेलगी फर्जी स्टांप घोटाले में 5 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 3 साल के कारावास और 2.5 लाख रुपये के कुल जुर्माने की सजा सुनाई. दोषी ठहराए गए आरोपियों में फाल्गुनीबेन बाबूभाई पटेल, किशोर कुमार पुरुषोत्तमभाई पटेल, प्रशांत नांगप्पा पाटिल, अमजद अली, और शेख जाकिर हुसैन शामिल हैं.
इन आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, स्टांप की जालसाजी, धोखाधड़ी, और फर्जी दस्तावेजों के निर्माण व उपयोग जैसे अपराधों में दोषी पाया गया.
सीबीआई ने यह मामला गुजरात के गांधीनगर ज़ोन की सीआईडी क्राइम से जांच स्थानांतरित होने के बाद दर्ज किया था. आरोप था कि इन लाइसेंसी और गैर-लाइसेंसी स्टांप विक्रेताओं ने जानबूझकर नकली स्टांप पेपर, कोर्ट फीस स्टांप, और शेयर ट्रांसफर स्टांप विभिन्न मूल्यवर्ग में अहमदाबाद और सूरत क्षेत्रों में बेचे.
2001 में सामने आए इस घोटाले में नकली स्टांप पेपर की व्यापक बिक्री के कारण न केवल अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा, बल्कि सार्वजनिक प्रशासन की साख भी प्रभावित हुई. सूरत और अहमदाबाद में स्टांप विक्रेताओं पर छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में नकली स्टांप बरामद किए गए थे. इन अवैध गतिविधियों के संचालन के लिए “सदगुरु सर्विसेज़” और “सहाय सर्विसेज़” नाम से चल रहे दो कार्यालयों का पता चला.
इस मामले में सीबीआई ने कुल 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इनमें से दो आरोपियों की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई, जबकि 9 अन्य को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है.
इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने से सीबीआई की भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है. यह घोटाला न केवल आर्थिक अपराध था, बल्कि कानून और प्रशासन की साख पर भी सवाल खड़ा करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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