देश

Election 2024: BJP ने जम्मू की दो सीटों पर उतारे प्रत्याशी, कश्मीर में नहीं उतारा कोई भी उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव के चार चरण के चुनाव खत्म हो चुके हैं. आज (13 मई) को चौथे चरण के तहत वोटिंग हुई. जम्मू कश्मीर की बात करें तो साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां का माहौल जरूर बदला है, लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फैसला लिया है कि वह कश्मीर में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. हालांकि, भाजपा ने जम्मू की दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन कश्मीर घाटी की तीनों सीटों में से एक सीट पर भी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.

प्रमुख वजह क्या है?

मोदी युग की शुरुआत के साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का फोकस जम्मू कश्मीर पर लगातार बना रहा, जिसका उदाहरण भाजपा का जम्मू और कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार चलाना रहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की मंशा के अनुरूप पिछले कुछ सालों में स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी घर-घर जोड़ो अभियान समेत कई अभियान शुरू कर कश्मीर में पार्टी का आधार बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है, लेकिन इसके इतर आम चुनाव में घाटी में किसी भी उम्मीदवार को मैदान में न उतारने के पार्टी फैसले पर कई लोगों को हैरानी हो रही है.

साल 2019 में हुए आम चुनाव में जम्मू से जुगल किशोर शर्मा और उधमपुर से जितेंद्र सिंह ने चुनाव जीता था, लेकिन कश्मीर घाटी की तीन सीटों में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत सकी थी, इसके पीछे की वजह जम्मू की दोनों सीटों को हिंदू बहुल एवं कश्मीर घाटी की तीनों सीटों का मुस्लिम बहुल होना माना जा रहा है.

विभिन्न दलों के प्रवक्ताओं ने क्या कहा

जम्मू कश्मीर में भाजपा के प्रवक्ता जीएल रैना का दावा है कि पार्टी के लिए चुनाव प्राथमिकता नहीं है और उनका मुख्य उद्देश्य लोगों के बेहतरी के लिए काम करना है. जिन तीन लोकसभा क्षेत्रों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां पर वह स्थानीय उम्मीदवारों को समर्थन दे रही है.

वही जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि भाजपा के वायदे और कश्मीर घाटी में विकास की बातें सच नहीं हैं, क्योंकि अगर ऐसा होता तो वह कश्मीर घाटी में अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारती.

पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान कहते हैं, ‘भले ही वे देश के बाकी हिस्सों में सभी सीटें जीत लें, लेकिन कश्मीर से हारना एक बड़ी हार होगी. उनका दावा है कि इससे बचने के लिए भाजपा ने कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा करने का फैसला लिया है.’

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि भाजपा 2019 में लिए गए अपने फैसले (अनुच्छेद 370 हटाना) को रेफरेंडम में तब्दील होने से बचाना चाहती है, जिसकी वजह से उसने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है.

किस पार्टी का समर्थन कर रही भाजपा

जम्मू कश्मीर में पांच चरणों मतदान हो रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा चुनावों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अलावा कांग्रेस पार्टी भी मैदान में है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने बार-बार यह दावा किया है कि भाजपा चुनावों में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का समर्थन कर रही है. उन्होंने इन दो पार्टियों को भाजपा का ‘प्रॉक्सी’ बताया है.

हालांकि, भाजपा ने इन दो पार्टियों से गठबंधन को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन भाजपा प्रवक्ता जीएल रैना ने कहा है कि हम स्थानीय प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं.

भाजपा प्रत्याशी न होने से कार्यकर्ता हैरान

साल 1996 के बाद कश्मीर घाटी का यह पहला ऐसा चुनाव है, जब भाजपा ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है. भाजपा को परंपरागत रूप से यहां ज्यादा समर्थन हासिल नहीं है, लेकिन फिर भी भाजपा लगातार यहां अपना प्रदर्शन पहले के मुकाबले बेहतर कर रही थी.

भाजपा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन साल 2016 के विधानसभा चुनावों में किया था, तब वह राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उस समय भाजपा ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. भाजपा ने कुल 87 में से जम्मू की 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

यही आखिरी विधानसभा चुनाव था, क्योंकि साल 2018 में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूट गया, जिसके बाद यहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया. उसके बाद से यहां विधानसभा के चुनाव नहीं हो पाए हैं.

साल 2020 में हुए स्थानीय चुनावों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था. भाजपा ने कश्मीर की तीन सीटों पर जीत भी दर्ज की थी, इसके बावजूद भाजपा के कश्मीर घाटी के तीन संसदीय क्षेत्रों में चुनाव न लड़ने के फैसले से भाजपा के कई स्थानीय नेता हैरान हैं. उनका कहना है कि वे लगातार चुनावों की तैयारी कर रहे थे.

घाटी और जम्मू का समीकरण बदला

दो साल बाद सरकार ने विधानसभा सीटों का इस तरह से परिसीमन किया कि जम्मू को छह अतिरिक्त सीटें हासिल हुईं, जबकि कश्मीर को सिर्फ एक ही अतिरिक्त सीट मिल पाई. अब यहां विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई है (साल 2019 तक जम्मू में 37 और कश्मीर में 46 विधानसभा सीटें थीं).

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कुछ चुनावी सफलता के बावजूद भाजपा जमीन पर अपना बहुत अधिक प्रभाव स्थापित करने में कामयाब नहीं हो पाई है. वर्तमान में विकास के जरूर कुछ काम हुए हैं, लेकिन राज्य में चुनी हुई सरकार न होने की वजह से लोग केंद्र सरकार से जुड़ाव नहीं महसूस कर पा रहे हैं.

प्रत्याशी न उतारने को लेकर स्थानीय लोगों ने क्या कहा

कश्मीर में प्रत्याशी नहीं उतराने के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. स्थानीय लोगों का यह मानना है कि भाजपा इन सीटों पर मुख्य मुकाबले में न आकर अन्य लोगों को समर्थन दे रही है, क्योंकि उसे पता है कि इन क्षेत्रों से उनके प्रत्याशी अभी चुनाव नहीं जीत सकते हैं. ऐसे में 4 जून को जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे तो यह देखना दिलचस्प होगा की घाटी के इन तीन संसदीय क्षेत्रों का क्या चुनावी परिणाम आता है.

ये भी पढ़ें- ओडिशा में BJD vs BJP की लड़ाई, उड़िया अस्मिता याद आई

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

Recent Posts

पुतिन के बाद इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी ने कहा, रूस-यूक्रेन विवाद को सुलझा सकता है भारत

अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर अक्सर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करने वाली इटली की पीएम…

6 hours ago

अब 2000 रुपये तक के पेमेंट पर देना पड़ सकता है 18% GST, 9 सितंबर को होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक

GST News: देश में पेमेंट एग्रीगेटर्स अभी हर ट्रांजेक्शन पर 0.5% से 2% तक शुल्क…

6 hours ago

Paralympic Games 2024: पदकवीर प्रवीण कुमार और होकाटो सेमा को PM मोदी ने दी जीत की बधाई, फोन पर की हौसला-अफजाई

पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाले ​भारतीय खिलाड़ियों प्रवीण कुमार और…

7 hours ago

Lucknow: ट्रांसपोर्ट नगर में हुए हादसे पर डॉ. राजेश्वर सिंह ने जताया दुःख, अस्पताल में घायलों से मिले, मुहैया कराई आर्थिक मदद

उत्तर प्रदेश में भाजपा के लोकप्रिय नेता एवं सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने…

7 hours ago

हमें मौका मिलेगा तो जम्मू-कश्मीर में भी चलाएंगे ‘बुलडोजर’: कविंदर गुप्ता

जम्मू-कश्मीर में मतदान तीन चरणों में होंगे, पहले चरण के लिए मतदान 18 सितंबर, दूसरे…

7 hours ago

मिजोरम में एएसएफ का प्रकोप जारी, 33,000 हजार से अधिक सूअरों की मौत

मिजोरम में एएसएफ का पहला मामला मार्च 2021 के मध्य में बांग्लादेश की सीमा पर…

8 hours ago