विश्व पुस्तक मेले की एक झलक
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 भारत में स्टार्टअप के लिए एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। कोरोना के बाद बहुत से भारतीय युवाओं को आत्मनिर्भर भारत के साथ कदम बढ़ाने का अवसर मिला। शिक्षा और किताबों की दुनिया में इसका असर खास तौर पर देखने को मिला। विश्व पुस्तक मेले में फिजिक्सवाला की तरह और भी कई स्टार्टअप प्रकाशकों के स्टॉलों पर युवाओं की भीड़ है। पुस्तकों के संग युवाओं के करियर गाइडेंस की तैयारी भी यहां जोरों पर है। सिविल सर्विसेज की तैयारी हो या इसमें भविष्य तलाशते युवा विजन आईएएस और दृष्टि आईएएस के पैवेलियन में करियर मार्गदर्शन से जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिए भी युवा यहां आ रहे हैं।
विदेशी प्रकाशक भी पुस्तक मेले के मंच पर
रिप्रो, वालनट, ब्लूरोज की तरह और भी भारतीय और विदेशी प्रकाशक भी यहां हैं जिनके बैनर तले युवा लेखक अपनी हर तरह की पुस्तकें प्रकाशित कर सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म पर युवाओं की खूब भीड़ जुट रही है। इस कड़ी में नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया की प्रधानमंत्री युवा मेंटरशिप योजना के द्वितीय चरण में चयनित युवा लेखकों ने भी विश्व पुस्तक मेले में शिरकत की।
”अनुवाद बहुभाषी दुनिया के लिए ब्रिज के समान है, यह एक कला और तकनीक दोनों है। हमें यूरोपीय भाषाओं और भारतीय भाषाओं के बीच अनुवाद की परंपरा का निर्माण करना होगा। युवाओं को भारतीय भाषाओं के अनुवाद की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।” यह बात ‘भारत की जीवंत बहुभाषी परंपरा पर अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण‘ सत्र के दौरान संस्कृत भाषाविद् और भगवद्गीता को स्पेनिश में अनुवाद करने वाले ऑस्कर पुजोल ने कही।
विश्व पुस्तक मेले में भाग लेने वाले प्रकाशकों के अनुसार पिछले कुछ सालों में भारत में अंग्रेजी, हिंदी सहित अन्य भाषाओं और विदेशी भाषाओं की किताबों की माँग बढ़ी है। पाठक मराठी, गुजराती, बांग्ला में भी फिक्शन—नॉन फिक्शन खरीद रहे हैं और स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, रशियन, इटेलियन के लेखकों की किताबों को भी अपने साथ ले जा रहे हैं। भारतीय भाषाओं में इटेलियन, स्पेनिश, रशियन संस्कृति को कैसे समझा जाए, इसके लिए भी यहाँ पुस्तकें हैं।
साइंटिक टेम्परामेंट तय करता चिल्ड्रन पैवेलियन
बच्चों में वैज्ञानिक सोच के प्रसार के लिए बाल मंडप में ‘विज्ञान संचार: विज्ञान प्रश्नोत्तरी और विज्ञान कार्टून प्रतियोगिता‘ का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में सीएसआईआर-निस्पर के वैज्ञानिक डॉ. मनीष मोहन गोरे और उनकी टीम ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले और वैज्ञानिक विषयों पर आधारित प्रश्नों को प्रतियोगिता में शामिल किया। प्रश्नोत्तरी के साथ ही बच्चों को विभिन्न प्रश्नों से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारियाँ भी दीं। एक अन्य सत्र में बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी के महत्व के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए एनबीटी इंडिया ने डिस्कवरी किड्स के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 के सभी 17 विषयों पर एक ड्राइंग प्रतियोगिता का भी बाल मंडप में आयोजन किया।
इसी पैवेलियन में प्रसिद्ध बाल साहित्यकार उषा छाबड़ा ने अभिनय करते हुए बच्चों को ‘दावत, पत्थर का सोरबा और उजाले के अंडे‘ कहानी सुनाई और उन्हें ‘शेयरिंग इज़ केयरिंग‘ का संदेश दिया। बच्चों के लिए कठपुतली शो का आयोजन भी किया गया था, जिसमें ‘जागो टीन्स‘ की प्रख्यात कहानीकार लीना गर्ग ने रोहन, आना और स्नीज नाम की कठपुतलियों से बच्चों को साइबर सुरक्षा के बारे में समझाया।
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14 फरवरी होने वाले आयोजन
14 फरवरी को नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर ‘राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि का योगदान‘ विषय पर संगोष्ठी, ‘शिक्षा में रामत्व‘ पुस्तक का लोकार्पण एवं परिचर्चा और साहित्य अकादेमी की तरफ से बहुभाषी युवा साहित्य सत्र का आयोजन होगा। बुधवार को लेखक मंच पर ही ‘1947 के जख्म‘ पुस्तक पर चर्चा की जाएगी। थीम मंडप में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति व भारतीय भाषाएँ‘, ‘द सिटी स्पीक्स : मल्टीलिंगुअल कल्चर इन अर्बन स्पीक्स‘ और ‘पायोनियर ऑफ लैंग्वेजेस : हू शेपेड अवर नेशनल इथोस थ्रो लैंग्वेजेस‘ पर सत्र का आयोजन होगा और शाम के समय बहुभाषी भारत पर कवि सम्मेलन और महाराष्ट्र के सांस्कृतिक प्रदर्शनों का भी आयोजन होगा।
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