August Kranti News Ballia: उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के राजकीय जिला पुस्तकालय का नाम बदलकर ‘श्री जगदीश्वर निगम राजकीय जिला पुस्तकालय’ रखने की मांग उठ रही है. जगदीश्वर निगम के कलेक्टर रहते बलिया भारत में सबसे पहले आजाद हुआ था. पूरे भारत को अंग्रेजी हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली, लेकिन बलिया 1942 में ही आजाद हो गया था. इस वजह से आजादी के आंदोलन में बलिया की बगावत की भूमिका अहम मानी जाती है.
बलिया के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश्वर निगम के नाम से एक पुस्तक “द एडमिनिस्ट्रेटर – जगदीश्वर निगम वर्सेज ब्रिटिश राज 19 अगस्त 1942” पिछले वर्ष जारी की गई थी, जिसमें बताया गया है कि कैसे बलिया 19 अगस्त को 24 घंटों के लिए आजाद हुआ था. जगदीश्वर निगम ब्रिटिश राज में बलिया के कलेक्टर थे, कई क्रांतिकारियों के आंदोलन के चलते उन्होंने ही बलिया को गणराज्य के रूप में स्थापित किया. तब वह आई सी एस 1923 बैच के अधिकारी थे, और उन्होंने प्रशासन को मान्यता देते हुए चित्तू पांडे को अपना अधिकार हस्तांतरित कर दिया था.
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने लद्दाख में खूब दौड़ाई बाइक, यहीं मनाएंगे पिता राजीव गांधी की जयंती, दौरा 25 तक बढ़ा
बता दें कि “द एडमिनिस्ट्रेटर – जगदीश्वर निगम वर्सेज ब्रिटिश राज 19 अगस्त 1942” पुस्तक ब्रिटिश राज के दौरान 1942 में बलिया में तैनात कलेक्टर जगदीश्वर निगम पर लिखी गई, जिन्होंने 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पहला प्रशासनिक विद्रोह किया था. अंग्रेजी हुकूमत ने जगदीश्वर निगम को बागी बलिया का नाम दिया था. 1923 बैच के आईसीएस अधिकारी जगदीश्वर निगम बलिया में कलेक्टर के पद पर तैनात थे और उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपनी सरकारी कलेक्टरी पर तिरंगा फहराकर ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला दी थीं.
यह पुस्तक जगदीश्वर निगम की दोनों पोतियों राज दरबारी और जेनिस दरबारी ने लिखी है. दोनों ने अपनी मां और जगदीश्वर निगम की बेटी शीला दरबारी द्वारा बताए गए दिलचस्प तथ्यों को किताब के रूप में संकलित किया है. पिछले साल इस पुस्तक की सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी सराहना की और उनके परिवार को जगदीश्वर निगम के भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने और उनकी जीवनी को पुस्तक के रूप में आम आदमी तक पहुंचाने के लिए बधाई दी.
जगदीश्वर निगम की ओर से बलिया को आजादी देने का प्रस्ताव ब्रिटिश शासन के समक्ष रखा गया था, हालांकि ब्रिटिश हुकूमत ने पूरी तरह मान्यता 1947 में दी. इसके साथ ही बलिया के 84 शहीदों व क्रांतिकारियों का सम्मान किया गया. बलिया में छिड़े आंदोलन को 19 अगस्त 1942 के दिन अहम सफलता मिली थी, तब से 19 अगस्त का दिन यहां के लोग ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाते हैं. स्वतंत्रता संग्राम के कई सेनानियों ने 21वीं सदी के भारत को भी देखा. अब कई समाजसेवियों ने राजकीय जिला पुस्तकालय बलिया का नाम श्री जगदीश्वर निगम राजकीय जिला पुस्तकालय बलिया करने पर सहमति जताई है और मंजूरी प्रदान करने के लिए सरकार से मांग की है.
— भारत एक्सप्रेस
भारत की सैन्य ताकत पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है. भारत की सरकार ने…
अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली के Jaitpur और Narela इलाकों से अपहृत युवतियों को नोएडा और…
दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में…
अभी हाल में तीन छात्रों की हत्या ने कनाडा की कानून व्यवस्था, भारतीयों की सुरक्षा…
दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले को लक्ष्मी पूरी की याचिका…
यहां हर वर्ष दिसंबर से अप्रैल तक भोलेनाथ बाबा बर्फानी के रूप में विराजमान होते…