Ahmedabad: 14 फरवरी, 2024: भारत की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) कंपनी और विश्व में दूसरी सबसे बड़ी सोलर पीवी डेवलपर, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने राष्ट्रीय ग्रिड को बिजली की आपूर्ति करके खावड़ा, गुजरात में 551 मेगावाट सोलर क्षमता के परिचालन की शुरुआत की है।
एजीईएल ने खावड़ा आरई पार्क पर काम शुरू करने के मात्र 12 महीनों के भीतर यह उपलब्धि हासिल की है। इसकी शुरुआत सड़कों और कनेक्टिविटी के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्टर के विकास और एक आत्मनिर्भर सामाजिक इकोसिस्टम के निर्माण से की गई थी। एजीईएल कच्छ के रण के चुनौतीपूर्ण और बंजर इलाके को अपने 8,000-मजबूत कार्यबल के लिए रहने योग्य वातावरण में तब्दील करने में सक्षम रहा है।
30 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता
एजीईएल की योजना इस आरई पार्क में 30 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करने की है। उम्मीद है कि यह सुनियोजित प्लांट आगामी पाँच वर्षों में शुरू हो जाएगा। साथ ही यह भी उम्मीद है कि खावड़ा आरई पार्क, पूरा होने पर विश्व का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्रतिष्ठान होगा।
खावड़ा आरई पार्क सालाना 16.1 मिलियन घरों को बिजली देने में कारगर साबित हो सकता है। एजीईएल को बड़े पैमाने पर रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क और तकनीकी कौशल के विकास में विशेषज्ञता प्राप्त है। ऐसे में, इस रिकॉर्ड-सेटिंग गीगा-स्केल प्लांट के निर्माण के लिए एजीईएल सबसे अच्छी स्थिति में है, जिसका दुनिया के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में कोई सानी नहीं है।
यह क्षेत्र देश में सबसे उत्तम पवन और सौर संसाधनों में से एक है, जो गीगा-स्केल आरई विकास के लिए इसे आदर्श स्त्रोत बनाता है। एजीईएल ने न सिर्फ व्यापक अध्ययन किया, बल्कि विभिन्न नवीनतम समाधान भी जारी किए हैं, ताकि प्लांट के विकास में तेजी लाई जा सके। (अधिक जानकारी के लिए, अनुबंध-1 देखें)। इस प्रक्रिया में, यह एक स्वदेशी और सतत आपूर्ति श्रृंखला के विकास का समर्थन कर रहा है।
गौतम अडानी, चेयरमैन, अडानी ग्रुप, ने कहा, “अडानी ग्रीन एनर्जी सौर और पवन के लिए दुनिया के सबसे व्यापक रिन्यूएबल एनर्जी इकोसिस्टम्स में से एक का निर्माण कर रही है। खावड़ा आरई प्लांट जैसे साहसिक और अभिनव प्रोजेक्ट्स के माध्यम से, एजीईएल उच्च वैश्विक मानक स्थापित करना और गीगा-स्केल रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए विश्व की योजना और निष्पादन मानकों को पुनर्स्थापित करना जारी रखता है। यह उपलब्धि वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता और कार्बन तटस्थता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की दिशा में भारत की न्यायसंगत स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण यात्रा को तेजी से बढ़ावा देने में अदाणी ग्रुप की प्रतिबद्धता और अग्रणी भूमिका का प्रमाण है।”
भारत सतत ऊर्जा भविष्य पर वैश्विक संवाद को वास्तविक आकार दे रहा है। इसके अनुरूप, एजीईएल किफायती और विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा में क्रांति लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के बारे में जानकारी
अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) भारत की सबसे बड़ी और विश्व की अग्रणी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में से एक है, जो स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को सक्षम बनाती है। एजीईएल यूटिलिटी स्केल ग्रिड से जुड़े सौर, पवन और हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट्स का विकास, स्वामित्व और संचालन करता है। एजीईएल के पास 20.8 गीगावाट (जीडब्ल्यू) तक के लॉक-इन विकास पथ के साथ ही वर्तमान में 9 गीगावॉट से अधिक का ऑपरेटिंग रिन्यूएबल पोर्टफोलियो है, जो भारत में सबसे बड़ा है और जिसका विस्तार 12 राज्यों में है। एजीईएल को कई ऐतिहासिक रिन्यूएबल एनर्जी पॉवर प्लांट्स विकसित करने का श्रेय जाता है।
इनमें से नवीनतम, राजस्थान के जैसलमेर में 2,140 मेगावाट (मेगावाट) का दुनिया का सबसे बड़ा पवन-सौर हाइब्रिड पॉवर क्लस्टर है। कंपनी का लक्ष्य भारत के डीकार्बनाइजेशन लक्ष्यों के अनुरूप वर्ष 2023 तक 45 गीगावॉट हासिल करने का है। एजीईएल ऊर्जा की स्तरीय लागत (एलसीओई) को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर केंद्रित है, ताकि किफायती स्वच्छ ऊर्जा को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए सक्षम बनाया जा सके। एजीईएल के ऑपरेटिंग पोर्टफोलियो को ‘200 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले प्लांट्स के लिए जल सकारात्मक’, ‘एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त’ और ‘शून्य अपशिष्ट-से-लैंडफिल’ प्रमाणित किया गया है, जो सतत विकास को बढ़ावा देने की कंपनी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
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कुछ प्रमुख बातें-
30 गीगावॉट आरई प्लांट का अपेक्षित वार्षिक योगदान
– ~81 अरब यूनिट स्वच्छ बिजली का उत्पादन किया जाएगा
– 16.1 मिलियन घरों को बिजली मिल सकेगी
– 15,200 से अधिक हरित रोजगार का सृजन हो सकेगा
– 58 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचा जा सकेगा
– उत्सर्जन से बचना निम्न बिंदुओं के बराबर है:
o 2,761 मिलियन पेड़ों द्वारा कार्बन को अवशोषित लिया गया
o 60,300 टन कोयले को बर्बाद होने से बचाया गया
o 12.6 मिलियन कारें सड़कों से नदारद हुईं
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