Rajasthan Election 2023: चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ राजस्थान में भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया था. लेकिन देवोत्थान एकादशी की वजह से राज्य में भारी मात्रा में होने वाले कार्यक्रमों को देखते हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख बदल दी गई. अब वोटिंग 23 की जगह 25 नवंबर को होगी. जैसे ही EC ने चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. बीजेपी ने भी बिना देर किए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. हालांकि, सियासी गलियारों में कानाफूसी चल रही है कि इसके लिए राजस्थान बीजेपी की कद्दावर नेत्री पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से राय-मशवरा नहीं ली गई.
बीजेपी के इस सूची में 41 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. लिस्ट में 31 नए चेहरे हैं. इतना ही नहीं पार्टी ने मध्य प्रदेश की तरह यहां भी 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है. टिकट की उम्मीद में बैठे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों के हाथ निराशा लगी है. जिन नेताओं की टिकट कटी है उनमें से ज्यादातर वसुंधरा के समर्थक हैं. इसे लेकर अब राजस्थान की राजनीति में बवाल देखने को मिल रहा है. वसुंधरा खेमे के करीब आधा दर्जन विधायक और नेतागण खुलकर विरोध में उतर आए हैं. हालांकि, इस पर वसुंधरा राजे की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हैरत की बात ये है कि राजे के खास राजपाल सिंह शेकावत का टिकट भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने काट दिया है. उनकी जगह पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजवर्धन सिंह राठौर को जयपुर की झोटवाड़ा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
झोटवाड़ा से टिकट काटे गए राजपाल शेखावत के समर्थक सोमवार रात उनके आवास पर एकत्र हुए और उनके समर्थन में नारे लगाए. उनके समर्थकों ने जयपुर में बीजेपी कार्यालय तक मार्च भी किया. शेखावत ने कहा कि उन्हें टिकट न देने का फैसला चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले 15 वर्षों से झोटवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र को सींचा है और दो बार सीट जीती है. बीजेपी ने जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन राठौड़ को झोटवाड़ा से मैदान में उतारा है.
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अनिता सिंह को भी नगर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट से वंचित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह पार्टी के फैसले से परेशान थीं. सिंह ने कहा कि वह एक मजबूत दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया था जो 2018 में भारी अंतर से चुनाव हार गया था. उन्होंने कहा कि वह अपने समर्थकों से मिलेंगी और अपनी अगली रणनीति पर फैसला करेंगी. अब अगर वसुंधरा के समर्थक बगावत पर उतरते हैं तो राज्य में पार्टी को नुकसान भी हो सकता है. सियासी जानकारों का मानना है कि यह राज्य में वाकई वसुंधरा राजे के लिए झटका है.
सवाल तो ये भी है कि बीजेपी बिना किसी चेहरे के चुनावी मैदान में है. हालांकि, बीजेपी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि राज्य में बिना किसी को चेहरा बनाए ही मैदान में पार्टी उतरेगी. पीएम मोदी ने मंच से खुद कहा था कि कमल ही हमारा निशान होगा. सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य में प्रेशर पॉलिटिक्स से परे होकर बीजेपी अब दीया कुमारी को लेकर आगे बढ़ने का मन बना लिया है. कहीं न कहीं इसीलिए अब वसुंधरा की ओर पार्टी का झुकाव कम हो रहा है.
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