हरियाणा के श्री आनंद धाम आश्रम में महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री महंत विजय दास भैया जी महाराज जी द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि महंत नृत्य गोपाल दास जी के उत्तराधिकारी पूज्य कमलनयनदास जी महराज एक ऐसे सरल व्यक्तित्व के संत हैं, जिन्हे सहज भाव में एक साधक भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज उन्हें तामिलनाडू एवं दिल्ली भी जाना था किंतु जब उन्हे एक संत के कार्यक्रम में आने का मौका मिला तो उन्होंने अन्य कार्यक्रमों में जाने की अपेक्षा यहां आना इसलिए बेहतर समझा कि संत के आशीर्वाद में बहुत अधिक शक्ति होती है. वास्तव में संत एक ऐसी परंपरा है जिसका सनातन संस्कृति के संरक्षण में अतुलनीय योगदान रहता है.
डॉ. शर्मा ने कहा कि एक बार उन्हें एक संत के आश्रम में जाने का मौका मिला. वहां पर उनके तीन शिष्य अपने गुरू से कह रहे थे कि उनकी शिक्षा और दीक्षा तो पूरी हो गई है. गुरुजी उन्हे यह भी बताएं कि ईश्वर तक कैसे पहुंचा जा सकता है. इस पर उन्होंने पहले शिष्य से पूछा कि वह क्या करते हैं तेा एक ने बताया कि वह सुबह 4 बजे उठकर स्नान आदि से निवृत होकर ईश्वर का भजन पूजन और अर्चन करता है जब कि दूसरे ने बताया कि वह पूजन अर्चन के साथ यज्ञ भी करता है तो गुरू ने कहा कि वह ईश्वर के निवास स्थान के आधी दूरी तक पहुंच सकते हैं, लेकिन उनसे मिल नहीं सकते. दूसरे ने कहा कि वह पूजन अर्चन के साथ साथ यज्ञ करता है तो गुरूवर ने कहा कि वह ईश्वर के दरवाजे तक पहुंच जाएगा.
इसके बाद तीसरे शिष्य ने कहा कि वह आजकल बहुत परेशान है. वह जहां रहता है उसके पड़ोस में एक वृद्ध व्यक्ति रहते हैं उनकी सेवा करता है और फिर पड़ोस के बच्चों को पढ़ाता है. उसके पास समय नहीं बचता. जब समय मिलेगा तो जरूर ईश्वर की पूजा करेगा, गुरूवर ने कहा कि वह ईश्वर तक अवश्य पहुंच जाएगा. जो दूसरों के लिए अपने जीवन को समर्पित करता है. ईश्वर उसका ख्याल करते हैं. इसीलिए भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ माना गया है कि यहां पर लोग समाज के लिए कार्य करने की कोशिश करते हैं. जब कि विदेशी संस्कृति में जो कमाएगा वही खाएगा का संदेश रहता है. उनका कहना था कि लेकिन भारत की जो सनातन संस्कृति में है कि जो कमाएगा वह खिलायेगा. पूरे समाज को परिवार मानता है तथा वह अन्य को भी खिलाएगा. उन्होंने कहा कि यही मूलभूत अंतर भारत की सनातन संस्कृति और विदेशी संस्कृति में हैं।
सांसद शर्मा ने कहा कि भारत की इसी सनातन संस्कृति के कारण भारत आज विश्व का सिरमौर बन रहा है. आज भारत की इसी संस्कृति के कारण विदेशी भारत की गलियों में आकर राम-राम का पाठ करने लगे हैं. समाज की सेवा का गुन सीख रहे हैं. उन्होंने कहा की राम से भ्ज्ञी बड़ा राम का नाम है. 22 जनवरी को अयोध्या में इन्ही सनातन धर्मावलंबियों का हजूम उमड़ेगा और भारतीय संस्कृति की ध्वजा विश्व में फहराएगी. आज पूरे देश में शीत लहर से ज्यादा तेज गति से राम लहर चल रही है जो राम मंदिर में दर्शन का बहिष्कार कर रहे हैं, उन विपक्षियों का चुनाव में जनता बहिष्कार करेगी.
उन्होंने कहा राम से बड़ा राम का नाम है. राम का नाम श्रेष्ठ जीवन जीने का मार्ग खोलता है. गुरु वशिष्ठ जब एक बार राम दरबार में आए तो बजरंगबली ने उनका अभिवादन नही किया क्योंकि उनकी नजर श्रीराम के चरणों की ओर थी. गुरू वशिष्ठ ने जब इसकी शिकायत राम से की और कहा कि मेरा अपमान हुआ है और जिसने किया है वह प्रभु राम के हृदय का टुकड़ा है. श्री राम गुरु वशिष्ठ से पूछते हैं कि क्या दंड देना होगा. गुरु वशिष्ठ कहते हैं की ऋषि का अपमान करने वाले को मृत्यु दंड श्री राम को स्वयं अपने हाथ से देना होगा. श्री राम हनुमान को दंड देने के लिए तैयार हो जाते हैं क्योंकि ’’रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जांय पर वचन न जाई।’’ उन्होंने बताया कि हनुमान को मारने के लिए प्रभु श्रीराम जब चलते हैं तो पाते हैं कि बजरंगबली नदी के किनारे राम राम का जाप कर रहे हैं. श्रीराम उन्हें कई तीर मारते हैं पर श्री हनुमान के एक भी तीर जब नही लगा तो गुरु वशिष्ठ ने कहा कि वे जानबूझकर ऐसा कर रहे है. इसके बाद श्रीराम ने बताया कि की जो मेरा नाम का जाप करता है वह राम का नाम मुझसे बड़ा है. राम से बड़ा राम का नाम’’ होने के कारण ऐसा हो रहा है. डॉ. शर्मा ने कहा कि राम के नाम में इतनी शक्ति है कि वह भवसागर को पार करनेवाला है. आज विपक्षी दल इस राम नाम और राम मंदिर का अपमान कर रहे हैं.
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 22 जनवरी को सैकड़ों वर्षों से प्रतीक्षारत देशवासियों की मुराद तब पूरी होगी जब अयोध्या के राम मन्दिर के गर्भगृह में रामलला विराजमाान होंगे. 22 जनवरी की तैयारी के रूप में आज जगह जगह आयोजन हो रहे हैं, क्योंकि 22 जनवरी को पूरा देश राममय हो जाएगा. उन्होंने विस्तार से बताया कि तुलसी को रामचरित मानस लिखने के लिए किस प्रकार हनुमान जी ने मदद की. उनका कहना था कि यह देश संतों का है तथा उन्ही के आशीर्वाद और राम जी की कृपा से आज भारत की कीर्ति पताका विश्व में लहरा रही है.
इस अवसर पर महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री महंत विजय दास भैया जी महाराज ,महामंडलेश्वर परमपूज्य यतींद्रानंद गिरि जी महाराज, जगतगुरु वैदेही जी महाराज, महंत परशुराम दास जी महाराज (सोडल), स्वामी वेदानंद गिरि जी महाराज, रामदास जी महाराज जी, आश्रम के प्रबंधक संजय शर्मा एवं अजय मिश्रा का सानिध्य प्राप्त हुआ. कार्यक्रम में हरियाणा के तमाम प्रसिद्ध संत महात्माओं ने सहभागिता की.
-भारत एक्सप्रेस
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